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“Political Wrangling: ‘राइजिंग राजस्थान’ पर जूली और राठौड़ के बीच दो दिन तक चला आरोप-प्रत्यारोप का दौर”

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Tikaram Juli-Rajendra rathod
Tikaram Juli-Rajendra rathod

जयपुर. Political Wrangling: राजनीति में आरोप-प्रत्यारोप अब केवल सडक़ों और विधानसभाओं तक सीमित नहीं रह गए हैं। सोशल मीडिया, विशेषकर ट्विटर, आजकल सियासी दिग्गजों के लिए युद्ध का नया मैदान बन चुका है। जहां एक तरफ नेताओं का सोशल मीडिया पर आक्रमक रुख दिखता है, वहीं दूसरी तरफ एक ट्वीट या पोस्ट पूरी राजनीतिक लड़ाई का रूप ले सकता है। इस बार ‘राइजिंग राजस्थान’ पर उठे सवालों को लेकर भाजपा और कांग्रेस के बड़े नेता टीकाराम जूली और राजेंद्र राठौड़ के बीच तीखी बहस ने सोशल मीडिया को दो दिनों तक गरमाए रखा।

टीकाराम जूली ने उठाए ‘राइजिंग राजस्थान’ पर सवाल

कांग्रेस के नेता और वर्तमान नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने 3 अप्रैल को एक ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने ‘राइजिंग राजस्थान’ कार्यक्रम पर गंभीर सवाल उठाए। जूली ने इस ट्वीट में कई अखबारों की खबरों की कटिंग शेयर की, जिनमें राजस्थान में निवेश को लेकर उत्पन्न हो रही समस्याओं का उल्लेख था। उन्होंने इस पर तंज करते हुए लिखा, “तराजू नहीं है इनके पास, मेरा सच तोलने को।” जूली ने आरोप लगाया कि जब वे ‘राइजिंग राजस्थान’ पर सवाल उठा रहे थे, तब सत्ता पक्ष के नेता भाजपा के लोग केवल सरकार का बचाव कर रहे थे। जूली ने यह भी कहा कि अब तो मीडिया में छपी खबरों पर भी विश्वास करना पड़ेगा।

राजेंद्र राठौड़ का तीखा पलटवार

टीकाराम जूली के इस ट्वीट को लेकर भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ को गहरा आक्षेप हुआ। उन्होंने जूली के तंज पर पलटवार करते हुए एक लंबी पोस्ट की। राठौड़ ने अपने ट्वीट में पुराने आंकड़े पेश करते हुए जूली को यह याद दिलाया कि उनकी पार्टी ने कितने एमओयू (मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग) किए थे, और कैसे इन आंकड़ों के आधार पर सरकार के कामकाज का मूल्यांकन किया जाना चाहिए। उन्होंने शायराना अंदाज में यह भी लिखा, “तराजू को हाथ में लेकर खुद बेकसूर बन बैठे, पर इतिहास उठाकर देख लो कितने कसूर कर बैठे।” यह टिप्पणी सीधे तौर पर जूली की आलोचना पर थी।

जूली ने फिर किया पलटवार: कर्ज और वित्तीय संकट पर उठाए सवाल

राजेंद्र राठौड़ के इस जवाब पर जूली ने एक और ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने राजस्थान सरकार के वित्तीय संकट और बढ़ते कर्ज पर सवाल उठाए। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार 1.56 लाख करोड़ रुपये का कर्ज लेने की योजना बना रही है, जो राज्य की वित्तीय स्थिति को और भी बिगाड़ेगा। जूली ने लिखा, “झूठ कहने लगा, सच से बचने लगा, हौंसले मिट गए, तजरबा रह गया।” उनका यह बयान स्पष्ट रूप से राठौड़ और उनकी पार्टी की नीतियों को निशाना बना रहा था।

राठौड़ ने फिर जूली को दिया जवाब: कांग्रेस के पुराने कर्ज पर निशाना

3 अप्रैल से शुरू हुई यह बहस 4 अप्रैल तक जारी रही। इस बार राठौड़ ने फिर से जूली को जवाब देते हुए कहा, “जो सच के सिपाही थे, वो डटते रहेंगे, झूठ के सौदागर ही पलटते रहेंगे।” राठौड़ ने यह भी कहा कि कांग्रेस सरकार ने ही राज्य के ऊपर कर्ज का बोझ डाला था, और अगर वह कर्ज कम करने में सफल होती तो उसे बोलने का अधिकार मिलता। उनका कहना था कि कांग्रेस सरकार के समय हुए वित्तीय निर्णयों के कारण ही राज्य को कर्ज की समस्या विरासत में मिली।

जूली ने राठौड़ की ‘दुखती रग’ पर किया प्रहार

अंतत:, जूली ने राठौड़ को उनकी राजनीतिक स्थिति पर चुभता हुआ तंज भी दिया। उन्होंने लिखा कि भाजपा सरकार ने चुनाव में हारने के बाद राठौड़ को उपेक्षित कर दिया है, और यही वजह है कि अब वे विपक्ष के नेताओं की तारीफ कर रहे हैं। जूली का यह बयान राठौड़ के व्यक्तिगत राजनीतिक स्थिति को लेकर था, खासकर पिछले चुनाव में उनकी हार के बाद। राठौड़ भले ही भाजपा के वरिष्ठ नेता हों, लेकिन नवंबर 2023 के चुनाव में उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा था। इस हार के बाद जूली का यह तंज उनकी दुखती रग पर सीधा प्रहार था।

आरोप-प्रत्यारोप का दौर: एक सियासी रणनीति या सिर्फ पब्लिक रिलेशन?

इस आरोप-प्रत्यारोप का दो दिन चला यह दौर केवल एक राजनीतिक संघर्ष नहीं था, बल्कि इसमें दोनों नेताओं ने अपनी-अपनी पार्टी की स्थिति को मजबूत करने की कोशिश की। जहां जूली ने राजस्थान सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए, वहीं राठौड़ ने कांग्रेस सरकार की नीतियों और कर्ज के बोझ को निशाना बनाया। यह तकरार बताती है कि सोशल मीडिया अब सिर्फ चुनावी प्रचार का माध्यम नहीं रहा, बल्कि यह नेताओं के लिए सियासी बयानबाजी का अहम प्लेटफार्म बन चुका है।

इन आरोपों के बीच यह सवाल भी उठता है कि क्या यह राजनीति के स्तर को नीचे गिरा रही है या फिर यह महज एक रणनीति है, जिससे जनता के बीच अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश की जा रही है?

Bharat Update 9
Author: Bharat Update 9

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