
नई दिल्ली. Norway End Of The Earth : नार्वे छोटा देश है लेकिन सोच में बड़ा। यहां प्राकृतिक खजाना है। यहां लोग खुश हैं। यहाँ भ्रष्टाचार नाममात्र का है। नार्वे दुनिया को सिखा रहा है कि कैसे सस्टेनएबीलिटी और विकास के साथ चल सकते हैं। यह धरती के छोर पर बसा सपना है। जो देखे वही देखता रह जाए। नार्वे सच में धरती का छोर है, लेकिन उम्मीद का उजाला भी। आपको ये जानकारी भी हैरानी होगी की ये दुनिया का सबसे आखिरी देश हैं जो दुनिया के अन्य देशों को भी कई तरह के संदेश देता है। आईए आज आपको बताते हैं इस देश के बारे में कुछ ऐसी बातें जो आपने कम पढ़ा होगा।
यहां है अटलांटिक महासागर
ये देश यूरोप के उत्तर में बसा है। यह स्कैंडिनेविया का हिस्सा है। स्कैंडिनेविया में तीन देश नार्वे, स्वीडन और डेनमार्क आते हैं। कभी-कभी इसमें फिनलैंड और आइसलैंड को भी जोड़ लिया जाता है। इसके के पश्चिम में अटलांटिक महासागर है। पूर्व में इसकी सीमा स्वीडन से लगती है। उत्तर में आर्कटिक महासागर फैला है। दक्षिण में डेनमार्क की तरफ समुद्री रास्ता है। इस देश की समुद्री सीमा बहुत लंबी है। कहा जाता है कि अगर नार्वे के जॉर्डस की लंबाई सीधी की जाए तो यह दुनिया की सबसे लंबी समुद्री सीमा बन जाएगी।
नार्वे का भौगोलिक चमत्कार
इसको जॉर्डस का देश कहते हैं। जॉर्डस गहरे समुद्री खाड़ी जैसे इलाके होते हैं।ये बर्फ के पिघलने और समुद्र के अंदर घुसने से बने हैं। गेइरंगेरफजॉर्ड, हार्डेंजरफजॉर्ड और सोग्नेफ्जोर्ड सबसे प्रसिद्ध जोड्र्स हैं। सोग्नेफ्जोर्ड नॉर्वे का सबसे लंबा जोड्र्स है। यह करीब 200 किलोमीटर अंदर जाता है। यहां झरने गिरते रहते हैं। इन्हें देखने हर साल लाखों पर्यटक आते हैं। जोड्र्स के पास ऊंचे पहाड़ होते हैं। ये बर्फ से ढके रहते हैं। कहीं-कहीं चट्टानों पर छोटे गाँव बसे हैं। इन गांवों में सौ से भी कम लोग रहते हैं। ये गांव पोस्टकार्ड जैसे लगते हैं।
नार्वे के पास कई द्वीप
नार्वे के पास कई द्वीप हैं। सबसे मशहूर द्वीप समूह है स्वालबार्ड। स्वालबार्ड आर्कटिक सागर में है। यह धरती के सबसे उत्तर में बसे इलाकों में से एक है। यहां लोंगयेरब्येन दुनिया का सबसे उत्तर का शहर है। यहां वैश्विक बीज भंडार है। यह बीजों का तिजोरी है। यहां लाखों बीज सुरक्षित रखे जाते हैं। अगर दुनिया में खेती नष्ट भी हो जाए तो इन बीजों से दोबारा बोवनी की जा सकती है। स्वालबार्ड में ध्रुवीय भालू ज्यादा हैं। यहाँ के लोग कहते हैं- भालू से ज्यादा इंसान सावधान रहें।
ये है नार्वे की राजधानी
ओस्लो नार्वे की राजधानी है। यह शहर दक्षिण में बसा है। यहां पार्लियामेंट, रॉयल पैलेस, और नोबल पीस सेंटर है। हर साल नोबेल शांति पुरस्कार यहीं दिया जाता है। ओस्लो हरा-भरा और आधुनिक शहर है। यहां इलेक्ट्रिक बसें चलती हैं। यहां लोग साइकिल चलाना पसंद करते हैं। ओस्लो जोर्डस के किनारे बसा है। गर्मियों में लोग यहां तैराकी करते हैं। सर्दियों में यह बर्फ से ढक जाता है।
यहां बारिशों का शहर भी
बर्गन नार्वे का दूसरा सबसे बड़ा शहर है। इसे बारिशों का शहर भी कहते हैं। यहां साल में 200 दिन बारिश होती है। बर्गन से जोर्डस के लिए क्रूज जाते हैं। ट्रॉम्सो को आर्कटिक राजधानी कहते हैं। यह उत्तरी लाइट्स देखने के लिए मशहूर है। ट्रॉनहैम नार्वे का पुराना ऐतिहासिक शहर है। यहां पुराना चर्च निदारोस कैथेड्रल है। स्टवान्गर तेल उद्योग का केंद्र है। यहां से उत्तरी सागर में तेल रिग संचालित होते हैं।
यहां समुद्र किनारे बसें है लोग
यहाँ की आबादी करीब 54 लाख है। यहां जनसंख्या घनत्व बहुत कम है। लोग प्रमुखत समुद्र किनारे बसे हैं। यहां के लोग स्वस्थ और खुशहाल हैं। यहां जीवन प्रत्याशा 83 साल के करीब है। सामी लोग नार्वे के मूल निवासी हैं। ये लैपलैंड में रहते हैं। लैपलैंड नार्वे, स्वीडन और फिनलैंड में फैला है। सामी लोग रंग-बिरंगे पारंपरिक कपड़े पहनते हैं। ये हिरन पालन करते हैं।
यहां की राष्ट्रीय पोशाक बुनाद
यहां की भाषा नार्वेजियन है। बोकमाल और निनोस्र्क इसके दो रूप हैं। सामी भाषा भी बोली जाती है। यहाँ अंग्रेजी भी आ म है। लोग संगीत, पेंटिंग और लकड़ी के शिल्प में माहिर हैं। एडवर्ड मंच नामक पेंटर यहीं के थे। उनकी पेंटिंग द स्क्रीम दुनिया भर में मशहूर है। नॉर्वे का पारंपरिक संगीत हार्डेंजर फिडेल पर बजाया जाता है। राष्ट्रीय पोशाक को बुनाद कहते हैं। त्योहारों पर लोग बुनाद पहनते हैं।
जाने यहां की राजनीति का स्ट्रक्चर कैसा
इस देश में एक संवैधानिक राजतंत्र है। यहां राजा हेराल्ड वी हैं। राजा अनुष्ठानिक होते हैं। सारी सत्ता संसद के पास होती है। यहाँ की संसद को स्टोर्टिंग कहते हैं। इसमें 169 सदस्य होते हैं। यहां कई दल हैं। लेबर पार्टी, कंजर्वेटिव पार्टी बड़े दल हैं। जोनास गार स्टोरे अभी प्रधानमंत्री हैं। यहां महिला प्रतिनिधित्व काफी अच्छा है। यहां लोकतंत्र मजबूत है।
अमीर देशों में गिना जाता है नार्वे, ये है इसकी आर्थिक ताकत
इस देश की गिनती अमीर देशों में की जाती है। यहाँ प्रति व्यक्ति आय बहुत ज्यादा है। तेल और गैस इसकी रीढ़ हैं। उत्तरी सागर से तेल निकालता है। 1969 में यहाँ तेल के बड़े भंडार मिले थे। उसके बाद अमीर बन गया। फिर भी इस देश ने तेल की कमाई को फिजूलखर्ची में नहीं उड़ाया। सरकार ने सम्पूर्ण प्रभुत्वसंपन्न बनाया। इसमें तेल की कमाई जमा की जाती है। आज यह दुनिया का सबसे बड़ा फंड है। यह फंड भविष्य की पीढिय़ों के लिए बचाया गया है। मछलीपालन इस देश की दूसरी बड़ी ताकत है। सैल्मन निर्यात में नंबर वन है। यहाँ की मछली दुनियाभर में बिकती है।
ऊर्जा और पर्यावरण
ये देश नवीकरणीय ऊर्जा में अग्रणी है। पनबिजलीसे 98त्न बिजली बनती है। नार्वे की नदियाँ ऊँचाई से गिरती हैं। इससे हाइड्रोपावर सस्ता और टिकाऊ है। नार्वे में इलेक्ट्रिक कार सबसे ज्यादा बिकती हैं। यहां टेसला आम है। सडक़ परइलेक्ट्रिक चार्जिंग स्टेशन जगह-जगह हैं। नार्वे का लक्ष्य है- 2025 तक सभी नई गाडिय़ां इलेक्ट्रिक हों।
यहां आधी रात सूरज का आकर्षण
ये पर्यटन का स्वर्ग है। उत्तरी लाइट्स देखने लाखों पर्यटक आते हैं। आधी रात का सूरज भी आकर्षण है। लोफोटेन द्वीप समूह पोस्टकार्ड जैसे लगते हैं। हर्टिग्रुटेन क्रूज़ नार्वे की खास पहचान है। ये तटीय नौका है। ये जॉर्डस में चलता है। ट्रेकिंग, हाइकिंग और स्कीइंग भी लोकप्रिय हैं। विगलैंड पार्क ओस्लो में प्रसिद्ध है।
यहाँ सैकड़ों मूर्तियाँ लगी हैं।
अनूठी है यहां की जीवनशैली
यहाँ के लोग सामान्य जीवन जीते हैं। फ्रिज में स्टोर खाने से ज्यादा ताजा खाना पसंद करते हैं। परिवार और प्रकृति को समय देते हैं। फ्रिलुफ्टस्लिव शब्द इस देश की ही देन है। इसका मतलब है बाहर खुले में जीना। लोग जंगल में डेरा डालना करते हैं। झोपड़ी संस्कृति यहां आम है। लोग पहाड़ों पर केबिन बनाते हैं। सप्ताहांतमें परिवार वहीं समय बिताता है।
शिक्षा निशुल्क और स्वास्थ्य भी यूनिवर्सल
शिक्षा मुफ्त है। स्कूल से लेकर विश्वविद्यालय तक फीस नहीं लगती। अस्पताल सरकारी हैं। स्वास्थ्य सेवाएं यूनिवर्सल हैं। बच्चों और बुजुर्गों की खास देखभाल होती है।
लोग और खुशहाली
ये खुशहाल देश सूचकांक में हमेशा टॉप पर रहता है। यहां आय समानता ज्यादा है। आम और अमीर के बीच ज्यादा फर्क नहीं। अपराध दर बहुत कम है। यहां बेघर नगण्य है। लोगों को सरकार पर भरोसा है। यहाँ हड़ताल और प्रदर्शन कम होते हैं।
यहां कई महीने नहीं उगता सूरज
सर्दी बहुत लंबी होती है। उत्तर के इलाकों में कई महीने सूरज नहीं निकलता। डिप्रेशन और मानसिक बीमारी इसके कारण बढ़ती है। तेल पर निर्भरता खतरा भी है। कभी तेल खत्म हुआ तो अर्थव्यवस्था को झटका लग सकता है। जलवायु परिवर्तन से जॉर्डस और ग्लेशियर पिघल रहे हैं।
भारत-नार्वे संबंध
भारत और नार्वे दोस्त देश हैं। ये देश आईटी सेक्टर में भारत के साथ काम करता है। शिपिंग और अक्षय उर्जा में साझेदारी है। कई भारतीय छात्र नार्वे में इंजीनियरिंग और आर्कटिक अध्ययन पढ़ते हैं। ओस्लो में भारतीय समुदाय छोटा पर सक्रिय है। भारतीय संस्कृति के कार्यक्रम होते रहते हैं।
