
नई दिल्ली. Pakistan Chaina Relationship: भारत के विरोधी चीन और दुश्मन पाकिस्तान की दोस्ती किसी रहस्य से कम नहीं है। हर बार जब पाकिस्तान संकट में होता है, चीन न केवल कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा होता है बल्कि उसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी ढाल की तरह बचाता है। क्या यह दोस्ती सिर्फ भारत-विरोध की नींव पर टिकी है या इसके पीछे और भी गहरे कारण हैं? आइए इस ‘लाभकारी दोस्ती’ की परतें खोलते हैं।
1. चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी): दोस्ती की रीढ़
चीन और पाकिस्तान के बीच सबसे बड़ा रिश्ता ‘सीपीईसी’ यानी चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा है। यह गलियारा चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) का अहम हिस्सा है, जिसके ज़रिए चीन ने पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह से लेकर अपने शिनजियांग प्रांत तक सडक़, रेलवे और ऊर्जा परियोजनाओं का जाल बिछाया है। करीब 68 अरब डॉलर का निवेश हो चुका है।पाकिस्तान पर चीन का कर्ज करीब 30 अरब डॉलर तक पहुंच गया है।
2. ग्वादर पोर्ट: हिंद महासागर तक चीन की सीधी पहुँच
चीन रणनीतिक रूप से पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह को विकसित कर रहा है, ताकि उसे अरब सागर और हिंद महासागर तक वैकल्पिक और सस्ती पहुंच मिल सके। मलक्का जलडमरूमध्य पर पश्चिमी दबदबे से बचने के लिए यह चीन की ‘बैकअप योजना’ है।
3. हथियारों का बाजार: पाकिस्तान – चीन का सबसे बड़ा ग्राहक
पाकिस्तान अपनी सैन्य जरूरतों के लिए चीन पर पूरी तरह निर्भर है। चीन अपने जेएफ-17 लड़ाकू विमान, एयर डिफेंस सिस्टम, टैंक और युद्धपोत पाकिस्तान को बेचता है। इसके ज़रिए चीन अपने पुराने हथियारों का बाज़ार बनाए रखता है और पाकिस्तान को अपने प्रभाव में बांधे रखता है।
4. पीओके में चीन की घुसपैठ
पाकिस्तान ने चीन को पाक अधिकृत कश्मीर (क्कश्य) का एक हिस्सा ‘उपहार’ में दिया है, जिससे चीन वहां सडक़ों और टनलों का निर्माण कर रहा है। इससे चीन को सामरिक बढ़त भी मिलती है और भारत के लिए एक सीधा खतरा भी उत्पन्न होता है।
5. भारत के खिलाफ रणनीतिक मोहरा
चीन पाकिस्तान को एक ‘प्रॉक्सी’ के रूप में इस्तेमाल करता है। भारत की बढ़ती सैन्य और आर्थिक ताकत को रोकने के लिए चीन पाकिस्तान के ज़रिए सीमा पर तनाव, आतंकवाद और राजनयिक अड़चनों को बढ़ावा देता है, जिससे वह खुद सीधे टकराव से बच जाता है।
6. अंतरराष्ट्रीय मंचों पर साझेदारी
संयुक्त राष्ट्र से लेकर एफएटीएफ और विश्व बैंक तक, जब-जब पाकिस्तान पर दबाव बढ़ता है, चीन उसका बचाव करता है। बदले में पाकिस्तान उसे अपने संसाधन और रणनीतिक ज़मीन सौंप देता है।
7. कर्ज के जाल में फंसा पाकिस्तान
विशेषज्ञों की मानें तो पाकिस्तान धीरे-धीरे “चीनी कर्ज के जाल” में ऐसा फंस रहा है, जिससे उसकी संप्रभुता भी खतरे में पड़ सकती है। चीन की शर्तें सख्त होती जा रही हैं और पाकिस्तान की आर्थिक हालत दिन-ब-दिन खराब।
दोस्ती या दबाव का रिश्ता?
चीन और पाकिस्तान की दोस्ती दिखने में मजबूत भले ही लगे, लेकिन असल में यह एक सामरिक-आर्थिक सौदा है जिसमें चीन का लाभ और पाकिस्तान की निर्भरता है। भारत के लिए यह गठबंधन एक सतत चुनौती है, लेकिन जागरूक कूटनीति और आर्थिक ताकत से भारत इस मोर्चे पर भी संतुलन बना रहा है।
