नई दिल्ली.North Korea- SouthKorea: आज हम कोरिया को दो अलग-अलग और स्वतंत्र देशों के रूप में जानते हैं, जिनकी राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय स्थिति एक-दूसरे से बिल्कुल अलग है। दोनों देशों के बीच हालात इस हद तक खराब हो चुके हैं कि वे एक-दूसरे के सबसे बड़े प्रतिद्वंद्वी बन चुके हैं। लेकिन यह स्थिति हमेशा से नहीं थी। कुछ दशकों पहले, कोरिया एक ही देश था, और इसके विभाजन के पीछे का इतिहास एक बहुत ही जटिल और दिलचस्प कहानी है, जो द्वितीय विश्व युद्ध और शीत युद्ध के दौरान हुए वैश्विक राजनीतिक संकटों से गहरे रूप से जुड़ी हुई है।
कोरिया का प्राचीन इतिहास और उपनिवेशी दौर
कोरिया का इतिहास 5,000 साल से भी अधिक पुराना है। प्राचीन साम्राज्यों जैसे गोगुर्येओ, सिल्ला, और बैज्जे ने कोरियाई प्रायद्वीप पर समृद्ध सभ्यता का निर्माण किया। समय के साथ, कोरिया एक एकीकृत राज्य के रूप में विकसित हुआ, जिसमें जोसेन वंश का बहुत महत्वपूर्ण योगदान था। जोसेन वंश ने 1392 से 1910 तक कोरिया पर शासन किया, और यह कोरिया का अंतिम वंश था, जिसने जापान के उपनिवेशीकरण से पहले कोरिया पर शासन किया।
20वीं सदी की शुरुआत और जापान का आधिपत्य
20वीं सदी की शुरुआत में, जापान की विस्तारवादी नीतियों ने कोरिया पर अपना कब्जा जमा लिया। 1910 में कोरिया को औपचारिक रूप से जापान द्वारा औपनिवेशित कर लिया गया, और इसका कोरियाई संस्कृति, भाषा और अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव पड़ा। कोरियाई जनता अपनी स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करती रही, लेकिन उनका यह सपना तब तक पूरा नहीं हुआ जब तक द्वितीय विश्व युद्ध में जापान की हार नहीं हो गई।
द्वितीय विश्व युद्ध और कोरिया का विभाजन
1945 में जब जापान ने आत्मसमर्पण किया और द्वितीय विश्व युद्ध समाप्त हुआ, तो कोरियाई प्रायद्वीप पर जापानी औपनिवेशीकरण का अंत हुआ, लेकिन एक नया संकट खड़ा हो गया। युद्ध के बाद, संयुक्त राज्य अमेरिका और सोवियत संघ, जो पहले विश्व युद्ध में साथ थे, अब शीत युद्ध के दौरान एक-दूसरे के दुश्मन बन गए थे।
इस समस्या का समाधान करने के लिए, दोनों देशों ने 38वें समानांतर रेखा को एक अस्थायी सीमा के रूप में चुना। उत्तरी हिस्सा सोवियत संघ द्वारा नियंत्रित किया गया और दक्षिणी हिस्सा संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा। यह विभाजन अस्थायी था, लेकिन यह बाद में कोरिया के स्थायी विभाजन की नींव बन गया।
दो सरकारें, दो विचारधाराएँ
1948 तक, कोरिया में दो अलग-अलग सरकारों का गठन हो चुका था। उत्तर में, लोकप्रिय लोकतांत्रिक गणराज्य (उत्तर कोरिया) का गठन हुआ, जिसकी अगुवाई सोवियत समर्थित साम्यवादी नेता किम इल-सुंग ने की। वहीं, दक्षिण में, कोरिया गणराज्य (दक्षिण कोरिया) का गठन हुआ, जिसकी अगुवाई अमेरिका समर्थित सिंगमन रहीं ने की। दोनों सरकारें अपनी-अपनी विचारधाराओं और वैश्विक समर्थन के आधार पर पूरे कोरिया पर अपना अधिकार जताती थीं, और इस तरह वे एक-दूसरे के कट्टर विरोधी बन गए थे।
कोरियाई युद्ध और स्थायी विभाजन
1950 में, उत्तर कोरिया ने दक्षिण कोरिया पर आक्रमण किया। यह हमला सोवियत संघ और चीन के समर्थन से किया गया था, और इसके विरोध में संयुक्त राज्य अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र ने दक्षिण कोरिया की मदद की। इस संघर्ष ने कोरियाई प्रायद्वीप को युद्ध का मैदान बना दिया। युद्ध 1953 में एक संघर्षविराम समझौते के साथ समाप्त हुआ, लेकिन कोरिया ने कभी आधिकारिक रूप से शांति समझौता नहीं किया। युद्ध के बाद, 38वें समानांतर रेखा के पास एक निरस्त्रीकरण क्षेत्र (DMZ) बनाया गया, जो आज भी उत्तर और दक्षिण कोरिया के बीच की सीमा है।
विभाजन के बाद के घटनाक्रम
- उत्तर कोरिया: उत्तर कोरिया ने कठोर तानाशाही और आत्मनिर्भरता की नीति अपनाई। किम इल-सुंग और उनके वंशजों ने इस देश पर शासन किया। उत्तर कोरिया एक बंद अर्थव्यवस्था और सैन्य-प्रधान देश बन गया, जिसकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना की जाती है।
- दक्षिण कोरिया: वहीं, दक्षिण कोरिया ने लोकतंत्र, खुले अर्थव्यवस्था और तकनीकी विकास की दिशा में तेजी से कदम बढ़ाए। दक्षिण कोरिया अब अपने सांस्कृतिक योगदान (जैसे K-pop, K-drama), आर्थिक सफलता और प्रमुख टेक कंपनियों (जैसे सैमसंग और एलजी) के लिए प्रसिद्ध है।
