
नई दिल्ली/इस्लामाबाद. Operation Sindoor: पाकिस्तान के ‘न्यूक्लियर डर’ की जो दीवार सालों से भारत को रोकती रही थी, उसे अब भारत ने पूरी ताकत से ध्वस्त कर दिया है। ऑपरेशन सिंदूर ने साफ कर दिया है कि अब भारत सिर्फ शब्दों से नहीं, बल्कि कार्रवाई से जवाब देगा-चाहे दुश्मन के पास परमाणु बम ही क्यों न हो।
ऑपरेशन सिंदूर: भारत का निर्णायक पलटवार
पहलगाम हमले के बाद भारत ने जो कदम उठाया, वह सिर्फ एक जवाबी हमला नहीं, बल्कि रणनीतिक चेतावनी थी-कि भारत की चुप्पी उसकी कमजोरी नहीं थी, बल्कि संयम था। जब संयम टूटा, तो भारतीय सेना ने कुछ ही घंटों में पाकिस्तान के एयरबेस, डिफेंस इंफ्रास्ट्रक्चर और कमांड यूनिट्स को नेस्तनाबूद कर दिया। पाकिस्तान के पंजाब इलाके में भारतीय हमले इस कदर निर्णायक रहे कि खुद रावलपिंडी-पाक सेना का मुख्यालय हिल गया।
रावलपिंडी के दरवाजे तक पहुंचा भारत
भारत ने रावलपिंडी एयरबेस पर हमला कर वो करारा संदेश दिया जो दशकों से सिर्फ कल्पना में था कि अब भारत सिर्फ एलओसी तक सीमित नहीं रहेगा। यह हमला पाकिस्तान के हृदय स्थल पर था, और इतने सटीक तरीके से कि 12 किलोमीटर दूर जीएचक्यू (जनरल हेडक्वार्टर्स) को महसूस हो गया कि अगला निशाना वही भी हो सकता है।
‘ब्लीड इंडिया’ सिद्धांत की अंत्येष्टि
पाकिस्तान सालों से आतंकवाद के जरिए भारत को ‘हजार जख्मों’ की नीति से कमजोर करने की कोशिश करता रहा। कारगिल, संसद हमला, मुंबई हमला, पठानकोट, उरी, पुलवामा हर बार पाकिस्तान ने एक ही रणनीति अपनाई: हमला करो, और जब भारत जवाब देने को तैयार हो, तो ‘परमाणु बम’ की ढाल दिखा दो। लेकिन ऑपरेशन सिंदूर ने इस भ्रम का अंत कर दिया।
भारत ने कम-से-कम विनाशकारी हथियारों के साथ अधिकतम संदेश दिया। अब भारत को उकसाना भारी पड़ेगा।
परमाणु ब्लैकमेलिंग का पर्दाफाश
१९९९ के कारगिल युद्ध के बाद से पाकिस्तान अपनी परमाणु क्षमता का दंभ भरता रहा, जिससे भारत संयमित रहा। लेकिन ऑपरेशन सिंदूर ने इस परमाणु ‘ब्लैकमेलिंग’ की पोल खोल दी। भारत ने यह साबित कर दिया कि वह सिर्फ डिफेंसिव रणनीति तक सीमित नहीं, बल्कि रणनीतिक आक्रमण की भी क्षमता रखता है।
संदेश साफ है: अब भारत रक्षात्मक नहीं, निर्णायक मोड में है
भारत ने पाकिस्तान को ये दिखा दिया कि वह आतंक के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई से पीछे नहीं हटेगा-चाहे सामने परमाणु छाया हो या अंतरराष्ट्रीय दबाव। ऑपरेशन सिंदूर में रियल टाइम इंटेलिजेंस, सटीक मिसाइल स्ट्राइक, साइबर-जैमिंग और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर का ऐसा समन्वय देखने को मिला जो बताता है कि भारत ने सिर्फ हमला नहीं किया, बल्कि एक नया सैन्य मानक तय कर दिया।
अब पाकिस्तान की सेना जान चुकी है-‘परमाणु कवच’ अब काम नहीं आएगा
मुरीदके से लेकर बहावलपुर तक, आतंकवादी ढांचे और एयरबेस अब खंडहर में तब्दील हो चुके हैं। भारत ने एक नई सैन्य और राजनीतिक परिभाषा रची है। अब हमले की नीति होगी, वो भी दुश्मन की जड़ पर। यही कारण है कि पाकिस्तान ने युद्धविराम की गुहार लगाई।
