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International Women Day: विदेश में भारतीय व्यंजन खिलाकर कर रही कमाई, सरकारी स्कूलों के विकास में कर रही खर्च

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Jyotsna Kothari
Jyotsna Kothari

जयपुर. International Women Day: यह कहानी है एक ऐसी महिला की, जिसने अपनी मेहनत और समर्पण से न केवल विदेश में पहचान बनाई, बल्कि अपने जन्मस्थान के सरकारी स्कूलों के लिए भी कुछ खास किया। इस महिला का नाम है ज्योत्सना कोठारी। उनका जीवन दूसरों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन चुका है। ज्योत्सना का दिल और आत्मा राजसमंद के सरकारी स्कूलों और उनके विद्यार्थियों के विकास के लिए समर्पित है।

ज्योत्सना का परिवार और प्रेरणा

राजसमंद के राजनगर निवासी गुणसागर कर्नावट के घर जन्मी ज्योत्सना के पिता राजसमंद पंचायत समिति के प्रधान रहे थे, जिनका जीवन भी समाज सेवा में समर्पित रहा। सरकारी स्कूलों में आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में ज्योत्सना अक्सर अपने पिता के साथ जाती थीं, जहां उन्होंने बच्चों के जीवन की कठिनाइयों को महसूस किया। यही वह समय था जब ज्योत्सना ने ठान लिया कि वह इन बच्चों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए कुछ करेंगी।

विदेश में भारतीय व्यंजनों से कमाई और स्कूलों की मदद

ज्योत्सना का दिल हमेशा अपने देश, भारत और खासकर अपने गृहक्षेत्र राजसमंद के बच्चों के लिए धडक़ता रहा। आज वह आस्ट्रिया में अपने इंजीनियर पति के साथ रहती हैं, लेकिन उनका भारतीय व्यंजन बनाने का शौक और उसे वहां के लोगों तक पहुंचाने का तरीका काफी अनोखा है। वह आस्ट्रिया में भारतीय खाने की महक फैलाती हैं और वहां के लोगों को भारतीय व्यंजन का स्वाद चखने का अवसर देती हैं।

वित्तीय मदद का तरीका

ज्योत्सना अपनी सालभर की कमाई का एक बड़ा हिस्सा राजसमंद के सरकारी स्कूलों के विकास में खर्च करती हैं। इस आय का उपयोग वह भारतीय बच्चों की शिक्षा और उनके जीवन स्तर को सुधारने के लिए करती हैं।

पति दिलीप कोठारी का साथ

ज्योत्सना के पति, दिलीप कोठारी, जो स्वयं एक इंजीनियर हैं, उनके नेक कार्य में हमेशा सहयोग देते हैं। दिलीप की तकनीकी और बुनियादी ढांचे में विशेषज्ञता ने स्कूलों के भवन निर्माण और सुविधाओं के विकास में अहम योगदान दिया है।

हर साल एक स्कूल को गोद लेने का संकल्प

ज्योत्सना ने अपने जीवन का सबसे बड़ा उद्देश्य सरकारी स्कूलों की मदद करना तय किया है। वह हर साल एक सरकारी स्कूल को गोद लेती हैं और पिछले 22 सालों से इस सिलसिले को लगातार आगे बढ़ा रही हैं। वह स्कूलों में किताबें, स्टेशनरी, और अन्य जरूरी सामग्री देती हैं, साथ ही स्कूल की इमारतों और बुनियादी सुविधाओं के विकास में भी मदद करती हैं।

स्कूलों के लिए ज़रूरी सामग्रियों का योगदान

ज्योत्सना अपने स्कूलों के बच्चों के लिए ड्रेस, बैग, पेन, पेंसिल, हारमोनियम, और सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए जरूरी सामान प्रदान करती हैं। साथ ही वह स्कूल भवन की मरम्मत और रंग रोगन का भी ख्याल रखती हैं। वह राजसमंद में रोटरी क्लब के सहयोग से इन कार्यों को अंजाम देती हैं। ज्योत्सना साल में एक स्कूल पर 3-4 लाख रुपए तक खर्च करती हैं ताकि बच्चों का जीवन स्तर सुधर सके।

Bharat Update 9
Author: Bharat Update 9

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