
जयपुर. Shri Karni Mata mandir: राजस्थान के बीकानेर जिले में स्थित प्रसिद्ध श्री करणी माता मंदिर में अब विशाल विकास कार्य होंगे, जिनकी लागत करीब 22.57 करोड़ रुपए होगी। यह योजना ‘प्रसाद’ योजना के तहत लागू की जाएगी, जिसे केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने साझा किया।
क्या है प्रसाद योजना?
प्रसाद योजना, जिसे “तीर्थयात्रा कायाकल्प और आध्यात्मिक संवर्धन अभियान” भी कहा जाता है, भारतीय पर्यटन मंत्रालय द्वारा 2014-15 में शुरू की गई थी। इसका उद्देश्य भारत के प्रमुख तीर्थ स्थलों को बेहतर बनाना, धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देना और तीर्थयात्रियों के लिए बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराना है। इस योजना के तहत केंद्र और राज्य सरकार मिलकर तीर्थ स्थलों की पहचान बढ़ाने और पर्यटकों को बेहतर अनुभव देने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती हैं।
मंदिर का महत्व
श्री करणी माता मंदिर, जो बीकानेर के देसनोक में स्थित है, हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों में से एक है। इस मंदिर की खास बात यह है कि यहां करणी माता की पूजा होती है, जिन्हें रतन सिंह के वंशज माना जाता है। मंदिर का सबसे खास आकर्षण चूहे हैं, जिन्हें यहां भगवान के रूप में पूजते हैं। इस मंदिर में लाखों की संख्या में चूहे रहते हैं, और श्रद्धालु उन्हें आशीर्वाद के रूप में पूजा करते हैं। मंदिर के आस-पास के वातावरण और अद्वितीय संस्कृति की वजह से यह स्थल दुनिया भर के तीर्थयात्रियों के लिए आकर्षण का केंद्र है। साथ ही, बीकानेर जिले का यह मंदिर राजस्थान के धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन का महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है।
विकास कार्य से क्या होगा लाभ?
केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने बताया कि इन विकास कार्यों से श्रद्धालुओं की सुविधाओं में भारी सुधार होगा और पर्यटन का विस्तार होगा। इसके अलावा, इस योजना के तहत मंदिर परिसर की सुंदरता को बढ़ाया जाएगा, जिससे आध्यात्मिक और पर्यटन की दृष्टि से मंदिर की पहचान और महत्वपूर्ण हो सकेगी।
प्रधानमंत्री मोदी की नीति
केंद्रीय मंत्री शेखावत ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार तीर्थ स्थलों के विकास के लिए निरंतर काम कर रही है। इस योजना के तहत अब बीकानेर के श्री करणी माता मंदिर का कायाकल्प होगा और यह श्रद्धालुओं के लिए और भी आकर्षक स्थल बन जाएगा। इस बड़े विकास कार्य से न केवल बीकानेर बल्कि पूरे राजस्थान में धार्मिक पर्यटन को और बढ़ावा मिलेगा, और श्रद्धालुओं के अनुभव को और भी बेहतर बनाया जाएगा।
श्री करणी माता मंदिर: एक अद्वितीय धार्मिक स्थल
श्री करणी माता मंदिर, राजस्थान के बीकानेर जिले के देसनोक क्षेत्र में स्थित है। यह मंदिर करणी माता को समर्पित है, जिन्हें माता दुर्गा का अवतार माना जाता है। इस मंदिर का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व अत्यधिक है, और यह राजस्थान के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है।
श्री करणी माता का इतिहास और महत्व
- करणी माता का जीवन: श्री करणी माता का जन्म 14वीं सदी में जि़ला बीकानेर के गांव सेरामपुर में हुआ था। उन्हें एक संत, योगिनी और देवी के रूप में पूजा जाता है। उनके जीवन के बारे में कई किंवदंतियाँ प्रचलित हैं, लेकिन सबसे प्रसिद्ध कथा यह है कि करणी माता का परिवार राजपूत था, और वे धार्मिक रूप से बहुत प्रतिष्ठित थीं। एक प्रसिद्ध किंवदंती के अनुसार, एक बार करणी माता के अनुयायी राजपूत राजा के पास पहुंचे और उनसे अपनी प्रजा के लिए आशीर्वाद मांगने की गुहार लगाई। राजा की एक संतान नहीं थी, और करणी माता ने उनका पुत्र प्राप्ति का आशीर्वाद दिया।
- चूहों का महत्व: इस मंदिर का सबसे अद्भुत और अनोखा पहलू यह है कि यहाँ चूहे बहुत बड़ी संख्या में रहते हैं, और इन्हें भगवान के रूप में पूजा जाता है। विश्वास किया जाता है कि ये चूहे करणी माता के भक्त हैं और उनके आशीर्वाद से ही यह स्थान पवित्र है। मंदिर में लाखों चूहे रहते हैं, और श्रद्धालु उन्हें अन्न और दूध अर्पित करते हैं। इन चूहों को काबा (पवित्र चूहा) माना जाता है। यहां के चूहे मांसाहारी नहीं होते, और मंदिर में रहने वाले चूहे सामान्य चूहों से बिल्कुल अलग होते हैं। यह चूहे मंदिर में ध्यान और पूजा के समय अपने आशीर्वाद की प्रतीक होते हैं।
- मंदिर का महत्व: श्री करणी माता मंदिर, अपने अद्वितीय वास्तुकला और धार्मिक महत्व के कारण विश्वभर में प्रसिद्ध है। यह मंदिर हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है, और इसे माँ करणी के पवित्र आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए श्रद्धालु दूर-दूर से आते हैं।
- अद्भुत आकर्षण: मंदिर में चूहों के अलावा, यहां की वास्तुकला भी आकर्षण का प्रमुख कारण है। मंदिर में कई सांस्कृतिक और धार्मिक चित्रकलाएँ हैं जो दर्शाती हैं कि करणी माता ने किस प्रकार अपने भक्तों की रक्षा की और उन्हें आशीर्वाद दिया।
मंदिर का स्थान और पहुंच
श्री करणी माता मंदिर देसनोक में स्थित है, जो बीकानेर से लगभग 30 किमी दूर है। यह जगह बीकानेर-झुंझुनू सडक़ पर स्थित है, और यहाँ पहुंचने के लिए सडक़ मार्ग से आसानी से यात्रा की जा सकती है। बीकानेर और आसपास के शहरों से यहां आने के लिए सार्वजनिक परिवहन की अच्छी व्यवस्था है।
