
Transatlantic Tunnel: दुनिया के सबसे अमीर शख्स एलन मस्क (Elon Musk) एक और क्रांतिकारी परियोजना की ओर कदम बढ़ा रहे हैं, जिसमें वे समंदर के नीचे एक हाइपरसोनिक सुरंग (hypersonic) बनाने का सपना देख रहे हैं। इस सुरंग के निर्माण से लंदन और न्यूयॉर्क के बीच की दूरी, जो अब फ्लाइट से लगभग 8 घंटे की होती है, केवल एक घंटे में तय की जा सकेगी। यह तकनीक 5500 किलोमीटर की यात्रा को 60 मिनट में संभव बना देगी।
अटलांटिक के नीचे हाइपरसोनिक यात्रा
एलन मस्क का यह ट्रांसअटलांटिक सुरंग (Transatlantic Tunnel) निर्माण का विचार पहले से चर्चा में था, लेकिन मस्क की अत्याधुनिक तकनीक के साथ यह अब हकीकत बन सकता है। समुद्र के नीचे हाइपरसोनिक यात्रा करने का यह सपना न केवल तेजी से यात्रा की संभावना को दर्शाता है, बल्कि यह पर्यावरण के लिहाज से भी कम नुकसानदेह होगा। इस सुरंग में यात्रा करने की रफ्तार 4800 किलोमीटर प्रति घंटा तक हो सकती है, यानी 3000 मील प्रति घंटे की गति से सफर होगा।
क्रांतिकारी तकनीक और फ्लाइट से तेज यात्रा
मस्क की योजना है कि यह हाइपरसोनिक सुरंग हवाई यात्रा से कहीं अधिक प्रभावशाली साबित हो। फ्लाइट के मुकाबले यह सफर न केवल तेज होगा, बल्कि कम पर्यावरणीय प्रभाव डालेगा, जिससे यह सफर भविष्य में एक आदर्श बन सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, यात्रा का यह तरीका कार्बन उत्सर्जन को कम कर सकता है, जो पर्यावरण के लिए एक बड़ी राहत होगी।
16 अरब पाउंड का निवेश और भारी लागत
हालांकि, इस तकनीकी रूप से अत्याधुनिक परियोजना को हकीकत में बदलने में कई सालों का समय लग सकता है, फिर भी इसका अनुमानित खर्च लगभग 16 अरब पाउंड (करीब 20 ट्रिलियन डॉलर) तक हो सकता है। इस भारी लागत का अनुमान इस विशाल परियोजना के масштаб को समझने के लिए काफी है।
कैसे काम करेगा यह हाइपरलूम सिस्टम?
मस्क का सपना केवल एक तेज़ सुरंग बनाने का नहीं है, बल्कि वे एक ऐसे ट्रांसपोर्ट सिस्टम की योजना बना रहे हैं जो पूरी तरह से निर्वात (vacuum) तकनीक पर आधारित हो। इस प्रणाली में सुरंग में हवा को निकालकर एक वैक्यूम बनाया जाएगा, और फिर कैप्सूल्स को बिना किसी हवा के घर्षण के अकल्पनीय गति से सुरंग के भीतर चलाया जाएगा। इस तकनीक को हाइपरलूम (Hyperloop) कहा जाता है, जिसमें गति की सीमाएं पूरी तरह से बदल सकती हैं।
सुरंग का निर्माण – एक लंबी प्रक्रिया
हालांकि इस प्रोजेक्ट के तकनीकी और वित्तीय पहलुओं पर सवाल उठाए जा रहे हैं, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि इस सुरंग का निर्माण 782 साल तक का समय ले सकता है। लेकिन मस्क और उनकी टीम ने पहले भी समय की सीमाओं को पार किया है, और इस बार भी यही उम्मीद जताई जा रही है कि वे इसे एक नई दिशा में आगे बढ़ाने में सफल होंगे।
चीन और भारत में हो रहे हैं परीक्षण
मस्क के द्वारा प्रस्तावित इस तकनीक के पहले चरण के परीक्षण पहले ही चीन और भारत में किए जा रहे हैं। इसके बाद इस तकनीक को पूरी दुनिया में लागू करने के लिए और सुधार किया जाएगा। अगर यह तकनीक सफल होती है, तो यह यात्रा के तरीके को पूरी तरह से बदलकर रख देगी।
