
हनुमानगढ़. Rajasthan News: राजस्थान में जल संकट को ध्यान में रखते हुए फरवरी माह के लिए इंदिरा गांधी नहर (IGNP) में सिंचाई जल आपूर्ति पूरी तरह से बंद कर दी गई है। केवल पेयजल जरूरतों को पूरा करने के लिए 3000 क्यूसेक पानी छोड़ा जाएगा। इस निर्णय के पीछे भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड (BBMB) की बैठक में लिए गए फैसले हैं, जिसमें राजस्थान का जल शेयर तय किया गया।
सरहिंद फीडर रहेगा बंद, रीलाइनिंग कार्य होंगे पूरे
1 फरवरी से 28 फरवरी तक सरहिंद फीडर में पूरी तरह से जल प्रवाह रोका जाएगा। इस दौरान रीलाइनिंग (मरम्मत) कार्य किए जाएंगे, जिससे नहर की जल धारण क्षमता और संरचना को मजबूत किया जा सके। अधिकारियों के अनुसार, कॉमन बैंक की सुरक्षा को देखते हुए नहर में पानी की मात्रा सीमित रखी जा रही है।
15 जिलों को प्रभावित करेगी यह कटौती
इंदिरा गांधी नहर परियोजना (IGNP) राजस्थान के हनुमानगढ़, श्रीगंगानगर, चूरू, बीकानेर, नागौर, जोधपुर, जैसलमेर सहित 15 जिलों को पानी उपलब्ध कराती है। भाखड़ा और पौंग बांधों में घटते जल स्तर के कारण राजस्थान के जल शेयर में कटौती की गई है। इसका सीधा असर किसानों की रबी फसल (गेहूं, सरसों आदि) की सिंचाई पर पड़ सकता है, जिससे किसान चिंता में हैं।
फरवरी में जल आपूर्ति का विवरण
BBMB की बैठक में तय जल आवंटन के अनुसार:
- इंदिरा गांधी नहर (IGNP) – 3000 क्यूसेक
- गंग नहर – 1400 क्यूसेक
- भाखड़ा नहर – 850 क्यूसेक
- सिद्धमुख नोहर नहर – 500 क्यूसेक
- खारा प्रणाली की नहरें – 200 क्यूसेक
जल संकट के पीछे प्रमुख कारण
- मानसून में कम वर्षा के कारण बांधों का जलस्तर न्यूनतम स्तर पर पहुंच चुका है।
- मावठ (सर्दियों की बारिश) भी इस वर्ष कमजोर रही, जिससे भूजल पुनर्भरण नहीं हो सका।
- नहरों की मरम्मत कार्यों के चलते जल आपूर्ति में अस्थायी व्यवधान।
कॉमन बैंक: पानी आपूर्ति संतुलन की कड़ी
सरहिंद फीडर और राजस्थान फीडर के बीच स्थित क्षेत्र को “कॉमन बैंक” कहा जाता है। यदि किसी एक फीडर में जल प्रवाह घटता या बढ़ता है तो इसका असर कॉमन बैंक की स्थिरता पर पड़ता है। इस संतुलन को बनाए रखने के लिए, सरहिंद फीडर के बंद होने की स्थिति में इंदिरा गांधी नहर में भी पानी की मात्रा सीमित करनी पड़ी।
किसानों के लिए चिंता का विषय
कृषि पर निर्भर किसानों को इस कटौती से बड़ा झटका लगा है। गेहूं की फसल पकने के इस महत्वपूर्ण समय में नहरों से पानी की आपूर्ति ठप होने से सिंचाई व्यवस्था चरमरा सकती है। किसानों का कहना है कि यदि जल्द कोई वैकल्पिक समाधान नहीं निकाला गया, तो फसल उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
आगे की राह
राजस्थान सरकार और जल संसाधन विभाग इस जल संकट से निपटने के लिए वैकल्पिक योजनाओं पर विचार कर रहे हैं। यदि जल संकट गहराता है तो भूजल स्रोतों और ट्यूबवेलों के माध्यम से पानी उपलब्ध कराने के प्रयास किए जाएंगे। किसानों को जल संरक्षण तकनीकों और ड्रिप सिंचाई जैसी आधुनिक विधियों को अपनाने की सलाह दी जा रही है।
