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Delhi Air Pollution: ‘गंभीर श्रेणी’ में बनी रही वायु गुणवत्ता, घना धुंआ घेर रहा है शहर

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Delhi Air Pollution
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नई दिल्ली. Delhi Air Pollution: राजधानी दिल्ली में बुधवार को वायु गुणवत्ता ‘गंभीर’ श्रेणी में बनी रही, जैसा कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के ताजे आंकड़ों से पता चलता है। इस गंभीर प्रदूषण के स्तर ने दिल्लीवासियों के स्वास्थ्य को लेकर एक बार फिर चिंता बढ़ा दी है। बुधवार सुबह 7 बजे तक, CPCB द्वारा दर्ज किए गए आंकड़ों के अनुसार दिल्ली का AQI (Air Quality Index) 301 था, जो ‘बहुत खराब’ श्रेणी में आता है।

दिल्ली में प्रदूषण की स्थिति इस बार भी बेहद खतरनाक बनी हुई है, और खासकर उन क्षेत्रों में जहां प्रदूषण का स्तर ‘गंभीर’ श्रेणी में पहुंच चुका है। यहां तक कि कई इलाकों में प्रदूषण का स्तर 300 से भी अधिक रिकॉर्ड किया गया है, जो स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक हानिकारक साबित हो सकता है।

दिल्ली में बढ़ता प्रदूषण: स्वास्थ्य पर प्रभाव

निधि गुप्ता, जो दिल्ली की एक निवासी हैं, ने ANI से बात करते हुए कहा, “दिल्ली में प्रदूषण कोई नई बात नहीं है। यह हर साल होता है, हर महीने, और कभी-कभी हर 20 दिन बाद। जब मौसम बदलता है, तो प्रदूषण बढ़ जाता है। लेकिन अगर सही तरीके से सावधानियां बरती जाएं, तो प्रदूषण का असर कम हो सकता है। मैं पिछले छह-सात साल से दिल्ली के एक प्रसिद्ध रनिंग ग्रुप के साथ दौड़ रही हूं, और हम इस मौसम में पूरी सतर्कता बरतते हैं।” निधि ने यह भी कहा कि बहुत से लोग प्रदूषण को लेकर घबराए हुए हैं, लेकिन यदि वे हल्की-फुल्की शारीरिक गतिविधियां करते रहें, पानी पीते रहें और खुद को हाइड्रेटेड रखते हैं, तो प्रदूषण का असर कम हो सकता है।

दिल्ली सरकार की पहल: स्कूलों के लिए दिशा-निर्देश

दिल्ली सरकार ने प्रदूषण के इस संकट को देखते हुए सोमवार को सभी स्कूलों को निर्देश जारी किए थे कि वे CAQM (Commission for Air Quality Management) के आदेशों का पालन करें। सरकार ने यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया कि सभी कक्षाएं 12वीं कक्षा तक ‘हाइब्रिड मोड’ में, यानी शारीरिक और ऑनलाइन दोनों तरीकों से संचालित की जाएं, ताकि बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

दिल्ली के विभिन्न क्षेत्रों में प्रदूषण का स्तर

नवीनतम CPCB आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली के प्रमुख इलाकों में प्रदूषण का स्तर इस प्रकार था

क्षेत्र AQI
लोधी रोड 254
IGI एयरपोर्ट (T3) 298
ओखला फेज 298
DTU 250
पुसा 281
अशोक विहार 316
आनंद विहार 311
ITO 316
वजीरपुर 331
विवेक विहार 318
शादिपुर 375
एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) का महत्व

वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) प्रदूषण के स्तर को मापने का एक मानक तरीका है। AQI 0 से 500 के बीच होता है, और इसके विभिन्न स्तरों के अनुसार स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता है।

AQI का स्तर वर्णन स्वास्थ्य प्रभाव
0-50 अच्छा (Good) कोई भी स्वास्थ्य समस्या नहीं।
51-100 संतोषजनक (Satisfactory) हल्की सेहत संबंधी समस्याएं।
101-200 मध्यम (Moderate) अस्थमा और सांस की तकलीफों वाले लोगों को समस्या हो सकती है।
201-300 खराब (Poor) सामान्य लोगों को भी सांस में दिक्कत हो सकती है।
301-400 बहुत खराब (Very Poor) स्वस्थ व्यक्तियों को भी स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
401-500 गंभीर (Severe) स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव, सभी को सावधानी बरतने की जरूरत।

 

दिल्ली में वायु प्रदूषण के प्रमुख कारण
दिल्ली में वायु प्रदूषण एक गंभीर समस्या बन चुकी है, जो न केवल पर्यावरण पर प्रभाव डाल रही है, बल्कि नागरिकों के स्वास्थ्य के लिए भी एक बड़ा खतरा बन गई है। इसके पीछे कई कारक जिम्मेदार हैं, जिनमें मौसमीय परिस्थितियां, मानवीय गतिविधियां और उद्योगों से होने वाला प्रदूषण शामिल हैं। दिल्ली में वायु प्रदूषण के प्रमुख कारणों को निम्नलिखित बिंदुओं में समझा जा सकता है:
1. पराली जलाना (Crop Burning)
हर साल, विशेष रूप से अक्टूबर और नवम्बर में, दिल्ली के आसपास के राज्यों — पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में किसान पराली (पिछले फसल के अवशेष) जलाते हैं। यह प्रक्रिया पर्यावरण में विशाल मात्रा में धुंआ और कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ती है, जिससे दिल्ली की हवा में अत्यधिक प्रदूषण फैलता है। पराली जलाना दिल्ली के प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण बन चुका है, खासकर सर्दियों में, जब हवा में नमी और ठंडक होती है, जो धुएं को सड़कों पर जमा कर देती है और प्रदूषण को और बढ़ाती है।
2. वाहनों का प्रदूषण
दिल्ली में लाखों वाहन चलते हैं, जिनमें अधिकांश पेट्रोल और डीजल से चलते हैं। इन वाहनों से निकलने वाले धुंए में कार्बन मोनोऑक्साइड (CO), नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) और पार्टिकुलेट मैटर (PM2.5) जैसी हानिकारक गैसें शामिल होती हैं, जो वायु को प्रदूषित करती हैं। खासकर सर्दियों में जब धुंआ घना हो जाता है, तो यह प्रदूषण गंभीर रूप से स्वास्थ्य पर प्रभाव डालता है।
3. निर्माण कार्य (Construction Activities)
दिल्ली में भारी निर्माण कार्य, खासकर भवनों और सड़कों के निर्माण में, वायु प्रदूषण का एक प्रमुख कारण है। निर्माण सामग्री जैसे सीमेंट, बालू, और रेत के कण हवा में घुलकर पीएम 2.5 और पीएम 10 (अत्यंत सूक्ष्म कण) के रूप में फैल जाते हैं। यह कण बहुत छोटे होते हैं और श्वसन तंत्र में प्रवेश कर जाते हैं, जो सांस की बीमारियों का कारण बन सकते हैं। इसके अलावा, भारी निर्माण उपकरणों से भी प्रदूषण होता है।
4. औद्योगिक प्रदूषण (Industrial Pollution)
दिल्ली के आसपास के क्षेत्रों में कई बड़े औद्योगिक केंद्र स्थित हैं, जहां से वायु में हानिकारक रसायन, धुआं और धूल उड़ती है। जैसे ही ये गैसें वायु में मिलती हैं, वे प्रदूषण का कारण बनती हैं। विशेष रूप से तापीय विद्युत संयंत्रों और अन्य ऊर्जा उत्पादन इकाइयों से निकलने वाला धुंआ वायु की गुणवत्ता को प्रभावित करता है।
5. कम तापमान और ठंडी हवाएं (Low Temperature & Cold Winds)
सर्दी के मौसम में दिल्ली में तापमान गिरने के कारण हवा में नमी बढ़ जाती है, जिससे प्रदूषण का स्तर अधिक हो जाता है। ठंडी हवाएं प्रदूषण को जमीन के पास बनाए रखती हैं, जिससे धुंआ और अन्य प्रदूषक तत्व हवा में सघन रूप से समा जाते हैं और उनकी सांद्रता बढ़ जाती है। इस कारण वायु गुणवत्ता अधिक खराब हो जाती है, और जो लोग पहले ही श्वसन समस्याओं से ग्रस्त होते हैं, उन्हें ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ता है।
6. दूरदराज के क्षेत्रों से आने वाली प्रदूषण (Transboundary Pollution)
दिल्ली की वायु प्रदूषण समस्या केवल शहर तक सीमित नहीं रहती। पड़ोसी राज्यों से आने वाले प्रदूषण का भी इस पर गहरा प्रभाव पड़ता है। उत्तर भारत के विभिन्न हिस्सों में, जैसे पंजाब और हरियाणा में, प्रदूषण के स्तर बहुत उच्च होते हैं, और यह प्रदूषण हवाओं के जरिए दिल्ली में पहुंचता है। खासकर सर्दियों में, जब हवा का बहाव धीमा हो जाता है, तो यह प्रदूषण दिल्ली में ज्यादा देर तक बना रहता है।
7. घरेलू प्रदूषण (Domestic Pollution)
घरों में लकड़ी, कोयला या कचरे को जलाने से भी वायु प्रदूषण में वृद्धि होती है। खासकर सर्दियों में, लोग अपनी नमी वाली जगहों को गर्म रखने के लिए इन जलाने वाली सामग्री का उपयोग करते हैं, जो वायु में हानिकारक तत्वों का उत्सर्जन करता है। इसके अलावा, रसोई में गैसों और रसायनों का भी प्रदूषण बढ़ाने में योगदान होता है।
8. कचरे का जलाना (Waste Burning)
दिल्ली में कचरा जलाने की समस्या भी गंभीर है। अक्सर सड़कों और खाली जमीनों पर लोग कचरा जलाते हैं, जिससे प्रदूषण के स्तर में बढ़ोतरी होती है। जलने वाले कचरे में प्लास्टिक, रबर, और अन्य हानिकारक सामग्री शामिल होती है, जिनसे जहरीली गैसें निकलती हैं जो वायु को और भी अधिक प्रदूषित करती हैं।
9. जहरीली गैसें और प्रदूषक तत्व (Toxic Gases & Pollutants)
दिल्ली में प्रदूषण के कारण हवा में प्रमुख प्रदूषक तत्वों जैसे नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2), सल्फर डाइऑक्साइड (SO2), कार्बन मोनोऑक्साइड (CO), और ओजोन (O3) का स्तर उच्च हो जाता है। इन तत्वों का शरीर पर गंभीर असर पड़ता है, खासकर श्वसन तंत्र पर, जिससे श्वसन संबंधित बीमारियां उत्पन्न होती हैं।
Bharat Update 9
Author: Bharat Update 9

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