
मंत्री ने यह भी बताया कि इन नए उप केंद्रों के लिए 998 पदों के सृजन की स्वीकृति भी दी गई है, जिसमें पशुधन सहायक और पशुधन परिचर शामिल होंगे, जिनसे पशुओं के टीकाकरण, बीमारियों का इलाज, और अन्य सेवाएं मुहैया कराई जाएंगी। प्रत्येक उप केंद्र के लिए 30-30 हजार रुपये की राशि उपकरणों और फर्नीचर के लिए स्वीकृत की गई है, ताकि हर केंद्र को आधुनिक सेवाओं के लिए तैयार किया जा सके। इसके अलावा, पिछले एक साल में सरकार ने 25 पशु चिकित्सालयों को बहुद्देशीय चिकित्सालयों में, 50 को प्रथम श्रेणी चिकित्सालयों में और 100 पशु चिकित्सा उप केंद्रों को पशु चिकित्सालयों में क्रमोन्नत किया है। साथ ही, दो नए पशु चिकित्सालय खोलने की स्वीकृति भी दी गई है।
कुमावत ने यह भी बताया कि नए उप केंद्र विभिन्न जिलों में खोले जाएंगे, जिनमें बाड़मेर (52), जोधपुर (31), जालोर (34), उदयपुर (27), पाली (49), बीकानेर (24), चित्तौड़गढ़ और भरतपुर (22-22), अजमेर (20), झालावाड़ (19), भीलवाड़ा (17), डूंगरपुर (15), और जैसलमेर, करौली व प्रतापगढ़ (13-13) शामिल हैं।
राज्य सरकार द्वारा 499 नए पशु चिकित्सा उप केंद्रों को खोलने के फैसले के कई महत्वपूर्ण फायदे होंगे, जो प्रदेश के पशुपालकों और पशु चिकित्सा सेवाओं को बेहतर बनाने में मदद करेंगे:
1. पशुपालकों को स्थानीय स्तर पर बेहतर सेवा मिल सकेगी
- नए पशु चिकित्सा उप केंद्रों के खुलने से पशुपालकों को अब अपने गांव या नजदीकी क्षेत्र में ही पशुओं की चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध होंगी। इससे उन्हें दूर-दराज के इलाकों में जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी, और उनका समय और पैसा दोनों बचेंगे।
2. समय पर इलाज और टीकाकरण
- उप केंद्रों पर पशुओं का समय पर इलाज और टीकाकरण किया जा सकेगा। इससे पशुओं में बीमारियों का फैलाव कम होगा और उनकी सेहत बेहतर रहेगी, जिससे पशुपालकों की आय में भी वृद्धि हो सकती है।
3. पशुओं की बेहतर देखभाल
- उप केंद्रों के खुलने से न केवल इलाज बल्कि पशुओं की उचित देखभाल भी सुनिश्चित हो पाएगी। इससे उनकी उत्पादकता बढ़ सकती है, जैसे दूध उत्पादन, घी उत्पादन, आदि, जो पशुपालकों की आय में इजाफा करेगा।
4. पशुपालकों के जीवन स्तर में सुधार
- पशुओं की अच्छे से देखभाल और इलाज से पशुपालकों की जीवनशैली में सुधार होगा। बेहतर पशु स्वास्थ्य से उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत हो सकती है, क्योंकि बीमारियों का इलाज न होने पर पशुपालकों को नुकसान होता है।
5. स्थानीय रोजगार के अवसर
- नए उप केंद्रों के संचालन के लिए 998 नए पदों का सृजन किया जाएगा, जिसमें पशुधन सहायक और परिचर शामिल होंगे। इससे स्थानीय स्तर पर रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे और युवाओं को काम मिल सकेगा।
6. कृषि और पशुपालन के क्षेत्र में समग्र विकास
- पशुओं की सेहत बेहतर होने से कृषि और पशुपालन का समग्र विकास होगा, क्योंकि कृषि और पशुपालन एक-दूसरे से जुड़ी हुई गतिविधियाँ हैं। जब पशुओं के स्वास्थ्य में सुधार होगा तो कृषि उत्पादन भी प्रभावित होगा।
7. चिकित्सा सेवाओं का विस्तार और गुणवत्ता में सुधार
- उप केंद्रों के लिए आधुनिक उपकरणों और फर्नीचर की स्वीकृति से पशु चिकित्सा सेवाओं की गुणवत्ता में भी सुधार होगा। इसके साथ ही, पशुपालकों को सभी आवश्यक सेवाएं आसानी से उपलब्ध हो सकेंगी।
8. ग्रामीण इलाकों में चिकित्सा सेवाओं की पहुंच
- यह योजना मुख्य रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में लागू होगी, जहां पशुपालकों को चिकित्सा सेवाएं आसानी से उपलब्ध नहीं होतीं। इससे ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच बढ़ेगी और पशुपालकों की समस्याओं का समाधान त्वरित तरीके से होगा।
9. राज्य की समग्र विकास दिशा में सकारात्मक प्रभाव
- राज्य सरकार का यह कदम राज्य के समग्र विकास के लिहाज से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि जब पशुपालक खुशहाल होंगे, तो इससे राजस्थान के आर्थिक और सामाजिक विकास में योगदान मिलेगा।
