
जयपुर. Pratapsing On Ed Raid: एक बार फिर राजस्थान की राजनीति में गर्मी है! मंगलवार को राजस्थान के पूर्व मंत्री और कांग्रेस नेता प्रताप सिंह खाचरियावास के 19 ठिकानों पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने छापे मारे। यह कार्रवाई रियल एस्टेट निवेश कंपनी पर्ल एग्रोटेक कॉर्पोरेशन लिमिटेड के द्वारा किए गए 48,000 करोड़ के घोटाले से जुड़ी बताई जा रही है। लेकिन इस कार्रवाई ने राजनीतिक भूचाल मचा दिया है, और विपक्षी दलों ने इसे सिर्फ और सिर्फ राजनीतिक प्रतिशोध करार दिया है।
क्या है घोटाले का मलबा?
पर्ल एग्रोटेक या पीएसीएल एक रियल एस्टेट कंपनी थी, जिसमें राजस्थान के 28 लाख लोगों ने करीब 2850 करोड़ रुपए का निवेश किया था। इसके अलावा, पूरे देश में 5.85 करोड़ निवेशकों ने कुल मिलाकर 48,100 करोड़ का निवेश किया था। लेकिन इस कंपनी के खिलाफ कई राज्यों में मुकदमे दर्ज हुए हैं, जिनमें जयपुर सबसे पहले था। आरोप है कि कंपनी ने निवेशकों के पैसों के साथ धोखाधड़ी की, और अब प्रताप सिंह खाचरियावास की भूमिका इस घोटाले में करीब 30 करोड़ रुपए के निवेश से जुड़ी बताई जा रही है।
राजनीतिक उफान: ED के कदमों पर विरोध का मंजर
प्रताप सिंह खाचरियावास के खिलाफ ED की कार्रवाई ने न सिर्फ कांग्रेस, बल्कि राज्य के कई बड़े नेताओं को भी रिएक्ट करने पर मजबूर कर दिया है। पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा, पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, और नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने इस कार्रवाई को राजनीतिक बदले की भावना से प्रेरित बताया। गोविंद सिंह डोटासरा ने सोशल मीडिया पर हमला बोलते हुए कहा, “चुनाव हारने के बाद खाचरियावास जी भाजपा सरकार के खिलाफ लगातार सवाल उठा रहे हैं, और अब उन पर श्वष्ठ के छापे डाले जा रहे हैं। यह बदले की भावना से की गई कार्रवाई है। भाजपा ने श्वष्ठ को अपना फ्रंटल ऑर्गनाइजेशन बना लिया है।”
क्योंकि प्रताप सिंह खाचरियावास जी भाजपा सरकार द्वारा #IIFA के नाच गाने में उड़ाए 100 करोड़ रुपए पर तीखे सवाल पूछ रहे हैं।
क्योंकि जयपुर का बेटा उन 100 करोड़ रुपए के लिए सवाल पूछ रहा है, जो कांग्रेस सरकार ने आराध्य देव गोविन्द देव जी के मंदिर कॉरिडोर व भव्यता के घोषित किए थे।…
— Govind Singh Dotasra (@GovindDotasra) April 15, 2025
क्या है खाचरियावास की प्रतिक्रिया?
प्रताप सिंह खाचरियावास ने इस पूरे मामले पर पलटवार करते हुए कहा, “बजरी में घोटाला, आईफा में घोटाला, माइनिंग में घोटाला… क्या सजा मिल गई? कोर्ट ही सजा देगा। मैं न डरता हूं, न डरूंगा। ऐसी की तैसी 400 बार।” खाचरियावास ने साफ तौर पर कहा कि यह सब राजनीतिक प्रतिशोध की भावना से किया जा रहा है।
गहलोत का राजनीतिक निशाना
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस पर ट्विटर पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “2020 में जब भाजपा ने राजस्थान में कांग्रेस सरकार को गिराने की कोशिश की थी, उस समय खाचरियावास का मुखर विरोध था, और अब श्वष्ठ उन पर फिर से कार्रवाई कर रही है। यह साफ संकेत है कि केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग किया जा रहा है।”
पूर्व मंत्री और कांग्रेस नेता श्री @PSKhachariyawas के निवास पर ED की रेड की कार्रवाई निंदनीय है।
2020 में राजस्थान में कांग्रेस सरकार गिराने के प्रयास के समय भाजपा का मुखरता से विरोध करने पर श्री खाचरियावास से ED ने केवल प्रताड़ित करने के उद्देश्य से 12 अगस्त 2020 को 7-8 घंटे…
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) April 15, 2025
सचिन पायलट और टीकाराम जूली भी नहीं चुप रहे
सचिन पायलट ने कहा, “यह कार्रवाई सरकार की प्राथमिकताओं पर सवाल उठाती है। विपक्षी नेताओं के खिलाफ एजेंसियों का इस्तेमाल साफ दिखाता है कि राजनीतिक प्रतिशोध लिया जा रहा है। हम लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं।” टीकाराम जूली ने भी इसे “राजनीतिक प्रतिशोध” की कार्रवाई बताया और कहा कि खाचरियावास का भाजपा सरकार के खिलाफ मुखर विरोध ही उनके खिलाफ यह सब कार्रवाई करवा रहा है।
पूर्व मंत्री एवं कांग्रेस नेता @PSKhachariyawas जी के निवास पर की गई ED की कार्रवाई सरकार की प्राथमिकताओं पर सवाल उठाती है। जिस प्रकार से विपक्ष के नेताओं के खिलाफ एजेंसियों का इस्तेमाल किया जा रहा है, वह साफ संकेत है कि राजनीतिक प्रतिशोध लिया जा रहा है।
हमारा लोकतांत्रिक…
— Sachin Pilot (@SachinPilot) April 15, 2025
पूर्व मंत्री एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता श्री प्रताप सिंह खाचरियावास जी मुखरता से भाजपा सरकार के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। इसी से डरकर भाजपा सरकार ने केन्द्रीय एजेंसियों को उनके घर भेज दिया है। 2020 में भी उन्हें इसी तरह परेशान करने का प्रयास हुआ था। श्री प्रताप सिंह खाचरियावास के…
— Tika Ram Jully (@TikaRamJullyINC) April 15, 2025
राजनीतिक तकरार: कौन है सही और कौन है गलत?
ED की कार्रवाई ने इस घोटाले को लेकर एक बड़ा मोड़ दिया है, लेकिन राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का खेल अब भी जारी है। जहां एक तरफ भाजपा और उसकी सरकार इसे न्यायपूर्ण कार्रवाई मानती है, वहीं विपक्ष इसे संगठित राजनीतिक बदले की कोशिश बता रहा है।
आखिरकार, क्या है खाचरियावास का भविष्य?
अब सवाल यह उठता है कि क्या इस पूरे घटनाक्रम से प्रताप सिंह खाचरियावास के खिलाफ कोई ठोस सबूत सामने आते हैं? या यह सिर्फ एक और राजनीतिक दुरुपयोग है? क्या कांग्रेस पार्टी इस बार भी अपने नेताओं के खिलाफ होने वाली कार्रवाई को राजनीतिक प्रतिशोध का हिस्सा मानेगी? आने वाले दिनों में इस मामले में और ज्यादा उलझाव हो सकता है, क्योंकि यह मामला सिर्फ एक घोटाले तक सीमित नहीं है, बल्कि एक राजनीतिक युद्ध बन चुका है।
