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SU-30MKI: पाकिस्तान-चीन को झटका: मोदी सरकार करेगी एसयू-30एमकेआई विमानों को ब्रह्मोस मिसाइल से लैस, तीसरे स्क्वाड्रन की योजना तैयार

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SU-30MKI
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नई दिल्ली. SU-30MKI:  भारत की सुरक्षा नीति और रक्षा तैयारियों के मोर्चे पर मोदी सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। जिससे पाकिस्तान और चीन को सीधी चुनौती मिलती है। भारत सरकार ने अपने अत्याधुनिक लड़ाकू विमान एसयू-30एमकेआई बेड़े को और अधिक घातक बनाने का फैसला लिया है। इन विमानों को अब ब्रह्मोस-ए एयर लॉंच क्रूज मिसाइल से लैस किया जाएगा। इसके साथ ही वाुयसेना के लिए तीसरे विशेष स्क्वाड्रन की भी योजना बनाई गई है।

हालिया घटना से मिला सबक

हाल ही में भारत और पाकिस्तान के बीच उपजे तनाव और पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत की ओर से की गई ऑपरेशन सिंदूर की जवाबी कार्रवाई ने यह साफ कर दिया है कि देश को अपनी रक्षा क्षमता को निरंतर मजबूत करना होगा। इसी कड़ी में रक्षा मंत्री राजनाथसिंह ने जनवरी माह में रक्षा मंत्रालय के सभी सचिवों के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक की थी। जिसमें रक्षा परियोजनाओं, सुधारों और भावी योजनाओं की समीक्षा की गई थी।

रक्षा बजट में बड़ी बढ़ोतरी

सरकारी सूत्रों के अनुसार, भारत ने रक्षा बजट में 50 हजार करोड़ रुपए की अतिरिक्त बढ़ोतरी करने का फैसला लिया है। यह बजट मुख्यत हथियारों की खरीद, गोला-बारूद और अनुसंधान एवं विकास जैसे क्षेत्रों में खर्च किया जाएगाद्ध। इससे पहले ही वर्ष 2025-26 के लिए रक्षा क्षेत्र को रिकॉर्ड 6.81 लाख करोड़ रूपए आवंटित किए जा चुके हैं, जो कि वर्ष 2024-25 के मुकाबे 9.2 प्रतिशत से अधिक है। इस बढ़ते बजट का बड़ा हिस्सा वायुसेना की ताकत को बढ़ाने में खर्च किया जा रहा है।

ब्रह्मोस-ए मिसाइल: दुश्मनों की नींद उड़ाने वाली तकनीक

ब्रह्मोस-ए (एयर लॉंच वर्जन) एक ऐसी मिसाइल है जो लभगत 2.5 टन वजनी, 2.8 की रफ्तार से उड़ान भरती है और 400 किलोमीटर से अधिक की दूरी तक सटीक निशाना साध सकती है। यह मिसाइल एक बार में दुश्मन के कई अहम ठिकानों को ध्वस्त कर सकती है। इस मिसाइल को खासतौर पर एसयू-30एमकेआई लड़ाकू विमानों से दागने के लिए डिजाइन किया गया है। हाल ही में हुए परीक्षणों में इसकी सफलता ने भारत की लंबी दूरी की सटीक क्षमत को दुनिया के सामने मजबूती से रखा है।

एचएएल और वायुसेना के बीच हुआ करार

इस सफलता को देखते हुए हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड और भारतीय वायुसेना ने मिलकर एक नई योजना पर काम शुरू कर दिया है। idrw.org रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2025 के अंत तक अतिरिक्त 20 एसयू-30 एमकेआई विमानो को अपग्रेड करने का कार्य शुरू होगा, जिससे वे ब्रह्मोस-ए मिसाइल ले जाने में सक्षम बन सके। इस अपगे्रड के बाद वायुसेना के पास कुल 60 एसयू-30एमकेआई विमान होंगे जो ब्रह्मोस मिसाइल दागने में सक्षम होंगे। इससे वायुसेना को तीसरा विशेष स्क्वाड्रन खड़ा करने का अवसर मिलेगा, जो केवल ब्रह्मोस-ए संचान के लिए समर्पित होगा।

अपग्रेडेशन का तकनीक पहलू

इन विमानों को अपग्रेड करते समय उनकी संरचनात्मक मजबती और वायुगतिकीय संतुलन को ध्यान में रखा जाएगा, क्योंकि 2.5 टन वजनी ब्रह्मोस मिसाइल को उड़ान के दौरान ले जाना और उसे सटीकता से छोडऩा किसी भी विमान के लिए एक चुनौतिपूर्ण कार्य होगा। एचएएल इस कार्य के लिए अपने विशेषीकृत केन्द्रों में संशोधन कार्य करेगी और 2027 तक पहले अपग्रेडेड विमानों की डिलीवदी वायुसेना को सौंपे जाने की संभावना है।

रणनीतिक दृष्टिकोरण से बड़ा बदलाव
  • इस कदम से भारत की रणनीतिक स्थिति में कई बड़े बदलाव आने की संभावना है।
  • पाकिस्तान और चीन दोनों को एक साथ सटीक हमले की क्षमता से डराना संभव होगा।
  • लद्दाख, अरूणाचल और कश्मीर जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में रणनीतिक बढ़त मिलेगी।
  • भारतीय वायुसेना की मल्टी-रोल क्षमता और पैंठ मारने की क्षमता में बड़ा इजाफा होगा।
ब्रह्मोस की ताकत: क्यों है ये गेमचेंजर
  • ब्रह्मोस मिसाइल भारत और रूस संयुक्त परियोजना है।
  • यह मिसाइल दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल में से एक है।
  • यह समुद्र, जमीन और हवा तीनों प्लेटफॉर्म से लॉंच की जा सकती है।
  • इसकी गति, रेंज और मारक क्षमता इसे दुश्मन के लिए अप्रत्याशित और अजेय बनाती है।
पाकिस्तान और चीन की चिंता बढ़ी

भारत की इस योजना ने निश्चत रूप से पाकिस्तान और चीन दोनों की रणनीतिक तैयारियों को चुनौती दे दी गठ्र है। पाकिस्तान के पास फिलहाल ऐसा कोई जवाब नहीं है जिससे वह ब्रह्मोस जैसी मिसाइल का मुकाबला कर सके। वहीं चीन के लिए भी यह खतरे की घंटी है क्योंकि ब्रह्मोस की तेज रफ्तार और सटीक मारक क्षमता तिब्बत और यारलुंग झील क्षेत्र में स्थित चीनी ठिकानों को निशाना बना सकती है।

आत्म निर्भर भारत की उड़ान

एसयू-30एमकेआई विमानों का यह अपग्रेड न केवल भारत की रक्षा ताकत को बढ़ाता है, बल्कि आत्मनिर्भर भारत के उस सपने को भी साकार करता है जहां भारत अपने सैन्य संसधानों को खुद विकसित करने की दिशा में अग्रसर है। एचएएल जैसे स्वेदेशी संसिानों की ओर से किए जा रहे इन तकनीकी सुधारों से भारत रक्षा उपकरणों के मामले में आत्मनिर्भर बनने के और करीब पहुंच रहा है। आने वाले वर्षों मे जब तीन स्क्वाड्रन पूरी तरह ब्रह्मोस से लैस होंगे, तब भारत के पास ऐसी आक्रमण क्षमता होगी, जिससे कोई भी दुश्मन आंख उठाकर देखने से पहले सौ बार सोचेगा।

Bharat Update 9
Author: Bharat Update 9

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