
वडोदरा (गुजरात). Vadodara’s Gambhira bridge accident: गुजरात के वडोदरा जिले में बुधवार सुबह एक दर्दनाक हादसा सामने आया, जब पदरा तहसील के मुझपुर गांव के पास स्थित गंभीरा पुल का एक हिस्सा अचानक ढह गया। इस हादसे में कम से कम तीन लोगों की मौत हो गई है, जबकि पांच अन्य को रेस्क्यू किया गया है। पुल से गुजर रहे चार वाहन—दो ट्रक और दो वैन—महीसागर नदी में गिर गए, जिससे क्षेत्र में अफरातफरी मच गई।
पुल का एक स्लैब अचानक ढह गया
हादसा सुबह 7:30 बजे के करीब हुआ, जब गंभीराआ पुल का एक स्लैब अचानक ढह गया। यह पुल महीसागर नदी पर बना है और वडोदरा और आनंद जिलों को जोड़ता है। यह पुल केंद्रीय गुजरात और सौराष्ट्र क्षेत्र को जोडऩे वाले प्रमुख मार्गों में से एक है। हादसे के समय कई वाहन पुल से गुजर रहे थे। पुल का एक हिस्सा दो पिलर्स के बीच में से पूरी तरह नदी में गिर गया, जिससे कम से कम चार वाहन सीधे नदी में समा गए। स्थानीय पुलिस, वडोदरा फायर डिपार्टमेंट, स्थानीय ग्रामीणों और आपदा राहत टीमों की मदद से तत्काल बचाव अभियान शुरू किया गया।
मृतकों और घायलों की स्थिति
गुजरात सरकार के स्वास्थ्य मंत्री ऋषिकेश पटेल ने बताया कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि तीन लोगों की जान चली गई, जबकि पांच को सुरक्षित बचा लिया गया है। बचाए गए लोगों को वडोदरा के सरकारी अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया गया है। फिलहाल मृतकों की पहचान और उनके परिजनों को सूचना देने की प्रक्रिया चल रही है।
पुल निर्माण पर एक नजर
- निर्माण वर्ष: 1985
- लंबाई: 900 मीटर
- संरचनात्मक पिलर्स की संख्या: 23
- जगह: मुझपुर गांव, पदरा तहसील, वडोदरा जिला
- कार्य: वडोदरा-अनंद जिले और सौराष्ट्र को जोडऩे वाला मार्ग
स्वास्थ्य मंत्री ऋषिकेश पटेल ने कहा कि पुल की समय-समय पर मरम्मत होती रही थी, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि यह हादसा संरचनात्मक कमजोरी के कारण हुआ या फिर अन्य तकनीकी त्रुटि से।
जांच के आदेश और क्या बोले मुख्यमंत्री
गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने हादसे को गंभीरता से लेते हुए तकनीकी विशेषज्ञों की टीम को मौके पर भेजने का आदेश दिया है। दुर्घटना के कारणों की गहन जांच कराने के निर्देश दिए हैं। सीएम ने लोक निर्माण विभाग और रोड एंड ब्रिज डिपार्टमेंट से तुरंत रिपोर्ट तलब की है। इस मामले मेकं मुख्यमंत्री कार्यालय ने भी जानकारी दी है कि जांच में यह स्पष्ट किया जाएगा कि क्या पुल की मरम्मत समय पर की गई थी, और क्या हादसे के पहले कोई चेतावनी संकेत थे।
मौके से वीडियो और दृश्य हो रहे वायरल
घटना के वीडियो तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं, जिनमें देखा जा सकता है कि पुल के बीच का हिस्सा नदी में समा गया है। चारों ओर जलप्रलय जैसे दृश्य बन गए थे। लोगों की चीख-पुकार और राहत कार्यों की हलचल हर तरफ फैली थी।
रेस्क्यू ऑपरेशन की स्थिति
- स्थानीय पुलिस और फायर ब्रिगेड की टीम तुरंत मौके पर पहुंची।
- राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल की टीम को भी विशेष उपकरणों के साथ तैनात किया गया।
- बोट्स और क्रेनों की मदद से नदी में गिरे वाहनों को बाहर निकालने की कोशिश जारी है।
- डाइवर्स को भी गहराई में तलाश के लिए लगाया गया है।
पदरा पुलिस इंस्पेक्टर विजय चरण के अनुसार घटनास्थल पर तुरंत बचाव कार्य शुरू कर दिया गया था। हमारी प्राथमिकता अब भी लापता लोगों को ढूंढऩा और वाहनों को निकालना है।
प्रारंभिक संभावनाएं और चिंता
पुल की उम्र 40 वर्ष से अधिक हो चुकी है। यह पुल भारी वाहनों के लिए भी उपयोग में लाया जाता था, जिससे भार सहनशक्ति पर सवाल खड़े हो रहे हैं। कई स्थानीय लोग दावा कर रहे हैं कि पिछले कुछ महीनों से पुल में कंपन और क्रैक की शिकायतें दी जा रही थीं, लेकिन उनकी अनदेखी की गई।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं और विपक्ष का आक्रोश
विपक्षी दलों ने इस हादसे को लेकर सरकार पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस के प्रवक्ता ने कहा कि यदि पुल की नियमित जांच और मेंटेनेंस होती, तो यह हादसा टल सकता था। यह प्रशासन की घोर लापरवाही का परिणाम है। आप पार्टी के नेताओं ने भी हादसे को लेकर ट्विटर पर सरकार को घेरा और घातक लापरवाही की जांच की मांग की है।
क्या पुल था फिट या फेल ?
गुजरात में करीब 4800 बड़े और छोटे पुल हैं। इनमें से कई पुराने पुलों की नियमित फिटनेस रिपोर्ट नहीं बन रही है। गंभीराआ पुल को लेकर भी यही सवाल उठ रहा है कि क्या इसका लोड टेस्ट समय पर हुआ था?, क्या इसका स्ट्रक्चरल ऑडिट पिछले 5 वर्षों में हुआ था?, किस एजेंसी को इसकी मेंटेनेंस की जिम्मेदारी दी गई थी? इन सभी सवालों की गहन जांच आवश्यक है ताकि भविष्य में ऐसे हादसे न दोहराए जाएं।
पिछले पुल हादसों की याद ताज़ा
- मोर्बी पुल हादसा (2022): 135 लोगों की मौत
- वडोदरा जिला – 2019: पुल पर क्रैक पडऩे से भारी ट्रैफिक डायवर्ट
- राजकोट – 2020: ब्रिज का हिस्सा ढह गया, कोई हताहत नहीं
इन घटनाओं से लगता है कि गुजरात में पुलों की स्थिति पर एक व्यापक ऑडिट और मरम्मत अभियान जरूरी है। गंभीरा पुल हादसा न सिर्फ एक प्राकृतिक आपदा है, बल्कि यह प्रशासनिक विफलता और बुनियादी ढांचे की उपेक्षा का प्रतीक बन गया है। सरकार को चाहिए कि पुलों की अवधिपार जांच प्रणाली विकसित की जाए, पुराने पुलों का ऑडिट अनिवार्य किया जाए, दोषियों की जवाबदेही तय की जाए और मृतकों के परिवारों को यथासंभव सहायता राशि दी जाए।
सरकार द्वारा घोषित सहायता
- (अब तक कोई आधिकारिक मुआवजा राशि घोषित नहीं की गई है, लेकिन सूत्रों के अनुसार)
- मृतकों के परिजनों को ₹4-5 लाख की सहायता दी जा सकती है
- घायलों के इलाज का खर्च राज्य सरकार उठाएगी
मोर्बी में हो चुका है पुल का हादसा
मोर्बी पुल हादसा (2022) गुजरात के सबसे भीषण नागरिक बुनियादी ढांचा हादसों में से एक था, जिसमें 135 लोगों की मौत हुई थी। इस हादसे ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था और सरकार की संरचनात्मक निगरानी प्रणाली और निजी ठेकेदारों की जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े किए थे। यह हादसा 30 अक्टूबर 2022 को हुआ था, जब मोरबी में मच्छू नदी पर बना औपनिवेशिक काल का सस्पेंशन ब्रिज, जिसे हाल ही में मरम्मत के बाद खोला गया था, अचानक टूट गया। हादसे के समय पुल पर सैकड़ों लोग मौजूद थे, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे।
मोरबी हादसे के ये थे मुख्य बिंदु
- हादसे का कारण: मरम्मत के बाद बिना फिटनेस सर्टिफिकेट के पुल का खोलना
- जिम्मेदार संस्था: ओरेवा ग्रुप (घड़ी निर्माता कंपनी जिसे मरम्मत का ठेका मिला था)
- कानूनी कार्रवाई: कई कर्मचारियों और ठेकेदारों की गिरफ्तारी हुई थी
- लापरवाही: मरम्मत के दौरान मूल तकनीकी मानकों की अनदेखी और बिना जांच के उद्घाटन
- मुआवजा: मृतकों के परिजनों को ₹10 लाख, घायलों को ₹2 लाख की सहायता घोषित की गई थी
