
बीकानेर. Rajasthan News : राजस्थान पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, बीकानेर का 8वां दीक्षांत समारोह मंगलवार को गरिमामयी वातावरण में आयोजित हुआ। समारोह की अध्यक्षता करते हुए राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने कहा कि देश की प्रगति केवल भौतिक संसाधनों जैसे सडक़ें, पुल और भवनों से नहीं, बल्कि नागरिकों के बौद्धिक, शारीरिक और चारित्रिक विकास से ही सच्चे अर्थों में सुनिश्चित होती है।
राज्यपाल बागडे ने मीरा बाई ऑडिटोरियम, महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित इस भव्य आयोजन में विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि आज के युग में डिग्री प्राप्त करना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि छात्रों को कौशल विकास, चरित्र निर्माण और स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता जैसे आयामों पर भी ध्यान देना चाहिए। उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे विश्वविद्यालय परिसर में एक-एक पौधा लगाकर उसकी देखभाल करें – यही उनकी सच्ची गुरु दक्षिणा होगी और आने वाली पीढिय़ों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी।
प्राचीन ज्ञान की ओर लौटने की जरूरत
राज्यपाल ने पशु चिकित्सा के ऐतिहासिक महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारत इस क्षेत्र में प्राचीन काल से अग्रणी रहा है। उन्होंने ऋग्वेद और अथर्ववेद में पशुपालन की वैज्ञानिक पद्धतियों और चिकित्सा ज्ञान का उल्लेख करते हुए शालिहोत्र संहिता की बात की, जो पशु चिकित्सा का पहला ज्ञात ग्रंथ माना जाता है। उन्होंने निर्देश दिया कि यह ग्रंथ विश्वविद्यालय पुस्तकालय में उपलब्ध कराया जाए ताकि विद्यार्थी अपने परंपरागत ज्ञान-विरासत से परिचित हो सकें।

दुग्ध उत्पादन में अग्रणी भारत, लेकिन ज़रूरत और आगे बढऩे की
राज्यपाल ने बताया कि भारत वर्तमान में विश्व का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश है, जिसमें राजस्थान की भूमिका भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। गिर, साहीवाल और मुर्रा जैसी देशी नस्लें इस सफलता की आधारशिला हैं। उन्होंने बकरी, भेड़ व मुर्गी पालन के क्षेत्र में भी संभावनाओं की ओर ध्यान आकर्षित किया और इन क्षेत्रों में अनुसंधान एवं विकास पर बल दिया।
राज्य सरकार की योजनाएं और प्रयास
इस अवसर पर पशुपालन, गोपालन, डेयरी एवं देवस्थान मंत्री जोराराम कुमावत ने राज्य में पशुपालन के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि राजस्थान एक कृषि प्रधान राज्य है, जहाँ 70 प्रतिशत आबादी कृषि और पशुपालन पर निर्भर है। उन्होंने बताया कि भारत में दूध उत्पादन में राजस्थान देश में दूसरा स्थान रखता है और इसकी जीडीपी में पशुपालन का लगभग 5 प्रतिशत योगदान है। मंत्री कुमावत ने राज्य सरकार की प्रमुख योजनाओं का ज़िक्र करते हुए कहा कि सरकार इन योजनाओं को ज़मीनी स्तर पर प्रभावी बनाने के लिए सतत प्रयासरत है।
- मुख्यमंत्री मंगला पशु बीमा योजना
- गोपाल क्रेडिट कार्ड योजना
- सेक्स सॉर्टेड सीमेन तकनीक
- मोबाइल वेटरनरी यूनिट
- पशु चिकित्सा सेवाओं का विस्तार
जलवायु परिवर्तन और पशुधन सुरक्षा
समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित डॉ. नितीन वी. पाटिल, कुलपति, महाराष्ट्र पशु एवं मत्स्य विज्ञान विश्वविद्यालय, नागपुर ने अपने दीक्षांत भाषण में कहा कि जलवायु परिवर्तन से पशुधन उत्पादन की स्थिरता को गंभीर खतरा है। उन्होंने प्रजनन कार्यक्रमों में सुधार, स्थानीय नस्लों का संरक्षण, और जलवायु अनुकूल कृषि रणनीतियों की आवश्यकता पर बल दिया।
उपलब्धियाँ और सम्मान
कुलपति प्रो. आचार्य मनोज दीक्षित ने स्वागत उद्बोधन में विश्वविद्यालय की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की। उन्होंने बताया कि दीक्षांत समारोह में कुल:
- 433 विद्यार्थियों को स्नातक
- 71 को स्नातकोत्तर
- 11 को विद्या वाचस्पति की उपाधियां प्रदान की गईं। साथ ही 10 मेधावी विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया।
समारोह में राज्यपाल द्वारा:
- विश्वविद्यालय की त्रैमासिक न्यूजलेटर के नवीनतम अंक का विमोचन,
- एक वर्ष की प्रगति पुस्तिका का लोकार्पण,
- 2 करोड़ रुपये की लागत से अरुंधति कन्या छात्रावास का शिलान्यास,
- एफिलिएशन मैनेजमेंट सिस्टम, नई वेबसाइट, एवं फेस रिकॉग्निशन आधारित उपस्थिति प्रणाली की भी शुरुआत की गई।
समारोह के अंत में विश्वविद्यालय के प्रति-कुलपति प्रो. हेमंत दाधीच ने आभार व्यक्त किया।
