
जयपुर. Rajasthan News: राजस्थान की प्राकृतिक विरासत को बचाने की दिशा में एक बड़ा और ऐतिहासिक कदम उठाते हुए राज्य सरकार ने नया हिल बायलॉज लागू कर दिया है। अब राज्य की पहाडिय़ों पर मनमर्जी से रिजॉर्ट, फार्म हाउस, होटल या अन्य कॉमर्शियल निर्माण कार्य नहीं हो सकेंगे। सरकार की इस नई नीति का उद्देश्य है—पर्यावरण संरक्षण, जल स्रोतों की सुरक्षा और भविष्य की पीढिय़ों के लिए पहाड़ी क्षेत्रों को संरक्षित रखना।
अब ढलान ही तय करेगा निर्माण की सीमा
पहले जहां 60 डिग्री तक की ढलान पर निर्माण की अनुमति थी, वहीं अब यह सीमा सिर्फ 15 डिग्री तक कर दी गई है। यानी इससे अधिक ढलान वाले पहाड़ी क्षेत्र को “नो-कंस्ट्रक्शन जोन” घोषित किया गया है। इससे माउंट आबू, उदयपुर, राजसमंद, बांसवाड़ा जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में अंधाधुंध कटाई पर लगाम लगेगी।
पहाड़ी क्षेत्रों की हुई श्रेणीबद्ध पहचान
सरकार ने राज्य के पहाड़ी क्षेत्रों को तीन श्रेणियों में बांटा है:
‘अ’ श्रेणी (0-8° ढलान): आवासीय योजना और कॉमर्शियल विकास की अनुमति (टाउनशिप पॉलिसी अनुसार)।
‘ब’ श्रेणी (9-15° ढलान): रिजॉर्ट, फार्म हाउस, होटल, योग-प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र, कैम्पिंग साइट आदि की सीमित अनुमति।
‘स’ श्रेणी (15° से अधिक ढलान): नो-कंस्ट्रक्शन ज़ोन, यहां कोई निर्माण कार्य संभव नहीं।
निर्माण के नए नियम क्या कह रहे हैं?
- फार्म हाउस: न्यूनतम 5000 वर्गमीटर जमीन, 500 वर्गमीटर में निर्माण।
- रिजॉर्ट: कम से कम 2 हेक्टेयर ज़मीन, 20त्न हिस्से में निर्माण, अधिकतम ऊंचाई 9 मीटर।
- एम्यूजमेंट पार्क: 5 हेक्टेयर जमीन जरूरी, निर्माण सिर्फ 10त्न क्षेत्र में।
- धार्मिक/योग/वेलनेस सेंटर: न्यूनतम 1 हेक्टेयर ज़मीन पर ही स्वीकृति।
- बेसमेंट और स्टिल्ट फ्लोर की सख्त मनाही।
- भवन की छत पर मम्टी, मशीन रूम, वॉटर टैंक की ऊंचाई 3 मीटर तक सीमित।
जल स्रोतों की सीमा में नहीं होगा छेड़छाड़
- नदियों, नालों और बावडिय़ों जैसे जल स्रोतों की सुरक्षा के लिए “बफर ज़ोन” निर्धारित किया गया है:
- चौड़े जल स्रोतों से कम से कम 9 मीटर दूरी
- छोटे जल निकायों और बावड़ी से 6 मीटर की दूरी
- इन क्षेत्रों की भूमि का उपयोग नहीं बदला जा सकेगा
हर निर्माण में हरियाली अनिवार्य
नई नीति के तहत कुल ज़मीन का कम से कम 40त्न हिस्सा हरा-भरा होना चाहिए। सघन वृक्षारोपण अनिवार्य किया गया है, जिससे स्थानीय पारिस्थितिकी को संतुलित रखा जा सके।
पर्यावरणीय प्रबंधन भी अनिवार्य
- वर्षा जल संचयन के लिए छोटे जलाशयों का निर्माण जरूरी।
- बायो-डायजेस्टर से ही मल-जल निस्तारण संभव होगा, बाहरी बहाव की अनुमति नहीं।
- निर्माणकर्ता को खुद की या नजदीकी 500 मीटर क्षेत्र में पार्किंग की व्यवस्था करनी होगी।
कोर्ट के दबाव में तुरंत लागू हुई पॉलिसी
सूत्रों के अनुसार, सोमवार को राजस्थान हाईकोर्ट में “हिल क्षेत्र में अवैध निर्माण” को लेकर एक महत्वपूर्ण सुनवाई होनी है। इसी के चलते सरकार ने शनिवार, यानी छुट्टी के दिन, भी यह बायलॉज जारी कर दिया ताकि कोर्ट में मजबूत पक्ष रखा जा सके।
पहले से स्वीकृत योजनाओं का क्या होगा?
- अगर भवन निर्माण की अनुमति नहीं मिली है, तो नई नीति लागू होगी।
- अगर पहले से अनुमति मिली है, तो उसे संशोधित किया जा सकता है, और 9 मीटर ऊंचाई की सीमा लागू होगी।
