
नई दिल्ली. Terrorist Tehhawur Rana: 26/11 मुंबई आतंकी हमले के मुख्य आरोपी, तहव्वुर हुसैन राणा, का भारत प्रत्यर्पण एक ऐतिहासिक कानूनी जीत है। इस बड़े घटनाक्रम के बाद, राणा को विशेष विमान से अमेरिका से दिल्ली लाया गया और पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया गया। अब उनके खिलाफ कानूनी लड़ाई शुरू हो चुकी है, जिसमें उनकी बचाव और अभियोजन दोनों पक्षों के वकील उच्च स्तर की दलीलें पेश करेंगे। इस जंग में एक महत्वपूर्ण सवाल उठता है – तहव्वुर राणा के केस को कौन लड़ेगा और कोर्ट में किसकी होगी जीत?
तहव्वुर राणा का बचाव करने वाले पीयूष सचदेवा
तहव्वुर राणा के बचाव का जिम्मा 37 वर्षीय वकील पीयूष सचदेवा पर है। दिल्ली विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा नियुक्त सचदेवा, पिछले एक दशक से वकालत की दुनिया में सक्रिय हैं और जटिल कानूनी मामलों में अपनी पकड़ के लिए प्रसिद्ध हैं। पुणे के प्रतिष्ठित आईएलएस लॉ कॉलेज से कानून में डिग्री हासिल करने वाले सचदेवा, लंदन के किंग्स कॉलेज से इंटरनेशनल बिजनेस और कमर्शियल लॉ में मास्टर डिग्री भी हासिल कर चुके हैं।
सचदेवा का करियर काफी चमकदार रहा है, और उनकी रणनीतियां कोर्ट में अक्सर चर्चा का विषय रही हैं। उनकी नियुक्ति को लेकर कुछ विवाद हो सकते हैं, लेकिन कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि यह उनकी पेशेवर जिम्मेदारी है। सचदेवा के साथ उनके सह-वकील लक्ष्य धीर, जो साइबर क्राइम और व्हाइट-कॉलर अपराधों के विशेषज्ञ हैं, भी राणा का प्रतिनिधित्व करेंगे।
एनआईए की ओर से केस लडऩे वाले नरेंद्र मान
अब बात करते हैं राणा के खिलाफ केस लड़े जाने वाली एनआईए की ओर से मुख्य अभियोजक, नरेंद्र मान की। 58 वर्षीय मान का अनुभव अपराध और संवेदनशील मामलों में गहरी पकड़ रखने वाला है। वह पहले सीबीआई के लिए कई हाई-प्रोफाइल मामलों में विशेष लोक अभियोजक के रूप में काम कर चुके हैं, और उनकी तर्क शक्ति कोर्ट में हमेशा प्रभावी रही है।
एनआईए ने उन्हें राणा के खिलाफ केस लडऩे के लिए चुना है, क्योंकि उनके पास मामले की गहरी कानूनी समझ है और वह पूरी मुस्तैदी से आतंकी गतिविधियों और उनके कनेक्शनों को उजागर करने के लिए तत्पर रहते हैं। मान के साथ, दयान कृष्णन, जो पहले अमेरिकी कोर्ट में राणा के प्रत्यर्पण के पक्ष में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं, भी एनआईए की टीम का हिस्सा हैं।
कोर्ट में क्या हुआ?
पटियाला हाउस कोर्ट में 10 अप्रैल 2025 को हुई सुनवाई के दौरान, एनआईए ने राणा की 20 दिन की रिमांड की मांग की। एनआईए ने राणा के आतंकी संगठनों से जुड़े होने और डेविड हेडली और लश्कर-ए-तैयबा के साथ उनकी बातचीत के सबूत भी पेश किए। हालांकि, विशेष एनआईए जज चंद्रजीत सिंह ने 18 दिन की रिमांड मंजूर की। सचदेवा ने रिमांड की अवधि को लेकर मेडिकल जांच पर जोर दिया, जबकि मान और कृष्णन ने राणा के आतंकी कनेक्शनों को और भी मजबूत किया।
राणा और 26/11 हमले का कनेक्शन
64 वर्षीय राणा, जो पाकिस्तान के मूल का कनाडाई नागरिक है, पर आरोप है कि उसने डेविड हेडली को मुंबई में रेकी करने और 26/11 हमले की योजना बनाने में मदद की थी। मुंबई हमले के दौरान, 166 लोग मारे गए थे और 238 से अधिक घायल हुए थे। अब, एनआईए का दावा है कि राणा की पूछताछ से पाकिस्तान के आतंकी नेटवर्क और आईएसआई की भूमिका पर और महत्वपूर्ण खुलासे हो सकते हैं।
सुरक्षा इंतजाम और कोर्ट की कार्यवाही
राणा को कोर्ट में पेश करने के लिए अभूतपूर्व सुरक्षा व्यवस्था की गई। दिल्ली पुलिस की एसडब्ल्यूटी टीम, बख्तरबंद वाहन और एनएसजी कमांडो की मौजूदगी से कोर्ट परिसर छावनी में बदल गया। मीडिया और आम जनता को कोर्ट परिसर में प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई। राणा को फिलहाल एनआईए मुख्यालय में एक विशेष पूछताछ कक्ष में रखा गया है, जहां केवल अधिकृत अधिकारियों को ही प्रवेश की अनुमति है।
आगे क्या होगा?
- अब, राणा की 18 दिन की रिमांड के दौरान, एनआईए उनसे कई अहम सवाल पूछेगी, जैसे:
- मुंबई हमले की साजिश में उनकी सटीक भूमिका क्या थी?
- लश्कर-ए-तैयबा और अन्य आतंकी संगठनों के साथ उनके रिश्ते कितने गहरे थे?
क्या भारत में कोई स्लीपर सेल अब भी सक्रिय हैं?
वहीं, पीयूष सचदेवा और उनकी टीम यह सुनिश्चित करेंगे कि राणा को निष्पक्ष सुनवाई का पूरा अधिकार मिले, जैसा कि भारतीय संविधान के तहत उन्हें प्राप्त है। दूसरी ओर, एनआईए की टीम राणा के खिलाफ कड़ी से कड़ी सजा सुनिश्चित करने के लिए पूरी ताकत से जुटी रहेगी। यह केस न केवल कानूनी दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारत और वैश्विक सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी एक अहम मुकाम है।
