वाशिंगटन. International News: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने शनिवार को एक बड़ा कदम उठाते हुए चीन से आयातित सभी वस्तुओं पर 10 प्रतिशत शुल्क लगाने के लिए एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए हैं। व्हाइट हाउस के अधिकारियों के अनुसार, यह 10 प्रतिशत शुल्क मौजूदा शुल्क के अतिरिक्त होगा, जो पहले से चीन से आने वाली वस्तुओं पर लागू था। राष्ट्रपति ट्रम्प ने इस कदम को अमेरिकी संरक्षणवाद की नीति के तहत एक महत्वपूर्ण फैसला बताया। उनका कहना था कि यह कदम घरेलू उद्योगों को प्रोत्साहन देने और चीन से होने वाले व्यापारिक असंतुलन को कम करने के उद्देश्य से उठाया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि इस कदम से अमेरिका के लिए आर्थिक सुधार और रोजगार सृजन में मदद मिलेगी।
चीन की प्रतिक्रिया
इस फैसले पर चीन की प्रतिक्रिया भी तीव्र रही। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने कहा कि चीन हमेशा से मानता आया है कि व्यापार युद्ध या शुल्क युद्ध से कोई भी पक्ष विजयी नहीं हो सकता। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि चीन अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने के लिए दृढ़ संकल्पित है। वहीं, वाणिज्य मंत्रालय के प्रवक्ता हे याडोंग ने भी इस कदम की आलोचना करते हुए कहा कि अमेरिका का यह शुल्क दोनों देशों के हितों के विपरीत है। उन्होंने यह बयान दिया कि न तो चीन के लिए, न ही अमेरिका के लिए और न ही दुनिया के बाकी हिस्सों के लिए यह शुल्क निर्णय लाभकारी होगा।
मेक्सिको और कनाडा पर भी अतिरिक्त शुल्क
राष्ट्रपति ट्रम्प के आदेश के अनुसार, मेक्सिको और कनाडा से आने वाले उत्पादों पर भी भारी शुल्क लगाया जाएगा। मेक्सिको और कनाडा से आयातित सामान पर 25 प्रतिशत शुल्क लगाया जाएगा, जबकि कनाडा से आने वाले ऊर्जा उत्पादों पर 10 प्रतिशत शुल्क लागू किया जाएगा। यह कदम ट्रम्प प्रशासन की एक व्यापक संरक्षणवादी नीति का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य अमेरिका के व्यापार घाटे को कम करना और घरेलू उद्योगों को विदेशी प्रतिस्पर्धा से बचाना है। हालांकि, इस नीति का वैश्विक व्यापार और अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर गहरा असर पड़ सकता है, क्योंकि इससे दुनिया भर में व्यापारिक तनाव बढ़ने की आशंका है।
वैश्विक प्रतिक्रिया और व्यापार पर प्रभाव
अमेरिका का यह कदम वैश्विक स्तर पर व्यापक विवाद का कारण बन सकता है, क्योंकि कई देशों को डर है कि इससे वैश्विक व्यापार संरचना प्रभावित हो सकती है। अंतर्राष्ट्रीय व्यापार विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के व्यापारिक युद्धों से वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं पर दबाव बढ़ सकता है और विश्वव्यापी मंदी की आशंका को भी बढ़ावा मिल सकता है।
चीन और अन्य देशों ने भी इस कदम की आलोचना करते हुए इसे वैश्विक व्यापार के लिए खतरनाक बताया है। इन देशों का मानना है कि व्यापार युद्ध से सभी पक्षों को नुकसान होगा और इसका असर दुनिया की आर्थिक स्थिति पर पड़ेगा। अमेरिका द्वारा चीन और अन्य देशों के साथ किए गए इस व्यापारिक निर्णय ने एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय व्यापार व्यवस्था को प्रभावित किया है। यह कदम दुनिया भर के व्यापारिक संबंधों को एक नई दिशा दे सकता है, लेकिन इसका असर अमेरिकी और वैश्विक अर्थव्यवस्था पर क्या होगा, यह समय ही बताएगा।
