
Petrol And Diesel Tax: सरकार ने हाल ही में पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी में 2 रुपए प्रति लीटर की वृद्धि की है। यह निर्णय इंटरनेशनल मार्केट में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के बीच आया है, जो वर्तमान में 1 बैरल के लिए $63.34 पर स्थिर है। अब सवाल उठता है- क्या यह बोझ आम आदमी की जेब पर डाला जाएगा, या सरकार इसे तेल कंपनियों के मुनाफे से ही संभालेगी?
क्यों बढ़ाया गया टैक्स?
इंटरनेशनल मार्केट में कच्चे तेल की कीमतों में 15त्न की गिरावट आई है। इससे देश में पेट्रोलियम कंपनियों का मुनाफा बढ़ गया है। सरकार ने इस अवसर का फायदा उठाते हुए एक्साइज ड्यूटी में इजाफा किया है ताकि अपनी राजस्व आय को बढ़ा सके।
- कच्चे तेल की मौजूदा कीमत: 63.34 प्रति बैरल
- पिछली कटौती: 15 मार्च को पेट्रोल-डीजल पर 2 रुपए की कटौती हुई थी
इस निर्णय से सरकार का लक्ष्य है कि कम कीमतों के लाभ को पूरी तरह से तेल कंपनियों के पास न जाने दिया जाए, बल्कि सरकार भी अपने हिस्से की कमाई करे।
आम आदमी पर असर
1.तुरंत प्रभाव
- एक्साइज ड्यूटी में वृद्धि 8 अप्रैल 2025 से लागू होगी।
- यह बदलाव सीधे तौर पर तेल कंपनियों पर असर डालेगा, लेकिन कंपनियों के निर्णय पर निर्भर करेगा कि क्या यह बोझ उपभोक्ताओं पर डाला जाएगा।
2. तेल कंपनियों का फैसला
- अगर कंपनियां अपने मुनाफे से इसे संभालती हैं, तो पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कोई वृद्धि नहीं होगी।
- लेकिन अगर कंपनियां कीमतें बढ़ाती हैं, तो आम आदमी को रोजमर्रा के खर्चों में इजाफा देखना पड़ेगा।
3. दैनिक जीवन पर प्रभाव
- पेट्रोल और डीजल की कीमतों में वृद्धि से आवागमन के खर्च में इजाफा होगा।
- सामान्य वस्तुओं की कीमतें भी बढ़ सकती हैं, क्योंकि ट्रांसपोर्टेशन खर्च बढ़ेगा।
पिछले बदलाव और वर्तमान स्थिति
- 15 मार्च 2025: पेट्रोल-डीजल पर 2 रुपए की कटौती की गई थी।
- वर्तमान में दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 100 रुपए के नीचे है, जबकि मुंबई, कोलकाता और चेन्नई में यह 100 रुपए से ऊपर है।
अब आगे क्या होगा?
- अगर तेल कंपनियां इस टैक्स को अपने मुनाफे से संभालती हैं, तो आम आदमी को राहत मिलेगी।
- लेकिन अगर कंपनियां कीमतें बढ़ाती हैं, तो रोजमर्रा की जरूरतों की चीज़ें महंगी हो जाएंगी।
