sanskritiias

Rajasthan News: उदयपुर में जुटे सौ से अधिक वैज्ञानिक, अभियंता और शोधकर्ता,पशुपालन के लिए मशीनीकरण पर किया मंथन

Share this post

Udaipur news
Rajasthan News: More than a hundred scientists, engineers and researchers gathered in Udaipur, brainstormed on mechanization for animal husbandry

उदयपुर. Rajasthan News: पशुपालन के क्षेत्र में आधुनिक तकनीकों और मशीनीकरण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ‘पशुपालन के लिए मशीनीकरण’ विषय पर 24वीं दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एमपीयूएटी), उदयपुर में किया गया। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर), नई दिल्ली और देश के विभिन्न हिस्सों से आए सौ से अधिक वैज्ञानिकों, अभियंताओं और शोधकर्ताओं ने इसमें भाग लिया।

पशुपालन में मशीनीकरण क्यों जरूरी?

कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में भारत सरकार के पशुपालन आयुक्त डॉ. अभिजीत मित्रा ने बताया कि पशुपालन के तीन महत्वपूर्ण घटक— उत्पादन, रखरखाव और फूड सेफ्टी में मशीनीकरण की अपार संभावनाएं हैं। उन्होंने डेयरी और पोल्ट्री उद्योग में अत्याधुनिक मशीनों के उपयोग को समय की आवश्यकता बताया। उन्होंने कहा कि भारत में 192 मिलियन गौवंश हैं, जिनमें 27% क्रॉस ब्रीड हैं, लेकिन केवल 10% ही सक्रिय दुग्ध उत्पादन में शामिल हैं। ऐसे में, यदि पशुपालन के क्षेत्र में स्वचालित सफाई, चारा प्रबंधन और दुग्ध निकासी जैसी तकनीकों का समावेश किया जाए, तो पशुपालकों का श्रम बचेगा और उत्पादकता में वृद्धि होगी।

पारंपरिक सोच से आगे बढ़ने की जरूरत

कार्यशाला में आईसीएआर के उपमहानिदेशक (अभियांत्रिकी) डॉ. एस.एन. झा ने कहा कि केवल पशुपालन ही नहीं, बल्कि संपूर्ण मशीनीकरण की दिशा में आगे बढ़ना होगा। उन्होंने बताया कि जलवायु नियंत्रण, स्वच्छता और नमी प्रबंधन से दुग्ध उत्पादन में 10% तक की वृद्धि संभव है।उन्होंने इस तथ्य को रेखांकित किया कि जब तक सूरज और चांद रहेंगे, तब तक पशुधन की आवश्यकता बनी रहेगी। अतः, पारंपरिक तरीकों को छोड़कर आधुनिक तकनीकों को अपनाना ही एकमात्र विकल्प है।

जल, जंगल और जमीन पर हर जीव का अधिकार

एमपीयूएटी के कुलपति डॉ. अजीत कुमार कर्नाटक ने अपने संबोधन में प्राकृतिक संसाधनों के समान अधिकार की बात उठाई। उन्होंने कहा कि जल, जंगल, जमीन और जलवायु सिर्फ मनुष्य के लिए नहीं हैं, बल्कि प्रत्येक जीव के भी इन पर समान अधिकार हैं।उन्होंने जोर देकर कहा कि पशुपालन में तकनीकी विकास से दूध निकालने, चारा प्रबंधन, अपशिष्ट निस्तारण और जल आपूर्ति जैसी व्यवस्थाओं में सुधार लाया जा सकता है। इसके साथ ही, पशुओं के लिए स्वच्छ आवास और बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं को भी प्राथमिकता देने की जरूरत है।

भावी योजनाएं और नवाचार

आईसीएआर के सहायक महानिदेशक (एएनपी) डॉ. अमरीश त्यागी ने कहा कि आने वाले समय में कौशल विकास और क्षमता निर्माण पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। पशुपालन क्षेत्र में अत्याधुनिक अनुसंधान, सर्वेक्षण और तकनीक हस्तांतरण से नई मशीनों और उपकरणों का विकास किया जाएगा।इस अवसर पर परियोजना समन्वयक डॉ. एस.पी. सिंह और सीआईएई भोपाल के निदेशक डॉ. सी.आर. मेहता ने पशु प्रबंधन में उन्नत तकनीकों के महत्व पर प्रकाश डाला।

तकनीकी साहित्य का विमोचन

कार्यशाला के दौरान, डा. लोकेश गुप्ता द्वारा लिखित पुस्तक ‘आधुनिक पशुपालन एवं प्रबंधन’ और ‘पशु आहार प्रबंधन’ एवं ‘पशुचालित उन्नत कृषि यंत्र’ पर आधारित पेम्फलेट का विमोचन किया गया।

देशभर के विशेषज्ञों ने लिया हिस्सा

इस कार्यशाला में देशभर की प्रतिष्ठित संस्थाओं के विशेषज्ञों और शोधकर्ताओं ने भाग लिया, जिनमें प्रमुख रूप से शामिल हैं:

  • आईसीएआर-सीआईएई भोपाल (मध्य प्रदेश)
  • एमपीयूएटी उदयपुर (राजस्थान)
  • जीबीपीयूएटी पंतनगर (उत्तराखंड)
  • यूएएस रायचूर (कर्नाटक)
  • वीएनएमयू परभणी (महाराष्ट्र)
  • आईजीकेवी रायपुर (छत्तीसगढ़)
  • ओयूएटी भुवनेश्वर (ओडिशा)
  • आईसीएआर-एनडीआरआई करनाल (हरियाणा)
  • सीएयू-सीएईपीएचटी गंगटोक (सिक्किम)

राष्ट्रीय कार्यशाला में प्रस्तुत शोध और तकनीकी नवाचारों ने यह स्पष्ट कर दिया कि पशुपालन में मशीनीकरण समय की मांग है। आधुनिक तकनीकों और स्वचालन से न केवल पशुपालकों की उत्पादकता में वृद्धि होगी, बल्कि उनकी कार्यक्षमता में भी सुधार आएगा।आने वाले वर्षों में, यदि डेयरी और पोल्ट्री उद्योग में स्वचालित प्रणालियों का व्यापक उपयोग किया जाए, तो भारत वैश्विक स्तर पर पशुधन और दुग्ध उत्पादन में नए कीर्तिमान स्थापित कर सकता है।

यह कार्यशाला भारत को एक आत्मनिर्भर और तकनीकी रूप से सशक्त पशुपालन क्षेत्र की दिशा में आगे बढ़ाने में मील का पत्थर साबित होगी।

Bharat Update 9
Author: Bharat Update 9

Leave a Comment

ख़ास ख़बरें

ताजातरीन

best news portal development company in india