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MDSU Ajmer: महर्षि दयानंद सरस्वती यूनिवर्सिटी के लिए खतरे की घंटी! अगले सात महीने में हालात और बिगड़ने की आशंका

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MDSU Ajmer
MDSU Ajmer: Alarm bells for Maharishi Dayanand Saraswati University! Situation is likely to worsen in the next seven months
अजमेर. MDSU Ajmer: महर्षि दयानंद सरस्वती यूनिवर्सिटी में अगले सात महीने में बड़े बदलाव होने जा रहे हैं, जो शिक्षकों की कमी और विभागों की घटती संख्या के चलते संस्थान के संचालन में गंभीर चुनौतियां खड़ी कर सकते हैं। इससे बेहद परेशानियों का सामना करना पड़ेगा।
कला संकाय पर सबसे बड़ा संकट
अगले कुछ महीनों में विश्वविद्यालय के कला संकाय को बड़ा झटका लगने वाला है। 37 साल बाद इस संकाय में कोई स्थायी शिक्षक नहीं रहेगा। यहां के सभी विषय – राजनीति विज्ञान, इतिहास, अर्थशास्त्र, पॉपुलेशन स्टडीज, शिक्षा, और हिंदी – अब पूरी तरह गेस्ट फेकल्टी के भरोसे चलेंगे। इस संकाय के लिए केवल एक स्थायी शिक्षक, प्रो. शिवदयाल सिंह, बचे हुए हैं, जो अगस्त में सेवानिवृत्त हो जाएंगे। इसके बाद कला संकाय के संचालन के लिए विश्वविद्यालय के पास कोई स्थायी शिक्षक नहीं होगा।
कंप्यूटर साइंस विभाग की स्थिति
कंप्यूटर साइंस विभाग भी संकट के दौर से गुजर रहा है। विभागाध्यक्ष प्रो. नीरज भार्गव, जो पिछले 30 वर्षों से इस विभाग में एकमात्र स्थायी शिक्षक रहे हैं, फरवरी के अंत में सेवानिवृत्त होंगे। इसके बाद विभाग पूरी तरह से खाली हो जाएगा। हालांकि, कुछ गेस्ट फेकल्टी द्वारा क्लासेस ली जा रही हैं, लेकिन स्थायी शिक्षक की कमी विभाग की कार्यप्रणाली को प्रभावित कर सकती है।
माइक्रोबायोलॉजी विभाग
माइक्रोबायोलॉजी विभाग की हालत भी ठीक नहीं है। विभागाध्यक्ष प्रो. आशीष भटगागर जून में सेवानिवृत्त होंगे। उनके बाद, प्रो. मोनिका भटनागर ही इस विभाग की एकमात्र स्थायी शिक्षक बचेंगी।
अन्य विभागों की चिंताजनक स्थिति
इसके अलावा, यूनिवर्सिटी के कई अन्य विभागों में भी संकट गहरा रहा है। कम्प्यूटर साइंस, जूलॉजी, बॉटनी, प्योर एंड एप्लाइड केमिस्ट्री, अर्थशास्त्र, रिमोट सेंसिंग, पर्यावरण अध्ययन और फूड न्यूट्रिशियन विभागों में भी केवल एक-एक शिक्षक कार्यरत हैं।
स्थायी शिक्षकों की कमी का असर
यूनिवर्सिटी के प्रशासन के पास स्थायी शिक्षकों की भर्ती को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। 20 शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया भी अटकी हुई है। इसके कारण, यूनिवर्सिटी को न केवल गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने में कठिनाई हो रही है, बल्कि इसका असर यूजीसी द्वारा दी जाने वाली ग्रेडिंग पर भी पड़ रहा है। यूजीसी ने पहले ही इस कमी को लेकर चिंता जताई थी और दोनों बार विश्वविद्यालय में शिक्षकों की भर्ती को प्राथमिकता देने की सिफारिश की थी।
आखिरकार, क्या होगा अजमेर विश्वविद्यालय का भविष्य?
संस्थागत स्तर पर इस गंभीर समस्या का समाधान करना अत्यंत आवश्यक है, ताकि विश्वविद्यालय को फिर से उच्च गुणवत्ता और उत्कृष्टता के रास्ते पर लाया जा सके।
Bharat Update 9
Author: Bharat Update 9

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