
नई दिल्ली. Trident Missile: दुनिया के तमाम देशों के बीच होड़ मची हुई हथियारों की ताकत में बढ़ते हासिल करने की। कोई सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल बना रहा है तो कई लंबी दूरी तक मार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइल। भारत-पाकिस्तान तनाव, चीन की आक्रामकता और अमेरिका-रूस की शीत युद्ध शैली की रणनीतियों के बीच मिसाइलों की चर्चा भी जोरों पर है। ब्रह्मोस, अग्नि, स्कैल्प, या फिर चीन की पीएल-15 मिसाइल हर कोई सुर्खियों में है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि दुनिया की सबसे महंगी और घातक मिसाइल कौनसी है? इस सवाल का जवाब है- अमेरिका की ट्राइडेंट II D 5 मिसाइल, जो न सिर्फ अपनी कीमत में बल्कि विनाशक क्षमता में भी सभी मिसाइलों को पीछे छोड़ देती है।
कीमत इतनी की पाकिस्तान के सालाना बजट से भी ज्यादा
ट्राइडेंट II D 5 एक इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल है, जिसे खास तौर पर परमाणु हथियार ले जाने और सबमरीन से दागे जाने के लिए डिजाइन किया गया है। इसकी एक यूनिट की कीमत लगभग पांच हजार रूपए से अधिक है। सोचिए, एक मिसाइल की कीमत में छोटे देशों के सालाना रक्षा बजट निपट जाएं। पाकिस्तान जैसे देशों के लिए तो इसे खरीदने की सोचना भी दिवास्वप्न जैसा है- वो आईएमएफ से कर्ज लेकर अपनी आर्थिक सांसे चला पा रहा है, हथियारों के सपने तो दूर की बात है।
विनाश की उड़ान: 12000 किमी तक मार करने की क्षमता
ट्राइडेंट II D 5 की सबसे बड़ी खासियत इसकी रेंज और सटीकता है। इसकी मारक दूरी लगभग 12000 किलोमीटर है यानी अमेरिका में बैठकर मिसाइल एशिया, अफ्रीका, यूरोप या ऑस्टेलिया तक के किसी भी शहर को निशाना बना सकती है। ये पूरी धरती कवर करने मेें सक्षम है। इसकी लंबाई लगभग 44 फीट और वजन 80 टन है। जब इसे एक पनडुब्बी से लॉंच किया जाता है तो इसकी मारक क्षमता और भी ज्यादा खतरनाक हो जाती है। इसे अदृश्य हमला भी कहा जाता है क्योंकि लॉंच होने से पहले इसका पता लगाना लगभग असंभव है।
परमाणु तबाही का चलित किला
इस मिसाइल में फिट होता है एक अत्यंत घातक 00 से 475 किलोटन तक का परमाणु वॉरहेड। तुलना करें तो, जापान के हिरोशिमा पर जो बम गिराया गया था, वो सिर्फ 15 किलोटन का था। ट्राइडेंट उससे दर्जनों गुना ज्यादा विध्वंसक है। एक और अहम पहलू है सटीकता। ट्राइडेंट अपने टारगेट को 90 से 120 मीटर के भीतर सटीकता भेद सकती है। इतनी दूरी से दागे जाने के बावजूद इसका लक्ष्य चूकना नामुमकिन जैसा है।
गुप्त और अपराजेय: इसका पता लगाना आसान नहीं
ट्राइडेंट मिसाइल की तैनाती अमेरिका और ब्रिटिश नौसेना की अत्याधुनिक परमाणु पनडुब्बियों में की जाती है, जो समुद्र की गहराईयों में लगातार गश्त करती रहती है। इन पनडुब्बियों की लोकेशन का पता लगाना किसी भी देश के लिए टेढ़ी खीर है, और उस पर सवार ट्राइडेंट मिसाइलों का अचानक हमला एक ऐसा झटका होता है जिससे उबरना नामुमकिन होता है।
सिर्फ दो देशों के पास: अमेरिका और ब्रिटेन
दुनिया में अभी सिर्फ दो देशों के पास ट्राइडेंट मिसाइलें हैं- अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम। ये मिसाइलें दोनों देशों की परमाणु निवारक रणनीति की रीढ़ है। इनका उद्देश्य युद्ध शुरू करना नहीं बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि कोई दूसरा देश अमेरिका या ब्रिटेन पर हमला करने की हिम्मत भी ना करे। ट्राइडेंट सिस्टम का हिस्सा बनने के लिए न केवल तकनीकी दक्षता बल्कि अरबों डॉलर का निवेश और दशकों का रिसर्च जरूरी होता है।
अब तक नहीं हुआ प्रयोग, लेकिन बना चुकी है खौफ
ट्राइडेंट मिसाइल को अब तक किसी युद्ध में इश्तेमाल नहीं किया गया है, लेकिन इसकी मौजूदगी भर से यह दुश्मनों को सोचने के लिए मजबूर कर देती है। यही इसकी ताकत है।
ट्राइडेंट मिसाइल से जुड़ी विशेषताएं
- प्रकार: अंतरराष्ट्रीय बैलिस्टिक मिसाइल
- प्लेटफॉर्म: परमाणु पनडुब्बी
- लंबाई: 44 फीट
- वजन: 80 टन के लगभग
- रेंज: लगभग 12,000 किमी
- वॉरहेड क्षमता: 00-475 किलोटन परमाणु
- सटीकता: 90-120 मीटर
- कीमत: 5,000 करोड़ रूपए प्रत्येक यूनिट अनुमानित
- संचालन: अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम
ये मिसाइल नहीं, चलती-फिरती कयामत
ट्राइडेंट II D 5 सिर्फ एक हथियार नहीं, बल्कि एक ऐसा युद्ध उपकरण जो पूरी दुनिया की रणनीतिक शक्ति संतुलन को प्रभावित करता है। ये मिसाइल युद्ध रोकने में फाइनल नॉक आउट की भूमिका भी निभा सकती है। आईएमएफ से लोन लेने वाला देश इसे छू भी नहीं सकता- क्योंकि इसकी कीमत नहीं, इसकी ताकत भी खुद ही एक चेतावनी है।
