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Waqf Bill Pass: बीजेडी के समर्थन ने बदला राज्यसभा का ग​णित, राष्ट्रपति की स्वीकृति के बाद बन जाएगा कानून

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Waqf Bill Pass
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नई दिल्ली. Waqf Bill Pass: शुक्रवार तडक़े करीब ढाई बजे राज्यसभा ने वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 और मुसलमान वक्फ (निरसन) विधेयक 2025 को पारित कर दिया। यह विधेयक 93 के मुकाबले 128 मतों से पारित हुआ, जिसमें बीजू जनता दल (बीजेडी) का रुख बदलने के कारण विधेयक के पास होने में आसानी हुई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे “ऐतिहासिक क्षण” करार दिया और कहा कि यह मुस्लिम समुदाय के हित में एक बड़ा कदम है।

विधेयक को लेकर लोकसभा ने गुरुवार रात के बाद अपनी स्वीकृति दे दी थी, और अब यह राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद यह विधेयक कानून का रूप ले लेगा। सरकार का कहना है कि इस कानून से वक्फ बोर्डों की जवाबदेही, पारदर्शिता और दक्षता में सुधार होगा, जिससे वक्फ संपत्तियों का बेहतर प्रबंधन होगा।

राज्यसभा में यह विधेयक किस तरह पारित हुआ और किस नेता ने क्या कहा, इसका पूरा विवरण इस वीडियो में देखा जा सकता है।

विधेयक पर हुई चर्चा

राज्यसभा में इस विधेयक पर हुई करीब तेरह घंटे लंबी चर्चा के बाद केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने विधेयक का संक्षिप्त जवाब दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह विधेयक किसी की धार्मिक भावनाओं को आहत करने के लिए नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य मुस्लिम समुदाय के ज्यादा से ज्यादा लोगों को फायदा पहुंचाना है। उन्होंने यह भी बताया कि वक्फ संपत्तियों में कोई हस्तक्षेप नहीं किया जाएगा और जिन संपत्तियों के दस्तावेज़ मौजूद हैं, उनके साथ किसी प्रकार की छेड़छाड़ नहीं की जाएगी।

उन्होंने विपक्ष पर तंज कसते हुए कहा कि यदि देश के मुसलमान गरीब हैं, तो यह सोचने की बात है कि वे किस कारण से गरीब हैं। उन्होंने यह भी बताया कि देश में सबसे ज्यादा समय तक कांग्रेस की सरकार रही है, और वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों को शामिल किए जाने के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि वक्फ बोर्ड एक वैधानिक संस्था है और इसलिए उसमें धर्मनिरपेक्ष दृष्टिकोण रखना जरूरी है, हालांकि इसमें मुस्लिम समुदाय का बहुमत ही रहेगा।

रिजिजू के जवाब के बाद, सदन ने विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया। हालांकि, विपक्ष ने विधेयक के विभिन्न प्रावधानों पर कड़ी आपत्ति जताई थी। कांग्रेस के नासिर हुसैन, माकपा के जॉन ब्रिटास, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के वी शिवादासन, और कई अन्य विपक्षी सदस्यों ने विधेयक के खिलाफ संशोधन प्रस्ताव दिए थे।

विपक्ष की आपत्तियां और विवाद

विधेयक पर चर्चा के दौरान राज्यसभा में माहौल और गर्मा गया, खासकर जब भाजपा के सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने अपनी बात रखी। विपक्ष ने सुधांशु त्रिवेदी की बातों पर आपत्ति जताते हुए उन्हें सदन की कार्रवाई से बाहर करने की मांग की। इस दौरान कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह और गृह मंत्री अमित शाह के बीच तीखी नोक-झोंक भी हुई। दिग्विजय सिंह ने त्रिवेदी के बयान पर सवाल उठाए, जिस पर शाह ने जवाब दिया और कहा कि उन्हें केवल मेरी बातों से परेशानी है।

कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खडग़े ने भी विधेयक पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि 2019-20 के बजट में वक्फ विभाग को 4700 करोड़ रुपए आवंटित किए गए थे, लेकिन 2023-24 में यह घटकर 2608 करोड़ रुपए रह गया। खडग़े ने यह भी सवाल उठाया कि अगर सरकार की मंशा सही थी, तो इस बिल को इतनी जल्दी क्यों लाया गया। उन्होंने कहा कि अगर 1995 के कानून में कुछ बदलाव होते, तो वे इसे स्वीकार कर लेते, लेकिन सरकार का उद्देश्य अल्पसंख्यकों को परेशान करना प्रतीत हो रहा है।

संजय सिंह और अभिषेक सिंघवी की आलोचना

आम आदमी पार्टी (आप) के सांसद संजय सिंह ने कहा कि सरकार को हिंदू ट्रस्ट और बोर्डों के लिए भी ऐसे ही विधेयक लाने चाहिए, जिसमें दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों को आरक्षण दिया जाए। वहीं, कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने इस विधेयक को संविधान विरोधी बताया और कहा कि इसे लागू करने से संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 का उल्लंघन होगा। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि अगर किसी व्यक्ति को मुसलमान साबित करने का प्रमाण पत्र चाहिए तो यह असंवैधानिक होगा।

जेपी नड्डा का समर्थन और विपक्ष का विरोध

बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि इसका मुख्य उद्देश्य वक्फ संपत्तियों का बेहतर प्रबंधन करना है, ताकि इनका उपयोग सही तरीके से हो सके। उन्होंने विपक्ष पर आरोप लगाया कि वह लोगों को भ्रमित करने की कोशिश कर रहा है। नड्डा ने यह भी बताया कि इस विधेयक के लिए पूरे देश के वक्फ बोर्ड से बातचीत की गई थी और 25 राज्यों के प्रतिनिधियों से चर्चा की गई थी।

विधेयक के कुछ खास प्रावधान

विधेयक के कुछ महत्वपूर्ण प्रावधानों में वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिमों को शामिल करना, वक्फ संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन के लिए एक नये ढांचे की स्थापना, और वक्फ संपत्तियों की पारदर्शिता सुनिश्चित करना शामिल हैं। सरकार का कहना है कि यह विधेयक मुसलमानों के लिए लाभकारी साबित होगा, हालांकि विपक्ष का कहना है कि यह विधेयक अल्पसंख्यकों के अधिकारों का हनन करता है और इसे असंवैधानिक करार दिया है।

कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों का विरोध

कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी ने इस विधेयक को असंवैधानिक बताते हुए इसे वापस लेने की मांग की। उन्होंने कहा कि यह विधेयक मुस्लिम समुदाय के खिलाफ है और इसे देश के मुसलमानों के अधिकारों पर चोट करने के लिए लाया गया है। वहीं, टीएमसी सांसद नदीमुल हक ने भी विधेयक की आलोचना करते हुए इसे असंवैधानिक करार दिया।

 

Bharat Update 9
Author: Bharat Update 9

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