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Mukhymantri Ayushaman Arogya Yojana: एक ऐसा प्रदेश जहां बुखार, से लेकर रोबोटिक सर्जरी तक होता है इलाज, 43 लाख मरीज उठा चुके इसका लाभ

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Cm Bhajan Lal Sharma 2
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जयपुर. Mukhymantri Ayushaman Arogya Yojana: राजस्थान में इलाज अब गांव की चौपाल से लेकर राजधानी जयपुर के सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल तक मुफ़्त और सहज हो गया है। इसका श्रेय मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की उस सोच को जाता है, जिसने बीमार और बेसहारा परिवारों को इलाज के खर्च की चिंता से मुक्त कर दिया है। बुखार जैसी मामूली बीमारी हो या फिर करोड़ों के खर्च वाली जटिल सर्जरी। अब किसी को भी सरकारी या निजी अस्पताल के चक्कर काटने में जेब नहीं ढीली करनी पड़ती। इस बदलाव का नाम है मुख्यमंत्री आयुष्मान आरोग्य (मा) योजना, जिसने अब तक 43 लाख से ज्यादा मरीजों को नि:शुल्क उपचार देकर नया जीवन दिया है।

सिर्फ बुखार नहीं, रोबोटिक सर्जरी भी

आज ‘मा योजना’ सिर्फ बुखार, खांसी या डिलीवरी तक सीमित नहीं है। कैंसर, ट्रांसप्लांट, न्यूरो सर्जरी, प्लास्टिक सर्जरी, स्किन ट्रांसप्लांट, कार्डियोथोरेसिक सर्जरी से लेकर सबसे आधुनिक रोबोटिक सर्जरी तक का खर्च सरकार वहन कर रही है। यही वजह है कि पहले जहां इस योजना में 1800 उपचार पैकेज थे, अब इनकी संख्या बढकऱ 2300 से ज्यादा हो गई है। कैंसर के लिए 73 डेकेयर पैकेज और बच्चों के लिए 419 अलग पैकेज बनाए गए हैं। सरकार ने बजट 2025-26 में नए इलाज भी जोड़े हैं। 70 साल से अधिक उम्र वालों के लिए विशेष देखभाल पैकेज, दिव्यांगों के लिए अलग उपचार, किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए अलग व्यवस्था, ओरल कैंसर से लेकर आयुष पद्धति के नये विकल्प सब कुछ इस योजना में शामिल हैं।

राजस्थान ही नहीं, दूसरे राज्यों में भी इलाज

मा योजना को सीमाओं में न बांधकर इंटर स्टेट पोर्टेबिलिटी का प्रावधान भी शुरू कर दिया गया है। यानी राजस्थान के गरीब परिवार दूसरे राज्यों में भी इससे इलाज करवा सकेंगे और दूसरे राज्यों के लोग राजस्थान आकर यहां की सुविधा ले पाएंगे। पहले चरण में ‘इनबाउंड’ पोर्टेबिलिटी चालू कर दी गई है, जल्द ही ‘आउटबाउंड’ पोर्टेबिलिटी भी शुरू होगी।

गांव-ढाणी तक इलाज पहुंचे, इसके लिए खास प्रावधान

‘मा योजना’ को सिर्फ कागजों तक सीमित नहीं रहने देने के लिए सरकार ने अस्पतालों के पंजीयन के नियम आसान कर दिए हैं। खासकर 11 दूरस्थ जिलों और 27 आकांक्षी ब्लॉक्स में अस्पतालों का एम्पेनलमेंट सरल किया गया ताकि छोटे अस्पताल भी योजना से जुड़ सकें और गरीबों को नजदीक में ही मुफ्त इलाज मिल सके। इतना ही नहीं, योजना के पैकेज रेट्स को भी यथार्थपरक बनाया गया है ताकि अस्पतालों को नुकसान न हो और वे मरीजों का समुचित इलाज कर सकें।

3500 करोड़ का कोष, ताकि इलाज न रुके

योजना में पैसे की कमी न हो, इसके लिए सरकार ने पहले ही 3500 करोड़ रुपये का विशेष कोष बना दिया है। हर दिन औसतन 8400 लोग इस योजना का लाभ उठा रहे हैं और रोजाना करीब 9 करोड़ रुपये के क्लेम बुक हो रहे हैं।

अस्पताल सरकारी भी, निजी भी

सरकारी अस्पतालों के अलावा राजस्थान के नामी प्राइवेट अस्पताल भी इस योजना में सूचीबद्ध हैं। इससे मरीजों को यह विकल्प मिलता है कि यदि सरकारी अस्पताल में इलाज संभव नहीं तो वे बिना एक रुपया खर्च किए निजी अस्पताल में भी भर्ती हो सकते हैं।

पुरानी खामियों पर नई सोच

राजस्थान में पहले भी सरकारी स्वास्थ्य बीमा योजना थी, मगर सीमित कवरेज और जटिल प्रक्रियाओं के कारण जरूरतमंदों को पूरा लाभ नहीं मिल पाता था। बीमार पडऩे पर गरीब परिवार कर्ज लेकर इलाज कराते थे या इलाज छोड़ देते थे। हालात बदलने के लिए मुख्यमंत्री ने कमियों की पड़ताल करवाई और ‘मा योजना’ का खाका तैयार करवाया। चिकित्सा मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर के मार्गदर्शन में यह योजना राजस्थान की पहली ऐसी बीमा योजना बनी, जिसमें एलोपैथी के साथ-साथ आयुष पद्धति और अत्याधुनिक तकनीक- सब कुछ शामिल है।

योजना की फैक्ट फाइल
  • पंजीकृत परिवार: 1.34 करोड़ से अधिक
  • सूचीबद्ध अस्पताल: 1800 से अधिक
  • लाभान्वित मरीज: करीब 43 लाख
  • कुल क्लेम राशि: 5 हजार करोड़ रुपये से अधिक
  • प्रतिदिन औसत लाभार्थी: 8400 मरीज
  • रोजाना क्लेम राशि: 9 करोड़ रुपये से अधिक
गांव का मरीज अब मायूस नहीं

मां योजना ने प्रदेश के उस मरीज को नई उम्मीद दी है, जो पहले अस्पताल के बाहर दवा, टेस्ट या ऑपरेशन के लिए कर्ज लेकर आता था। अब वही मरीज अस्पताल में भर्ती होकर बिना चिंता इलाज करा रहा है। गांव का किसान, मजदूर, महिला, बच्चा सभी इसके दायरे में हैं। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की ‘मानवीय सोच’ और ‘मा योजना’ ने राजस्थान को स्वास्थ्य सुरक्षा के नए पथ पर ला खड़ा किया है। अब कोई भी बीमारी किसी भी परिवार को आर्थिक संकट में नहीं डाल पाएगी। यही इस योजना की सबसे बड़ी सफलता है।

Bharat Update 9
Author: Bharat Update 9

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