दौसा. trapped in a borewell: राजस्थान के दौसा जिले में 5 साल का मासूम आर्यन बोरवेल में गिरकर जिंदगी की जंग हार गया। 56 घंटे की कड़ी मेहनत और रेस्क्यू ऑपरेशन के बावजूद उसे बचाया नहीं जा सका। सोमवार दोपहर करीब 3:30 बजे आर्यन अपनी मां के साथ खेत पर खेल रहा था, तभी अचानक वह खुले बोरवेल में गिर गया। इसके बाद शुरू हुआ 3 दिन तक चले रेस्क्यू ऑपरेशन का सिलसिला, लेकिन अंतत: हर कोशिश नाकाम रही।
56 घंटे बाद हुक से निकाला गया बच्चा
आर्यन को बोरवेल से निकालने के लिए पूरी रात और दिन भर अधिकारियों की टीम ने जद्दोजहद की। बोरवेल करीब 160 फीट गहरा था, जो तीन साल से खुला पड़ा हुआ था। हालांकि, किसी भी तरह से बच्चे को बाहर निकालने की तमाम कोशिशें नाकाम साबित हुईं। आखिरकार, 56 घंटे के बाद एक हुक की मदद से उसे बाहर निकाला गया। बच्चा पूरी तरह से कमजोर था और उसे तुरंत अस्पताल ले जाया गया। यहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। डॉक्टरों के अनुसार, आर्यन की मौत बोरवेल के अंदर ही हो गई थी, संभवतः गिरने के बाद किसी सख्त वस्तु से टकराने के कारण चोट आई थी, जिससे उसकी हालत गंभीर हो गई।
माँ की तबीयत भी बिगड़ी
आर्यन की मौत की खबर ने उसकी मां को बुरी तरह से झकझोर दिया। बेटे की मौत के बाद उसकी मां की तबीयत भी खराब हो गई, क्योंकि बोरवेल में गिरने से लेकर रेस्क्यू ऑपरेशन तक के समय में दोनों माता-पिता ने ठीक से कुछ खाया-पिया नहीं था। इस घटना ने उनके जीवन को पूरी तरह से बदल दिया। आर्यन के पिता जगदीश मीणा ने बताया कि उनका बेटा खेत में अपनी मां के पास खेल रहा था, और वे बाजार गए हुए थे। अचानक बेटे के बोरवेल में गिरने की खबर मिली, और इसके बाद उनकी जिंदगी पूरी तरह से पलट गई।
खुले बोरवेल का मुद्दा
बोरवेल तीन साल पहले खोदा गया था, लेकिन उसके बाद से इसका इस्तेमाल नहीं किया गया था। यह मामला तब और गंभीर हो गया, जब बोरवेल खुले और बिना ढके छोड़ दिए गए थे। ऐसे में, बच्चों के लिए यह बेहद खतरनाक हो सकता है, जैसे कि आर्यन के साथ हुआ। अधिकारियों ने इस घटना को गंभीरता से लिया है और खुले बोरवेल्स के मामले में सख्त कदम उठाने की बात कही है।
रेस्क्यू ऑपरेशन में अड़चनें
चिकित्सा अधिकारी दीपक शर्मा ने बताया कि आर्यन के शरीर पर कोई चोट के निशान नहीं थे, लेकिन यह स्पष्ट था कि वह गिरने के बाद किसी सख्त वस्तु से टकराया था। उन्होंने यह भी बताया कि बोरवेल में इतना समय बिताने के कारण बच्चे की हालत खराब हो गई और उसे गंभीर समस्या का सामना करना पड़ा। यह घटना एक गंभीर चेतावनी है कि बोरवेल्स को सुरक्षित तरीके से बंद करना और बच्चों के आसपास सुरक्षा उपायों का पालन करना कितना जरूरी है।
राजस्थान में पहले भी हो चुकी ऐसी घटनाएं
1. 2014 – अलवर जिले में बोरवेल हादसा
घटना: राजस्थान के अलवर जिले के एक गांव में 3 साल का बच्चा मासूम बोरवेल में गिर गया था। यह घटना जुलाई 2014 की है। बच्चे का नाम मासूम था और वह करीब 20 फीट गहरे बोरवेल में गिरा।
परिणाम: हालांकि, इस बच्चे को बचाने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया, लेकिन बचाव कार्य में लगभग 8 घंटे का समय लगा और बच्चा बचाया जा सका। इस घटना ने बोरवेलों के खुले होने और उनकी सुरक्षा को लेकर एक बड़ी बहस छेड़ दी।
2. 2017 – श्रीगंगानगर में बच्चा बोरवेल में गिरा
घटना: 2017 में राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले में भी एक और बोरवेल हादसा हुआ था। यहां 2 साल का बच्चा राजन बोरवेल में गिर गया था।
परिणाम: इस घटना में भी प्रशासन ने बचाव कार्य शुरू किया, लेकिन यह काफी समय से चल रहा था। हालांकि, इस बार प्रशासन ने काम में तेजी दिखाई और 6 घंटे के भीतर बच्चे को बाहर निकाल लिया, लेकिन तब तक बच्चे की मौत हो चुकी थी।
3. 2019 – बोरवेल में फंसा बच्चा, जोधपुर
घटना: जोधपुर जिले में एक और बोरवेल हादसा हुआ था, जहां 4 साल का बच्चा एक खुले बोरवेल में गिर गया। यह घटना भी पूरी तरह से मीडिया में आई थी।
परिणाम: प्रशासन ने बच्चा को बाहर निकालने के लिए काफी प्रयास किए, लेकिन यह घटना भी बच्चे के बचने की उम्मीद को खत्म कर देती है, क्योंकि लंबे समय तक रेस्क्यू ऑपरेशन चलाने के बाद, बच्चा मृत पाया गया।
4. 2020 – चुरू जिले में बोरवेल में गिरा बच्चा
घटना: 2020 में राजस्थान के चुरू जिले में भी एक बोरवेल हादसा हुआ था, जिसमें 5 साल का बच्चा अजय बोरवेल में गिर गया था।
परिणाम: प्रशासन ने बोरवेल के पास खुदाई करके रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया था, लेकिन रेस्क्यू के 12 घंटे बाद, बच्चे को मृत अवस्था में बाहर निकाला गया। इस घटना ने राज्य में सुरक्षा संबंधी नियमों को और सख्त करने की मांग को जन्म दिया।
5. 2021 – जैसलमेर में बोरवेल हादसा
घटना: 2021 में जैसलमेर जिले में एक और बोरवेल में गिरने की घटना हुई, जहां 6 साल का बच्चा एक खुले बोरवेल में गिर गया।
परिणाम: रेस्क्यू ऑपरेशन में प्रशासन की टीम ने लंबी कोशिशों के बावजूद बच्चे को नहीं बचा सकी और उसकी मौत हो गई। इस घटना ने फिर से बोरवेल के खुले रहने की समस्या को उजागर किया।
6. 2023 – दौसा में आर्यन की मौत
घटना: हाल ही में दौसा जिले में 5 साल के आर्यन का बोरवेल में गिरने का मामला सामने आया, जिसमें वह 56 घंटे तक बोरवेल में फंसा रहा और सभी कोशिशों के बावजूद उसे बचाया नहीं जा सका।
परिणाम: इस घटना में भी बोरवेल के खुले होने और उसकी सुरक्षा के इंतजाम न होने के कारण आर्यन की जान चली गई। यह घटना राजस्थान में बोरवेल सुरक्षा के मुद्दे पर एक गंभीर संकेत है, जिससे प्रशासन को चेतावनी मिली।
इन घटनाओं के बाद क्या कदम उठाए गए?
- खुले बोरवेल्स की जांच: राज्य सरकार और प्रशासन ने कई बार खुले बोरवेल्स की जांच की है। निर्देश दिए गए हैं कि बोरवेल्स को सुरक्षित तरीके से बंद किया जाए, ताकि बच्चों की जान को खतरा न हो।
- सख्त नियम: राजस्थान सरकार ने बोरवेल्स को खोदने और उनके सुरक्षित उपयोग के लिए सख्त दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इसके तहत बोरवेल खोदने के बाद उसे तुरंत ढकने या बंद करने की प्रक्रिया को अनिवार्य किया गया है।
- जन जागरूकता अभियान: इन घटनाओं के बाद, बच्चों और परिवारों में जागरूकता फैलाने के लिए विभिन्न प्रकार के जन जागरूकता अभियान चलाए गए हैं। साथ ही बोरवेल मालिकों को कानूनी जिम्मेदारी भी दी गई है।
- रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए संसाधन बढ़ाए गए: राजस्थान सरकार ने बोरवेल में गिरने की घटनाओं के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए आवश्यक उपकरण और संसाधनों को बढ़ाया है, ताकि किसी भी घटना में जल्द से जल्द मदद मिल सके।
