
नई दिल्ली. Bharat parv: ऐतिहासिक लाल किला प्रांगण में आयोजित भारत पर्व 2025 का छठा दिन राजस्थान की सांस्कृतिक महक और जायके के नाम रहा। यहां के पारंपरिक बावर्चियों ने देशी व्यंजनों का स्वाद बिखेरा और दर्शकों को राजस्थानी व्यंजन बनाने के खास गुर सिखाए।
राजस्थानी स्वाद का तड़का किचन स्टूडियो में
भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय द्वारा पूसा संस्थान के सहयोग से आयोजित इस कार्यक्रम के किचन स्टूडियो में राजस्थान के मशहूर बावर्ची बाबूलाल और उनके सहयोगियों ने मिर्ची बड़ा और मावे की कचौरी बनाने का लाइव प्रदर्शन किया। दर्शकों को न केवल इन स्वादिष्ट व्यंजनों का सजीव प्रदर्शन देखने का मौका मिला, बल्कि उनकी विस्तृत रेसिपी भी समझाई गई।
बाबूलाल ने राजस्थानी अंदाज में बताया कि कैसे यह व्यंजन राजस्थान के तीज-त्योहारों और ऋतुओं के हिसाब से खासतौर पर बनाए जाते हैं। उन्होंने अपने प्रदर्शन में यह भी बताया कि कैसे राजस्थानी व्यंजन रेगिस्तानी जीवनशैली और पारंपरिक परंपराओं से प्रेरित हैं।
दर्शकों ने चखा स्वाद, की सराहना
राजस्थानी व्यंजनों की महक और स्वाद ने किचन स्टूडियो में उपस्थित सभी को आकर्षित किया। दर्शकों ने मिर्ची बड़ा और मावे की कचौरी का स्वाद चखने के बाद इसकी जमकर तारीफ की। कुछ दर्शकों ने इसे अपने घर पर बनाने की योजना भी बनाई।

राजस्थानी स्टॉल पर व्यंजनों की धूम
भारत पर्व में लगे राजस्थान के खानपान स्टॉल पर दाल बाटी चूरमा, गट्टे की सब्जी, प्याज और मावे की कचौरी, बाजरे की खिचड़ी और रोटी, मूंग दाल का हलवा, और पाव भाजी जैसे व्यंजनों की बिक्री ने खूब रौनक लगाई। स्टॉल पर आने वाले लोग इन व्यंजनों की महक और स्वाद से इतना प्रभावित हुए कि बार-बार इन्हें चखने के लिए लौटते रहे।
राजस्थानी संस्कृति ने बिखेरा जादू
राजस्थान पर्यटन विभाग के स्टॉल पर भी दर्शकों की भारी भीड़ देखने को मिली। यहां प्रदेश की समृद्ध लोकसंस्कृति और कलाओं का सजीव प्रदर्शन किया गया। चरी नृत्य, कालबेलिया नृत्य, कठपुतली शो, गैर नृत्य, और कच्छी घोड़ी नृत्य ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
संगीत और नृत्य के साथ दर्शकों ने कलाकारों के साथ नृत्य किया और अपनी सेल्फी यादगार के रूप में खींची। राजस्थानी लोककला और संस्कृति ने यह साबित कर दिया कि यह राज्य केवल अपने व्यंजनों ही नहीं, बल्कि अपनी कला और परंपराओं के लिए भी बेहद खास है।
राजस्थान का अनूठा आकर्षण
भारत पर्व में राजस्थान ने अपने पारंपरिक व्यंजनों, लोककलाओं और समृद्ध संस्कृति के माध्यम से न केवल दर्शकों को जोड़े रखा, बल्कि उन्हें अपनी धरोहर का एहसास भी कराया। यह आयोजन न केवल राजस्थान के खानपान और परंपराओं का उत्सव है, बल्कि यह भी दिखाता है कि भारत का हर कोना अपने आप में कितना अनोखा और खास है। राजस्थान के इस जायके और रंगीन संस्कृति ने भारत पर्व 2025 को यादगार बना दिया।
