
नई दिल्ली.Bad news for India: भारत के लिए एक अहम रणनीतिक परियोजना, चाबहार पोर्ट, पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के फैसले ने बड़ी समस्याएँ खड़ी कर दी हैं। ट्रम्प ने एक कार्यकारी आदेश जारी किया है, जिसके तहत विदेश मंत्री मार्को रूबियो को चाबहार पोर्ट पर लगाए गए प्रतिबंधों से मिली छूट को संशोधित या रद्द करने का निर्देश दिया गया है। यह कदम भारत के लिए न केवल एक चुनौती है, बल्कि चीन के लिए एक अवसर भी बन सकता है।
चाबहार पोर्ट की अहमियत
चाबहार पोर्ट भारत के लिए केंद्रीय एशिया तक पहुँचने के प्रयासों का महत्वपूर्ण हिस्सा है, खासकर पाकिस्तान को बायपास करते हुए। पिछले साल, भारत ने ईरान के साथ एक 10 साल का समझौता किया था, जिसमें चाबहार पोर्ट के विकास और संचालन के लिए सहमति बनाई गई थी। चाबहार की पोर्ट परियोजना भारत को एशिया के पश्चिमी हिस्से से कनेक्ट करने और पाकिस्तान के खिलाफ एक कूटनीतिक स्थिति मजबूत करने का अवसर देती है।
चीन को मिल रहा अवसर
जहाँ यह कदम भारत के लिए परेशानी का कारण बन रहा है, वहीं चीन के लिए यह एक अवसर बनकर उभर रहा है। चीन ने पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट में भारी निवेश किया है, जो इस क्षेत्र में स्थित है। ग्वादर पोर्ट से चीन को न केवल व्यापार के रास्ते मिलते हैं, बल्कि यह उसे भारतीय महासागर क्षेत्र में भी पैठ बनाने का मौका देता है, जहां लंबे समय से भारत का रणनीतिक प्रभुत्व रहा है। हालांकि, चीन का ग्वादर परियोजना अभी तक सफल नहीं हो सका है, जबकि भारत का चाबहार पोर्ट अब तक व्यापार शुरू कर चुका है।
भारत के लिए रणनीतिक नुकसान
ट्रम्प का यह आदेश, जो ईरान पर अधिकतम दबाव बनाने के लिए है, भारत के लिए रणनीतिक दृष्टिकोण से गंभीर परिणाम हो सकता है। इंडियन पोट्र्स ग्लोबल लिमिटेड और ईरान की पोट्र्स एंड मरीन टाइम ऑर्गनाइजेशन के बीच 2024 में चाबहार के लिए समझौता हुआ था। 2018 में इंडियन पोट्र्स ग्लोबल लिमिटेड ने इस पोर्ट का संचालन संभाला था और तब से उन्होंने 90,000 TEUs से अधिक कंटेनर यातायात और 8.4 मिलियन ञ्जश्वह्य से अधिक बुल्क और सामान्य कार्गो का हैंडलिंग किया है। ट्रम्प का आदेश, जो इस छूट को संशोधित या रद्द करने के लिए है, भारत की रणनीतिक स्थिति को कमजोर कर सकता है।
चाबहार की आर्थिक और रणनीतिक महत्ता
यह पोर्ट भारत के लिए केवल आर्थिक दृष्टिकोण से ही महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि यह एक रणनीतिक संपत्ति है जो मध्य एशिया, दक्षिण एशिया और मध्य पूर्व में चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने में मदद करता है। यह इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर का हिस्सा भी है, जिसका उद्देश्य भारत, ईरान, रूस और अन्य देशों के बीच व्यापार को बढ़ावा देना है।
QUAD पर असर
यह निर्णय भारत की केंद्रीय एशियाई क्षेत्र में प्रभाव को कम कर सकता है, साथ ही भारत-अमेरिका के बीच इंडो-पैसिफिक रणनीतियों में सहयोग में कमी आ सकती है। विशेष रूप से QUAD (भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया का समूह) के लिए यह निर्णय नकारात्मक असर डाल सकता है, क्योंकि यह चीन के विस्तारवादी नीतियों का प्रतिकार करने के भारत के प्रयासों को कमजोर कर सकता है। जहाँ ट्रम्प का यह आदेश भारत के लिए रणनीतिक और कूटनीतिक दृष्टिकोण से चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है, वहीं यह चीन के लिए एक अवसर बन सकता है। भारत को अपनी रणनीति में बदलाव करते हुए इस स्थिति का मुकाबला करना होगा, ताकि चाबहार पोर्ट और अन्य महत्वपूर्ण योजनाओं को सफलतापूर्वक आगे बढ़ाया जा सके और क्त्रष्ठ के प्रभाव को बनाए रखा जा सके।
