
अजमेर. Mock Drill in Ajmer: अजमेर ने बुधवार को एक अभूतपूर्व कदम उठाते हुए यह साबित कर दिया कि ज़िला प्रशासन हर आपात स्थिति का सामना करने में पूरी तरह सक्षम और सतर्क है। जिले में एक साथ तीन संवेदनशील स्थलों-सराधना स्थित हिंदुस्तान पेट्रोलियम डिपो, नसीराबाद के गेल गैस प्लांट और किशनगढ़ एयरपोर्ट– पर मॉक ड्रिल का व्यापक आयोजन किया गया। साथ ही, रात 7:30 से 8:00 बजे तक पूरे अजमेर में ब्लैकआउट रखा गया, जिसे जनता का पूरा सहयोग मिला।
तीन हाई-रिस्क ज़ोन, एक जैसी तत्परता
- गेल गैस प्लांट, नसीराबाद: यहां मॉक ड्रिल के दौरान ‘गंभीर गैस रिसाव और आग’ की स्थिति दर्शाई गई। प्लांट के मैकेनिकल वर्कशॉप में फंसे 19 लोगों को रेस्क्यू किया गया। फायर ब्रिगेड ने दमकल और फायर बॉल तकनीक से आग पर काबू पाया। 6 गंभीर घायलों को तुरंत अस्पताल पहुंचाया गया, जिनमें से एक को अजमेर रेफर किया गया। मॉक ड्रिल की मॉनिटरिंग संभागीय आयुक्त महेश चंद्र शर्मा, आईजी ओमप्रकाश, और एसडीएम देवीलाल यादव ने की।

- एचपीसीएल डिपो, सराधना: इस डिपो में मॉक आगजनी के दौरान सिविल डिफेंस, मेडिकल, फायर, और पुलिस टीमें कुछ ही मिनटों में घटनास्थल पर पहुंच गईं। प्लांट के भीतर आग पर पानी और केमिकल स्प्रे से काबू पाया गया। राहतकर्मियों ने दुर्घटना में फंसे लोगों को बाहर निकालकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और जिला अस्पताल भेजा।

- किशनगढ़ एयरपोर्ट: यहां एयरपोर्ट इमरजेंसी सिचुएशन का सजीव अभ्यास हुआ। टर्मिनल भवन को खाली करवाकर घायलों को तत्परता से चिकित्सा सुविधा दी गई। एसडीआरएफ, दमकल और सुरक्षा बलों ने मिलकर एयरपोर्ट पर नियंत्रण पाया। एडीएम गजेन्द्र सिंह राठौड़ और एसडीएम निशा सहारण मौके पर मौजूद रहे।
रात का ब्लैकआउट: शहर ने दिखाई अभूतपूर्व जागरूकता
रात 7:30 से 8:00 बजे तक पूरे अजमेर में ब्लैकआउट का अभ्यास किया गया। इस दौरान सायरन बजाकर संकेत दिया गया और आमजन ने अपनी स्वेच्छा से घरों की लाइटें बंद कर दीं। सरकारी, निजी और ग्रामीण इलाकों ने भी इस सिमुलेशन में भागीदारी दिखाई। ब्लैकआउट का उद्देश्य था-आपात स्थिति में दृश्यता घटाकर संभावित नुकसान से बचाव। इमरजेंसी सेवा वाले भवनों में खिड़कियों और दरवाज़ों पर काले पर्दे लगाए गए। वाहनों के चालक भी हेडलाइट बंद कर एक ओर खड़े हो गए।
