
Vande Bharat sleeper trains: भारतीय रेलवे ने अपनी महत्वाकांक्षी वंदे भारत स्लीपर ट्रेनों के प्रोजेक्ट में अहम बदलाव किए हैं। 58,000 करोड़ रुपये के इस विशाल अनुबंध में कुछ महत्वपूर्ण संशोधन किए गए हैं। सबसे बड़ा बदलाव यह है कि जहां पहले 200 वंदे भारत स्लीपर ट्रेनों की योजना थी, अब यह संख्या घटाकर 133 कर दी गई है। हालांकि, कोचों की संख्या में वृद्धि की गई है-पहले 16 कोच वाले इन ट्रेनों में अब 24 कोच होंगे।
फाइनेंशियल एक्सप्रेस के मुताबिक, रूस की कंपनी CJSC ट्रांसमाश होल्डिंग और भारतीय कंपनी रेल विकास निगम लिमिटेड (RVNL) को पहले 120 वंदे भारत ट्रेनों के निर्माण और रखरखाव का जिम्मा सौंपा गया था, लेकिन अब यह संख्या घटाकर 80 कर दी गई है। वहीं, सरकारी कंपनी भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (BHEL) और टिटागढ़ वैगन्स को 80 ट्रेनों का निर्माण और रखरखाव करना था, अब यह संख्या घटाकर 53 कर दी गई है।
ये भी पढ़ें: Vande Bharat sleeper trains: क्या वंदे भारत स्लीपर ट्रेनें राजधानी एक्सप्रेस से बेहतर हैं? जानिए यहां
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने 1 सितंबर को बीईएमएल के संयंत्र में वंदे भारत स्लीपर कोच का प्रोटोटाइप अनावरण किया था। इस दौरान उन्होंने बताया था कि यह कोच 10 दिनों तक कठोर परीक्षणों से गुजरेगा, जिसके बाद इसे ट्रैक पर चलाया जाएगा और इसके बाद और परीक्षण किए जाएंगे।
ये भी पढ़ें: Delhi Pollution update: दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण पर तात्कालिक कार्रवाई: पर्यावरण मंत्री आज करेंगे अहम बैठक
साथ ही, उन्होंने यह भी बताया कि यह अत्याधुनिक ट्रेन अगले तीन महीनों में यात्री सेवा के लिए तैयार हो सकती है। वंदे भारत स्लीपर ट्रेनों के आने से भारतीय रेलवे के सफर का अनुभव और भी आरामदायक और तेज़ होने की उम्मीद है। यह बदलाव भारतीय रेलवे के लिए एक नया अध्याय साबित हो सकता है, जिससे न केवल यात्री सुविधाओं में सुधार होगा, बल्कि देश के रेल नेटवर्क में भी क्रांतिकारी परिवर्तन देखने को मिल सकता है।
