
Maha Kumbh 2025: सिख अलगाववादी नेता गुरपतवंत सिंह पन्नू द्वारा महाकुंभ 2025 के आयोजन को लेकर दी गई धमकी पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। पन्नू, जो कि प्रतिबंधित संगठन सिख फॉर जस्टिस (SFJ) का प्रमुख है और जिसे भारत सरकार ने आतंकवादी घोषित कर रखा है, ने एक वीडियो में महाकुंभ के दौरान प्रमुख स्नान तिथियों – 14 जनवरी (मकर संक्रांति), 29 जनवरी (मौनी अमावस्या) और 3 फरवरी (बसंत पंचमी) – को बाधित करने की धमकी दी।
वीडियो में पन्नू की धमकी और अखाड़ा परिषद की प्रतिक्रिया
सोमवार को उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले में पंजाब पुलिस के साथ मुठभेड़ के दौरान खालिस्तानी जिंदाबाद फोर्स के तीन आतंकवादी मारे गए थे। इसके बाद, पन्नू का यह धमकी भरा वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आया, जिसमें उसने महाकुंभ को निशाना बनाने की बात की थी। इस वीडियो में पन्नू की आवाज होने का दावा किया गया है, जिसमें वह कहते हैं, “हम महाकुंभ को बाधित करेंगे।” इस धमकी पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ने तीखा पलटवार किया। उन्होंने कहा, “अगर पन्नू जैसे लोग हमारे प्रयागराज में आए तो उन्हें हम मार-मारकर भगाएंगे। ऐसे पागल सैकड़ों की संख्या में हमने देखे हैं।” महंत रवींद्र पुरी ने पन्नू की धमकी को पूरी तरह से खारिज करते हुए कहा कि अखाड़ा परिषद ऐसे उग्रवादियों को गंभीरता से नहीं लेता।
सिख और हिंदू समाज के बीच एकता की बात
महंत रवींद्र पुरी ने यह भी स्पष्ट किया कि प्रयागराज में महाकुंभ का मेला केवल हिंदू समुदाय का नहीं, बल्कि सिख और हिंदू समुदाय दोनों का आयोजन है। उन्होंने कहा, “जितने भी सिख और हिंदू हैं, सभी एक हैं। पन्नू ने जो विभाजन की बात की है, वह पूरी तरह से गलत है। सिख समाज ने हमेशा सनातन धर्म को बचाए रखा है और सिखों और हिंदुओं के बीच कोई भी विभाजन नहीं किया जा सकता।” उन्होंने यह भी कहा कि सिख और हिंदू दोनों ही सनातन धर्म के रक्षक हैं, और दोनों के बीच कोई अंतर नहीं है। “हमारे यहां नागा साधुओं की तरह उनके (सिखों के) यहां भी नागा साधु होते हैं। ये दोनों एक ही हैं और सनातन धर्म के सैनिक हैं,” महंत रवींद्र पुरी ने कहा।
पन्नू की भाषा और अखाड़ा परिषद का नजरिया
महंत रवींद्र पुरी ने आगे कहा, “पन्नू जैसी व्यक्ति की बातों को अधिक महत्व नहीं देना चाहिए। वह हमेशा ऐसी भाषा का उपयोग करता है, जो समाज में विभाजन पैदा करती है। वह हमेशा से ही सनातन धर्म पर हमला करने का प्रयास करता है।” उन्होंने पन्नू को एक उग्रवादी बताते हुए कहा कि इस तरह के लोगों की बातों को गंभीरता से नहीं लिया जाना चाहिए। “आपने देखा होगा कि हमारे तीन बड़े अखाड़े – बड़ा उदासीन अखाड़ा, नया अखाड़ा उदासीन और निर्मल अखाड़ा – पंजाब से हैं, जहां सिद्ध साधु महात्मा हैं। इसलिए हम इस प्रकार के उग्रवादियों को गंभीरता से नहीं लेते,” महंत रवींद्र पुरी ने कहा।
पन्नू की धमकियों के बावजूद अखाड़ा परिषद की दृढ़ता
अखाड़ा परिषद ने अपने बयान में पन्नू की धमकियों को पूरी तरह से नकारते हुए यह साफ किया कि वे किसी भी तरह के उकसावे को नजरअंदाज करेंगे। उनका कहना था कि ऐसे लोगों की धमकियों से महाकुंभ की धार्मिक आस्था और भारतीय समाज की एकता पर कोई असर नहीं पड़ेगा। महंत रवींद्र पुरी ने यह भी कहा कि अखाड़ा परिषद इस प्रकार के उकसावे का जवाब देने के बजाय इनसे दूर रहेगा, क्योंकि यह समाज में खलल डालने की कोशिश है और वे इसे नकारते हैं।
इस मामले ने एक बार फिर सिख और हिंदू समुदायों की एकता और महाकुंभ के आयोजनों पर किसी भी प्रकार की बाहरी ताकतों द्वारा किए गए हमलों को लेकर चिंता को उजागर किया है। अखाड़ा परिषद का स्पष्ट संदेश है कि वे किसी भी ऐसे प्रयास को रोकने के लिए तैयार हैं, जो धार्मिक मेल-जोल और सामाजिक एकता को कमजोर करने की कोशिश करें।
