
पटना. Bihar Politics: बिहार की राजनीति में एक बार फिर बवाल मच गया है। कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार अपने एक बयान को लेकर बुरी तरह घिर गए हैं। बात इतनी बिगड़ गई है कि भाजपा ने उनके खिलाफ पटना के कोतवाली थाने में लिखित शिकायत दर्ज करवा दी है। कन्हैया कुमार ने एक बयान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘संघी’ और आरएसएस को ‘आतंकवादी संगठन’ कहा। भाजपा इसे सीधा-सीधा देश के सर्वोच्च पद और एक राष्ट्रवादी संगठन पर हमला मान रही है।
शिकायत में क्या कहा गया है?
भाजपा मीडिया सेल के अध्यक्ष दानिश इकबाल ने थाना प्रभारी को दी गई शिकायत में लिखा है कि कन्हैया कुमार बार-बार ऐसे शब्दों का प्रयोग करते हैं जो समाज में वैमनस्य फैलाते हैं और राजनीतिक माहौल को विषाक्त करते हैं। शिकायत में कहा गया कि “कन्हैया कुमार ने न सिर्फ प्रधानमंत्री को ‘संघी’ कहकर अपमानित किया, बल्कि आरएसएस को आतंकवादी संगठन बताकर एक संगठित और राष्ट्रवादी संस्था की छवि बिगाडऩे की कोशिश की है। ऐसे बयानों पर सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।”
कन्हैया का जवाब अभी तक नहीं आया
अब तक कांग्रेस या खुद कन्हैया कुमार की तरफ से इस विवादास्पद बयान पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। लेकिन सियासी गलियारों में चर्चा गर्म है। क्या यह बयान चुनावी रणनीति के तहत दिया गया, या फिर यह कन्हैया की पुरानी तेवरबाज़ी का हिस्सा है?
‘पलायन रोको-नौकरी दो’ यात्रा: मुद्दा सही, तरीका विवादास्पद?
कन्हैया कुमार इन दिनों बिहार में कांग्रेस की तरफ से एक जबरदस्त अभियान चला रहे हैं —
‘पलायन रोको-नौकरी दो यात्रा’।
इस यात्रा का उद्देश्य
- बिहार से हो रहे युवाओं के पलायन पर लगाम लगाना
- बेरोजगारी जैसे गंभीर मुद्दे को केंद्र में लाना
- युवाओं को रोजगार के अवसरों के लिए जागरूक करना
कन्हैया की इस यात्रा को कांग्रेस का ग्राउंड कनेक्शन मजबूत करने का प्रयास माना जा रहा है। दिलचस्प बात यह है कि इस यात्रा में कांग्रेस के टॉप लीडर भी शामिल हो रहे हैं —
- राहुल गांधी ने बेगूसराय में यात्रा में हिस्सा लिया
- सचिन पायलट ने पटना में जनसभा को संबोधित किया
बिहार चुनाव नज़दीक, बयानबाज़ी तेज
इस साल के अंत तक बिहार में विधानसभा चुनाव होने हैं। राजनीतिक दलों ने अभी से कमर कस ली है:
- अमित शाह बिहार दौरे पर आए, एनडीए नेताओं के साथ गहन रणनीति बनाई
- राहुल गांधी कांग्रेस नेताओं के साथ बैठक कर चुके हैं
- आरजेडी और जेडीयू भी अब आक्रामक मूड में हैं
इन सबके बीच कन्हैया की यात्रा को कांग्रेस की “जनता से सीधी बातचीत” की रणनीति माना जा रहा है। लेकिन अब भाजपा की यह शिकायत इस यात्रा की दिशा मोड़ सकती है।
कन्हैया की ‘कट्टरता’ कांग्रेस के लिए वरदान या संकट?
कन्हैया कुमार हमेशा से तीखी ज़ुबान और धारदार राजनीति के लिए जाने जाते हैं। जेएनयू विवाद के बाद से ही वो विवादों के केंद्र में रहे हैं। अब कांग्रेस में शामिल होकर वो बिहार की सियासत को नई धार देने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन सवाल यह है कि क्या उनका बयान जनता को सचेत करने का साहसिक प्रयास है? या यह एक राजनीतिक आत्मघाती हमला साबित हो सकता है?
