
नई दिल्ली. Delhi Election Analysis: दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (AAP) के लिए चुनौतीपूर्ण वक्त आया, जब भाजपा ने कुछ अहम मुद्दों को लेकर पार्टी और अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधा। खासकर दिल्ली की सत्ता पर काबिज होने के बाद केजरीवाल के नेतृत्व में पार्टी पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे, और मुफ्त योजनाओं की राजनीति को लेकर भी भाजपा ने कड़ा मुकाबला किया। आइए जानते हैं वो प्रमुख कारण जो भाजपा को चुनावी संघर्ष में मजबूत बनाने और AAP के खिलाफ जीत की राह तैयार करने में सहायक साबित हुए।
1. आम आदमी पार्टी के बड़े नेताओं का जेल जाना
अरविंद केजरीवाल की पार्टी को भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन से उभरने का श्रेय मिला था, लेकिन इस चुनाव के दौरान कई पार्टी नेताओं के जेल जाने से उनकी छवि को जबरदस्त नुकसान हुआ। दिल्ली की शराब नीति से जुड़े मामले में कुछ प्रमुख नेता जेल गए, जिनमें मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन जैसे वरिष्ठ नेता शामिल थे। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का जेल जाना, खासकर जब उनकी अदालत से जमानत भी नहीं मिल पा रही थी, ने चुनावी माहौल को गंभीर रूप से प्रभावित किया।
2. मुफ्त योजनाओं पर कड़ी आलोचना
दिल्ली सरकार की सबसे लोकप्रिय योजनाओं में मुफ्त बिजली, पानी, और शिक्षा शामिल थीं, जिनसे AAP ने आम आदमी के बीच अपनी लोकप्रियता बनाई थी। हालांकि भाजपा ने इस बार मुफ्त योजनाओं को ‘रेवड़ी कल्चर’ की तरह प्रचारित किया, और इसे देश के वित्तीय संसाधनों के अपव्यय के रूप में पेश किया। इस बार भाजपा ने भी ‘मुफ्त’ की योजनाओं के वादे किए, जिससे AAP को चुनौती और भी कठिन हो गई। कांग्रेस भी मुफ्त योजनाओं का प्रचार करने में पीछे नहीं रही, जिससे ‘आप’ की पकड़ कमजोर पड़ी।
3. ‘शीशमहल’ विवाद: केजरीवाल का खर्चीला मुख्यमंत्री आवास
भाजपा ने दिल्ली के मुख्यमंत्री आवास पर खर्च किए गए करोड़ों रुपए का मुद्दा जोर-शोर से उठाया। अरविंद केजरीवाल को इस मुद्दे पर घेरते हुए भाजपा ने इसे भ्रष्टाचार और ग़रीबों के पैसे का अपव्यय बताया। कांग्रेस भी इस मुद्दे पर भाजपा के साथ खड़ी हुई और यह विवाद दिल्ली के चुनावी माहौल को गरमा गया। यह आरोप भाजपा ने तब लगाए जब केजरीवाल अपने ‘सादा जीवन, उच्च विचार’ के सिद्धांतों का पालन करने का दावा करते थे।
4. यमुना की सफाई, सड़कें और जलभराव
यमुना नदी की सफाई और दिल्ली की सड़कों की दयनीय हालत पर भी सवाल उठाए गए। दिल्ली की जनता ने ‘आप’ को सत्ता में लाने के दौरान यमुना नदी की सफाई का वादा किया था, लेकिन वर्षों के बाद भी हालात जस के तस बने रहे। इसके साथ ही दिल्ली में जलभराव और सड़कों की खस्ताहाली भी एक बड़ा चुनावी मुद्दा बन गए। विपक्ष ने इन मुद्दों को जोर-शोर से उठाया, और भाजपा ने इसे ‘आप’ की नाकामी के रूप में प्रस्तुत किया।
5. ‘आप’ को आपदा करार देना: भाजपा का चुनावी नारा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनावी सभाओं में ‘आप’ को एक आपदा (disaster) करार दिया। इस चुनावी नारे ने भाजपा कार्यकर्ताओं में जोश भर दिया और भाजपा ने पूरे चुनाव में इसे केंद्रीय मुद्दा बनाया। भाजपा ने केजरीवाल सरकार को हर वह योजना, जो केंद्र ने दिल्ली में लागू नहीं की थी, को लेकर घेरा। इस रणनीति से भाजपा ने दिल्ली की जनता में केजरीवाल सरकार के खिलाफ माहौल तैयार किया।
6. कांग्रेस का सक्रिय चुनाव प्रचार
पिछले चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन निराशाजनक रहा था, लेकिन इस बार पार्टी ने पूरी ताकत से चुनावी मैदान में उतरकर भाजपा और ‘आप’ दोनों को चुनौती दी। कांग्रेस का वोट शेयर बढ़ा और इसकी वजह से आम आदमी पार्टी को कई सीटों पर नुकसान हुआ। कांग्रेस के सक्रिय प्रचार ने आम आदमी पार्टी की जीत की राह को और भी मुश्किल बना दिया। इस बार दिल्ली चुनाव में भाजपा ने रणनीतिक रूप से कई मुद्दों को उठाकर आम आदमी पार्टी के खिलाफ माहौल बनाया और उसे कड़ी टक्कर दी। हालांकि अरविंद केजरीवाल ने कई विकास योजनाओं का वादा किया था, लेकिन उन मुद्दों ने ही भाजपा को फायदा पहुंचाया। इस चुनाव ने यह साबित कर दिया कि जब जनता को अपना मुद्दा समझाने की रणनीति सही तरीके से बनाई जाती है, तो सत्ता के दावेदारों को कड़ी चुनौती मिल सकती है।
