
Russia-Ukraine war: रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध अब एक साल से अधिक समय से जारी है और इसका प्रभाव न केवल इन दोनों देशों पर बल्कि पूरे विश्व पर पड़ रहा है। इस युद्ध ने वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति, खाद्य संकट, और सुरक्षा चिंताओं को बढ़ा दिया है, जिससे अंतरराष्ट्रीय राजनीति और अर्थव्यवस्था में गंभीर बदलाव आ रहे हैं। यह युद्ध 24 फरवरी 2022 को रूस के आक्रमण के बाद शुरू हुआ था, और इसके परिणामस्वरूप यूक्रेन में भारी जनहानि और तबाही हुई। रूस ने यूक्रेन के कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर कब्जा करने का प्रयास किया, लेकिन यूक्रेनी सेना ने अंतरराष्ट्रीय समर्थन के साथ इसका कड़ा विरोध किया।
1. ऊर्जा संकट और वैश्विक आपूर्ति पर असर
रूस दुनिया का एक प्रमुख ऊर्जा उत्पादक देश है, विशेष रूप से गैस और तेल के मामले में। युद्ध की शुरुआत से ही यूरोपीय देशों पर ऊर्जा संकट का दबाव बढ़ गया है। यूरोप, जो अपने अधिकांश गैस और तेल का आयात रूस से करता था, अब रूस के खिलाफ लगाए गए आर्थिक प्रतिबंधों के कारण वैकल्पिक स्रोतों की तलाश में है। इसके परिणामस्वरूप:
- गैस और तेल की कीमतें: युद्ध के कारण वैश्विक गैस और तेल की कीमतों में अभूतपूर्व वृद्धि देखी गई है, जिससे पूरी दुनिया में महंगाई बढ़ी है। विशेष रूप से यूरोपीय देशों में ऊर्जा की लागत में भारी वृद्धि हुई है।
- वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति संकट: यूरोप ने रूस से ऊर्जा आयात को धीरे-धीरे बंद किया है, जिससे वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति श्रृंखला में असंतुलन आ गया है। इसी कारण, अन्य ऊर्जा उत्पादक देशों पर दबाव बढ़ गया है, और वैश्विक ऊर्जा बाजार में अस्थिरता बनी हुई है।
- ग्रीन ऊर्जा की ओर रुझान: कई देशों ने इस संकट के बाद, वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों जैसे नवीकरणीय ऊर्जा (सौर, पवन, और हाइड्रोजन ऊर्जा) की ओर रुझान बढ़ाया है, ताकि वे रूस पर निर्भरता को कम कर सकें।
2. खाद्य संकट: वैश्विक आपूर्ति पर प्रभाव
रूस और यूक्रेन दोनों ही विश्व के बड़े अनाज उत्पादक देश हैं, विशेष रूप से गेहूं, मक्का, और सूरजमुखी तेल के मामले में। युद्ध के कारण इन देशों से अनाज की आपूर्ति में गंभीर रुकावटें आई हैं, जिससे खाद्य संकट और भी गहरा गया है।
- यूक्रेन का अनाज निर्यात प्रभावित: युद्ध ने यूक्रेन के प्रमुख अनाज उत्पादक क्षेत्रों को बुरी तरह से प्रभावित किया है। रूस ने कई बंदरगाहों पर कब्जा कर लिया और यूक्रेनी पोर्ट्स को ब्लॉक किया, जिससे गेहूं और अन्य अनाज के निर्यात में भारी कमी आई।
- वैश्विक खाद्य कीमतें बढ़ीं: दुनिया भर में खाद्य सामग्री की कीमतें बढ़ गईं, विशेष रूप से विकासशील देशों में। अफ्रीका और एशिया के कई देशों में भूख और खाद्य असुरक्षा की स्थिति गंभीर हो गई है।
- संयुक्त राष्ट्र की चेतावनी: संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है कि अगर युद्ध जारी रहता है, तो अफ्रीका और मध्य-पूर्व देशों में खाद्य संकट और भी गहरा सकता है। विशेष रूप से अफ्रीका में अनाज की कमी के कारण कई देशों में सामाजिक अशांति और संघर्ष हो सकते हैं।
3. वैश्विक सुरक्षा और राजनीतिक तनाव
रूस-यूक्रेन युद्ध ने वैश्विक सुरक्षा स्थिति को चुनौती दी है और राजनीतिक तनाव बढ़ा दिया है। पश्चिमी देशों, विशेष रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ, ने रूस पर कड़े प्रतिबंध लगाए हैं, जबकि रूस ने इन प्रतिबंधों के जवाब में कई सैन्य और कूटनीतिक कदम उठाए हैं।
- नाटो का विस्तार: युद्ध के बाद, नाटो (नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन) में स्वीडन और फिनलैंड के शामिल होने की प्रक्रिया तेज हो गई है। रूस ने इसका विरोध किया, लेकिन इन देशों का कहना है कि रूस का आक्रमण ही उनके लिए नाटो में शामिल होने का कारण बना है।
- संयुक्त राष्ट्र की निष्क्रियता: युद्ध के मामले में संयुक्त राष्ट्र की भूमिका को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं। रूस के खिलाफ कड़े कदम उठाने के बजाय, संयुक्त राष्ट्र ने शांति स्थापित करने में काफी सीमित भूमिका निभाई है। यह अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं की प्रभावशीलता पर सवाल खड़ा करता है।
- चीन और भारत की स्थिति: चीन ने रूस के प्रति अपनी रणनीतिक साझेदारी को मजबूत किया है, जबकि भारत ने एक संतुलित स्थिति अपनाई है, दोनों पक्षों के साथ संवाद बनाए रखा है। भारत ने रूस से ऊर्जा खरीद बढ़ाई है, जबकि पश्चिमी देशों के साथ भी अपने संबंधों को कायम रखा है।
4. मानवाधिकार और मानवीय संकट
यूक्रेन में युद्ध के कारण मानवाधिकार का उल्लंघन हो रहा है। रूस पर आरोप हैं कि उसने यूक्रेनी नागरिकों के खिलाफ अत्याचार किए हैं, जैसे सैनिकों द्वारा नागरिकों पर हमले और रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल।
- यूक्रेनी शहरों का नष्ट होना: कीव, मारियूपोल, और अन्य शहरों में भारी बमबारी और रूसी हमलों ने इन शहरों को नष्ट कर दिया, जिससे लाखों लोग शरणार्थी बन गए और कई परिवार बिखर गए।
- शरणार्थी संकट: युद्ध के कारण यूक्रेन से आठ मिलियन से अधिक शरणार्थी यूरोप के विभिन्न देशों में प्रवास कर चुके हैं, जिससे इन देशों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति पर दबाव बढ़ा है।
5. युद्ध का आर्थिक प्रभाव
रूस-यूक्रेन युद्ध का वैश्विक अर्थव्यवस्था पर गहरा असर पड़ा है। विशेष रूप से ऊर्जा, खाद्य और वित्तीय क्षेत्र में इसका बड़ा प्रभाव देखने को मिला:
- वैश्विक बाजारों में अस्थिरता: युद्ध के कारण वैश्विक शेयर बाजार और कमोडिटी बाजारों में अस्थिरता आई है, जिससे निवेशकों को भारी नुकसान हुआ है।
- वित्तीय प्रतिबंध: रूस पर लगाए गए आर्थिक प्रतिबंधों ने रूसी अर्थव्यवस्था को मुश्किल में डाल दिया है, लेकिन इसके बावजूद रूस ने चीन और अन्य देशों के साथ व्यापार बढ़ाया है।
- महंगाई दर में वृद्धि: दुनिया भर में महंगाई दर बढ़ी है, खासकर तेल, गैस और खाद्य पदार्थों की कीमतों में। विकासशील देशों में यह समस्या ज्यादा गंभीर है।
6. युद्ध के अंत की संभावनाएँ
यूक्रेन में युद्ध कब खत्म होगा, यह अभी भी अनिश्चित है। दोनों पक्षों के बीच शांति की कोई ठोस पहल नहीं हुई है, और युद्ध की दिशा अभी भी बदलती रहती है।
- रूस का उद्देश्य: रूस चाहता है कि यूक्रेन नाटो का हिस्सा न बने और रूसी भाषा और संस्कृति को लेकर एक समझौता किया जाए।
- यूक्रेनी संघर्ष: यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमीर जेलेंस्की ने बार-बार कहा है कि युद्ध तब तक नहीं रुकेगा जब तक रूस यूक्रेन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान नहीं करता।
