
नई दिल्ली. Bad news for Pakistan-China: भारत का रक्षा क्षेत्र लगातार भारतीय सशस्त्र बलों को नवीनतम, शक्तिशाली और अत्याधुनिक सैन्य उपकरणों से सुसज्जित करने के लिए काम कर रहा है, जो वैश्विक मानकों के बराबर हों। इस दिशा में, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) अहम भूमिका निभा रहा है। DRDO अब भारतीय सेना के लिए नई पीढ़ी के मुख्य युद्धक टैंक (NGMBT) के लिए अत्याधुनिक स्मूथबोर गन (smoothbore guns) विकसित कर रहा है। ये गन फ्यूचर मेन बैटल टैंक (FMBT) परियोजना का हिस्सा हैं, जो भारतीय सेना की आक्रामक क्षमता को एक नई ऊँचाई पर ले जाने के लिए डिजाइन किया गया है।
आधुनिक और शक्तिशाली टैंक: Arjun Mk2
Arjun Mk2, जिसे Next Generation Main Battle Tank (NGMBT) के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय सेना के लिए एक अत्याधुनिक चौथी पीढ़ी का मुख्य युद्धक टैंक है। इसे DRDO द्वारा भारतीय सेना के लिए विकसित किया जा रहा है। इस टैंक को पहले के Arjun संस्करण की तुलना में काफी हल्का और अधिक आधुनिक बनाया गया है, जिसमें इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल साइड सिस्टम और संभवतः हाई पावर लेजर-बेस्ड हथियार प्रणाली जैसी तकनीकें शामिल होंगी।
DRDO की नई गन तकनीक
DRDO अब Arjun Mk2 टैंक के लिए दो अत्याधुनिक स्मूथबोर गन सिस्टम विकसित कर रहा है: 120 मिमी और 125 मिमी के कैलिबर वाली गन। स्मूथबोर गन वह हथियार होते हैं जिनकी नलिका चिकनी होती है और इनमें कोई राइफलिंग (grooves) नहीं होती। इन गनों का उपयोग टैंकों, हाथी तोपों और बड़े आर्टिलरी मोर्टारों में किया जाता है। आधुनिक युद्धक टैंकों में आम तौर पर स्मूथबोर गन का इस्तेमाल किया जाता है क्योंकि यह प्रक्षिप्त शस्त्रों (projectiles) को बिना घुमाए अधिक सटीकता से फायर कर सकता है।
नई गन प्रणाली की विशेषताएँ:
- 120 मिमी गन: यह भारतीय Future Ready Combat Vehicle (FRCV) के लिए विकसित की जा रही है, जो स्वदेशी 120 मिमी स्मूथबोर गन से लैस होगी। यह गन भारतीय सेना के लिए पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक का परिणाम होगी।
- 125 मिमी गन: यह गन अधिक शक्तिशाली मानी जाती है और यह अंतरराष्ट्रीय बाजार में उपलब्ध अधिकांश गोला-बारूद के साथ अनुकूल है। इसके साथ, भारतीय सेना को बाहरी आपूर्ति श्रृंखलाओं पर निर्भरता कम करने का भी लाभ मिलेगा।
नई गन का सामरिक महत्व:
- मजबूत आक्रामक क्षमता: इन नई गनों के साथ, भारतीय सेना के टैंक दुश्मन के ठिकानों पर ज्यादा सटीक और शक्तिशाली हमले करने में सक्षम होंगे।
- अंतरराष्ट्रीय मुकाबला: 125 मिमी गन की उच्च शक्ति और इसकी सामरिक उपयोगिता, भारत को वैश्विक मंच पर और भी मजबूत बनाएगी, खासकर पाकिस्तान और चीन जैसे देशों के खिलाफ।
- लचीलापन: DRDO द्वारा दोनों गन कैलिबरों का विकास भारतीय सेना को हथियारों के विकल्प के मामले में लचीलापन देगा, ताकि वे अपनी आवश्यकताओं और भविष्य की चुनौतियों के अनुसार सही चयन कर सकें।
आगे का रास्ता
DRDO की यह पहल भारतीय सेना के लिए एक मजबूत और आत्मनिर्भर रक्षा ढांचे की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। इससे न केवल भारत को अपने आंतरिक रक्षा उपकरणों में आत्मनिर्भरता प्राप्त होगी, बल्कि यह भारतीय सेना को भविष्य के युद्धों के लिए और अधिक तैयार भी करेगा।
