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Justice Yashwant Verma: दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा पर सुप्रीम कोर्ट की कड़ी कार्रवाई, न्यायिक जिम्मेदारियों से तत्काल हटाया

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Justice yashwant verma
न्यायाधीश यशवंत वर्मा

नई दिल्ली. Justice Yashwant Verma: भारतीय न्यायपालिका में एक बड़ा घटनाक्रम सामने आया है, जहां दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा को सभी न्यायिक कार्यों से तत्काल प्रभाव से हटाने का फैसला लिया गया है। यह कदम तब उठाया गया जब उनके सरकारी आवास से बड़ी मात्रा में नकदी मिलने की खबर सामने आई। इस अप्रत्याशित घटनाक्रम ने पूरे न्यायिक तंत्र को हिला कर रख दिया है।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हाईकोर्ट ने लिया बड़ा फैसला

इस मामले की गंभीरता को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना के निर्देश पर दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय ने सोमवार को यह फैसला लिया। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिया कि जस्टिस वर्मा को किसी भी प्रकार की न्यायिक जिम्मेदारी नहीं सौंपी जाए जब तक कि इस मामले की पूरी जांच न हो जाए। इसके बाद दिल्ली हाईकोर्ट प्रशासन ने आधिकारिक सर्कुलर जारी कर यह निर्णय लागू कर दिया।

तीन सदस्यीय इन-हाउस जांच कमेटी गठित

मामले की निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने एक तीन सदस्यीय इन-हाउस जांच समिति का गठन किया है। इस समिति में शामिल हैं:

  • पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शील नागू
  • हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जीएस संधावालिया
  • कर्नाटक हाईकोर्ट की न्यायाधीश अनु शिवरामन
  • दिल्ली हाईकोर्ट का आधिकारिक सर्कुलर

सोमवार को दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा जारी किए गए आधिकारिक सर्कुलर में कहा गया:

“हाल की परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, माननीय जस्टिस यशवंत वर्मा से सभी न्यायिक कार्य तुरंत प्रभाव से वापस लिए जाते हैं, जब तक कि कोई अगला आदेश न आ जाए।”

इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट की कार्यसूची (कॉजलिस्ट) में जस्टिस वर्मा को डिवीजन बेंच नंबर-3 के प्रमुख के रूप में सूचीबद्ध किया गया था। हालांकि, अब यह स्पष्ट हो गया है कि वह किसी भी सुनवाई का हिस्सा नहीं होंगे।

मामले की पृष्ठभूमि: 14 मार्च की रात आग और भारी नकदी का खुलासा

यह पूरा मामला तब प्रकाश में आया जब 14 मार्च की रात करीब 11:35 बजे दिल्ली के तुगलक रोड स्थित जस्टिस वर्मा के सरकारी आवास में आग लग गई। दिल्ली अग्निशमन सेवा (ष्ठस्नस्) की टीम ने तत्काल मौके पर पहुंचकर आग बुझाई, लेकिन बचाव अभियान के दौरान स्टोर रूम में भारी मात्रा में नकदी बरामद हुई। चौंकाने वाली बात यह थी कि कुछ नोट आंशिक रूप से जले हुए थे।

घटना के समय जस्टिस वर्मा और उनकी पत्नी भोपाल में थे। आग के बाद यह मामला और गंभीर हो गया जब पुलिस को भारी रकम संदिग्ध परिस्थितियों में मिली।

केवल ट्रांसफर नहीं, जांच भी जरूरी: सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम

इस पूरे विवाद को देखते हुए 20 मार्च को सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने सर्वसम्मति से जस्टिस वर्मा का ट्रांसफर उनके मूल कोर्ट, इलाहाबाद हाईकोर्ट में करने की सिफारिश की। हालांकि, कॉलेजियम के दो वरिष्ठ न्यायाधीशों ने इस पर आपत्ति जताई और कहा कि केवल ट्रांसफर ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि इस मामले की निष्पक्ष जांच भी होनी चाहिए।

सीजेआई संजीव खन्ना का कड़ा रुख

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने स्पष्ट रूप से कहा कि न्यायपालिका की निष्पक्षता और विश्वसनीयता को बनाए रखना सर्वोपरि है। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह मामला न केवल एक व्यक्तिगत जांच का विषय है, बल्कि न्यायपालिका की प्रतिष्ठा से भी जुड़ा हुआ है।

न्यायपालिका की निष्पक्षता पर सवाल, आगे की कार्रवाई पर सबकी नजरें

जस्टिस यशवंत वर्मा का नाम इस गंभीर मामले में आने के बाद भारतीय न्यायपालिका में एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। अब सबकी नजरें इस जांच पर टिकी हैं कि तीन सदस्यीय कमेटी क्या निष्कर्ष निकालती है और क्या जस्टिस वर्मा को किसी कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा। सुप्रीम कोर्ट की इस सख्त कार्रवाई से यह संदेश स्पष्ट हो गया है कि न्यायपालिका में पारदर्शिता और ईमानदारी से कोई समझौता नहीं किया जाएगा।

Bharat Update 9
Author: Bharat Update 9

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