
जयपुर. international Women Day: यह कहानी है अंजू कुमारी रावत की, जिनकी हिम्मत और संघर्ष ने यह साबित कर दिया कि अगर इरादा मजबूत हो तो कोई भी मुश्किल राह की बाधा नहीं बन सकती। 14 साल पहले जब अंजू महज 14 साल की बच्ची थीं, तो एक भयानक हादसे ने उनके जीवन को पूरी तरह बदल दिया। यह हादसा एक ऐसी घटना थी जिसने उन्हें शारीरिक रूप से कमजोर कर दिया, लेकिन उनके भीतर की ताकत और मानसिक दृढ़ता ने उन्हें कभी हार नहीं मानने दिया। अंजू राजसमंद जिले के भीम उपखण्ड के गांव भादसी समेल की निवासी है। वह अब प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में जुटी हुई है।
हादसा जिसने जिंदगी बदल दी
2010 में अंजू जब बकरियां चराने गईं, तो एक बिजली का करंट उनके शरीर से गुजऱा और इसने उनके दोनों हाथों को हमेशा के लिए छीन लिया। यह हादसा न सिर्फ शारीरिक रूप से दर्दनाक था, बल्कि इसके बाद अंजू को मानसिक रूप से भी काफी झटका लगा। लेकिन वह यह जानती थीं कि अगर उन्होंने हार मान ली, तो उनकी जिंदग़ी का उद्देश्य अधूरा रह जाएगा। अंजू ने खुद से पूछा, “क्या मुझे भी हार माननी चाहिए?” और उन्होंने अपने संघर्ष के रास्ते को अपनाया। उन्होंने अपने पैरों से लिखना शुरू किया और धीरे-धीरे अपनी पढ़ाई में आगे बढऩे लगीं।
नई राह पर कदम बढ़ाते अंजू
अंजू ने कभी भी अपनी मुश्किलों को अपनी मंजिल से बड़ा नहीं समझा। अपनी 10वीं और 12वीं की पढ़ाई के बाद, अब अंजू बीए फाइनल की छात्रा हैं और साथ ही प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी भी कर रही हैं। अंजू का मानना है कि यदि आत्मविश्वास और दृढ़ निश्चय हो, तो कोई भी मुश्किल पार की जा सकती है। उनके संघर्ष ने यह सिद्ध कर दिया कि शारीरिक अक्षम होने के बावजूद, अगर व्यक्ति का मन मजबूत हो तो वह किसी भी मुकाम तक पहुँच सकता है।
कलेक्टर टीना कुमार का योगदान
अंजू की जीवन यात्रा में एक अहम मोड़ तब आया जब कलेक्टर टीना कुमार ने 2016 में उन्हें गोद लिया। टीना कुमार ने न सिर्फ अंजू के शैक्षिक जीवन को सही दिशा दी, बल्कि उसके मानसिक और शारीरिक विकास में भी उनका भरपूर समर्थन किया। टीना के मार्गदर्शन ने अंजू को अपनी जिंदगी में नए अवसरों की दिशा दिखाई। उनका सहयोग अंजू के लिए एक उम्मीद की किरण बना, और यह साबित कर दिया कि समाज में अगर सही मार्गदर्शन मिले, तो कोई भी मुश्किल आसान हो जाती है।
कृत्रिम हाथ की उम्मीद
अंजू के जीवन में एक और उम्मीद जुड़ी है, वह है कृत्रिम हाथ। टीना कुमार की मदद से अंजू इस दिशा में प्रयासरत हैं कि उन्हें एक कृत्रिम हाथ मिल सके, जिससे उनका जीवन और भी आसान हो सके। हालांकि, उनकी न्यायिक लड़ाई अभी तक पूरी तरह सफल नहीं हो पाई है, लेकिन उनके हौसले में कोई कमी नहीं आई। अंजू की यह उम्मीद अब साकार होने की ओर बढ़ रही है, और उसके सपने धीरे-धीरे पूरे हो रहे हैं।
संघर्ष से सफलता की ओर
अंजू का जीवन एक प्रेरणा है, एक सिख है कि कभी भी जीवन में कठिनाइयां और मुश्किलें हमें हमारे लक्ष्य से नहीं हटा सकतीं। आज अंजू ना सिर्फ अपनी शिक्षा में सफलता की ओर बढ़ रही हैं, बल्कि वह समाज में एक उदाहरण बन चुकी हैं कि अगर आत्मविश्वास और संघर्ष की जज़्बा हो, तो सारी दुनिया भी पीछे रह सकती है। उनके संघर्ष ने यह साबित किया कि सच्ची मेहनत और आत्मनिर्भरता से कोई भी बड़ी से बड़ी चुनौती पार की जा सकती है। अंजू की यह यात्रा अब भी जारी है। उनके सपने बड़े हैं, और उन्हें पूरा करने के लिए वह कभी पीछे मुडक़र नहीं देखतीं। उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि मुसीबतें चाहे कितनी भी बड़ी क्यों न हों, अगर मन में संघर्ष की जिज्ञासा हो, तो कोई भी समस्या हमें रोक नहीं सकती।
