
नई दिल्ली. CNG-PNG NEWS: अगर आप सीएनजी कार चलाते हैं या घर में पीएनजी गैस का इस्तेमाल करते हैं, तो यह खबर आपके लिए बेहद अहम है। सरकार ने सस्ती APM गैस के आवंटन में एक और कटौती का ऐलान कर दिया है, जो 16 अप्रैल 2025 से लागू होगा। इससे गैस कंपनियों की लागत बढ़ेगी और सीधा असर आपके गैस बिल और वाहन खर्च पर पड़ेगा।
क्या है पूरा मामला?
- आईजीएल को मिलने वाली एपीएम गैस की हिस्सेदारी 51 प्रतिशत से घटाकर 40 प्रतिशत कर दी गई है।
- बाकी जरूरत पूरी करने के लिए कंपनियों को अब महंगी न्यू-वेल गैस से खरीद करनी होगी।
- न्यू-वेल गैस की कीमत एपीएम गैस से काफी ज्यादा होती है।
- नतीजतन, गैस कंपनियों को उत्पादन में ज्यादा खर्च करना पड़ेगा, जो आम जनता तक बढ़ी हुई कीमतों के रूप में पहुंचेगा।
महंगाई की मार: बढ़ सकते हैं सीएनजी और पीएनजी के दाम
आईजीएल और एमजीएल जैसी कंपनियों के पास अब दो ही रास्ते हैं- या तो मुनाफा घटाएं, या फिर कीमतें बढ़ाएं। इतिहास गवाह है कि एपीएम कटौती के बाद दामों में इजाफा होता आया है। अब एक बार फिर सीएनजी से चलने वाली गाडिय़ों और घरों में पीएनजी का बजट बिगड़ सकता है।
एपीएम गैस क्यों है इतनी जरूरी?
- एपीएम गैस, सरकार द्वारा तय सस्ती दरों पर दी जाती है।
- ये ओएनजीसी जैसे सरकारी उपक्रमों के पुराने गैस फील्ड्स से आती है।
- मकसद: सिटी गैस को आम जनता के लिए सुलभ और सस्ता बनाना।
- यही वजह है कि एपीएम एपीएम गैस की कटौती आम लोगों पर सीधा असर डालती है।
कंपनियों की रणनीति और भविष्य की राह
- बढ़ती लागत से निपटने के लिए कंपनियां नए गैस स्रोतों या लॉन्ग-टर्म कॉन्ट्रैक्ट्स की ओर देख रही हैं।
- लेकिन नीति में बार-बार बदलाव से अस्थिरता बनी हुई है।
- सरकार अगर वैकल्पिक उपायों पर काम करे, तो इस असर को कुछ हद तक टाला जा सकता है।
तैयार हो जाइए जेब पर बढ़ते दबाव के लिए
सीएनजी और पीएनजी की सस्ती सुविधाएं अब धीरे-धीरे महंगी होती जा रही हैं। अगर आप इनका इस्तेमाल करते हैं, तो आने वाले महीनों में आपके मासिक बजट में उछाल आ सकता है।
