म्यूनिख. Munich Security Conference: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने पश्चिमी देशों पर लोकतंत्र को केवल पश्चिमी विचार के रूप में देखने की आदत की तीखी आलोचना की है। म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन (Munich Security Conference) में “लाइव टू वोट अनदर डे: फोर्टिफाइंग डेमोक्रेटिक रेजीलियंस” विषय पर आयोजित पैनल चर्चा में, जहां नॉर्वे के प्रधानमंत्री जोनस गाहर स्टोरे, अमेरिकी सीनेटर एलिसा स्लॉटकिन और वारसॉ के मेयर राफेल त्र्जास्कोव्स्की भी उपस्थित थे, जयशंकर ने लोकतंत्र को लेकर पश्चिमी दृष्टिकोण पर सवाल उठाए।
भारत के लोकतंत्र पर गर्व, पश्चिमी निराशावाद को किया खारिज
जयशंकर ने इस चर्चा के दौरान स्पष्ट रूप से कहा कि वह इस विचार से सहमत नहीं हैं कि लोकतंत्र दुनिया भर में संकट में है। उन्होंने भारत के लोकतंत्र की मजबूती का हवाला देते हुए यह कहा कि भारत ने लोकतांत्रिक सिद्धांतों का पालन किया है और लगातार अपने चुनावी ढांचे को मजबूती दी है। उन्होंने भारत के चुनावों की प्रक्रिया को विशेष रूप से उल्लेखित किया और हालिया दिल्ली चुनाव और 2024 के आम चुनावों का उदाहरण दिया।
अपनी अंगुली से किया लोकतंत्र का बचाव
पश्चिमी लोकतंत्र पर अपने विचार रखते हुए जयशंकर ने कहा, “मैं इस पैनल में थोड़ा अलग नजरिया लाने की कोशिश करूंगा। कृपया मुझे गलत मत समझिए, मैं अपनी तर्जनी अंगुली दिखाकर बात शुरू करना चाहता हूं। ये निशान, जो मेरे नाखून पर है, उस व्यक्ति का है जिसने अभी मतदान किया है। भारत में हम मतदान को इतना गंभीरता से लेते हैं कि पिछले साल हमनें राष्ट्रीय चुनावों में 700 मिलियन मतदाताओं के साथ मतदान किया और हम चुनावों की गिनती भी एक ही दिन में करते हैं।”
लोकतंत्र पर सकारात्मक नजरिया
जयशंकर ने लोकतंत्र के वैश्विक संकट की बात को नकारते हुए कहा कि भारत में लोकतंत्र पूरी तरह से काम कर रहा है और हम इसका भरपूर उपयोग कर रहे हैं। “भारत में लोकतंत्र ने हमें बहुत कुछ दिया है। लोकतंत्र के मामले में हम निरंतर बेहतर होते जा रहे हैं, और हम अपने लोकतंत्र की दिशा को लेकर आशावादी हैं। हमारे लिए लोकतंत्र एक सफल मॉडल साबित हुआ है।”
“लोकतंत्र हमें खाना देता है” – जयशंकर
इसके अलावा, जयशंकर ने इस बात का भी स्पष्ट उल्लेख किया कि लोकतंत्र केवल राजनीति या चुनाव तक सीमित नहीं है, बल्कि यह देश के नागरिकों की भलाई में भी काम करता है। “सीनेटर, आपने कहा कि लोकतंत्र आपके टेबल पर खाना नहीं लाता। लेकिन हमारे देश में लोकतंत्र ने हमें पोषण समर्थन और 800 मिलियन लोगों को भोजन उपलब्ध कराया है। यह हमारे लोकतंत्र का अहम हिस्सा है कि हम अपने नागरिकों को पर्याप्त आहार और पोषण देते हैं।”
वैश्विक दृष्टिकोण पर जताया विचार
जयशंकर ने यह भी कहा कि दुनिया के विभिन्न हिस्सों में लोकतंत्र के अलग-अलग रूप हैं और सभी देशों को अपनी स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार लोकतंत्र को समझने की आवश्यकता है। उन्होंने इस मुद्दे पर जोर देते हुए कहा कि “कुछ हिस्सों में लोकतंत्र ठीक से काम कर रहा है, लेकिन अन्य हिस्सों में यह उतना प्रभावी नहीं है। जहां लोकतंत्र नहीं काम कर रहा, वहां ईमानदारी से यह चर्चा होनी चाहिए कि क्यों ऐसा हो रहा है।”
लोकतंत्र का एक वैश्विक मॉडल
जयशंकर ने भारत के लोकतांत्रिक मॉडल को पश्चिमी देशों के लिए एक उदाहरण बताया। उन्होंने कहा कि भारत ने स्वतंत्रता के बाद लोकतांत्रिक मॉडल को अपनाया क्योंकि देश का सामाजिक ढांचा एक परामर्शात्मक और विविधतावादी था। उन्होंने यह भी बताया कि पश्चिम ने कभी लोकतंत्र को केवल अपने ही विशेषता के रूप में देखा, लेकिन अब कई विकासशील देशों का मानना है कि भारत का लोकतांत्रिक अनुभव उनके समाजों के लिए ज्यादा उपयुक्त हो सकता है।
पश्चिमी देशों के लिए संदेश
जयशंकर ने कहा कि लोकतंत्र के मामले में पश्चिमी देशों को भी अन्य सफल लोकतांत्रिक मॉडलों को अपनाना चाहिए। “अगर पश्चिम चाहता है कि लोकतंत्र पूरे विश्व में व्याप्त हो, तो उसे पश्चिमी मॉडल से बाहर के सफल लोकतांत्रिक मॉडलों को भी स्वीकार करना होगा।”
म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन
म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन 2025 जर्मनी के म्यूनिख में 14 से 16 फरवरी तक आयोजित हो रहा है। इस सम्मेलन में वैश्विक सुरक्षा और विदेश नीति पर चर्चा के लिए विभिन्न देशों के प्रतिनिधि एकत्र हो रहे हैं। जयशंकर ने इस सम्मेलन के पहले दिन अपनी बात रखते हुए भारत को एक ऐसे लोकतंत्र के रूप में प्रस्तुत किया जो अपने सिद्धांतों पर खरा उतरता है और दुनिया के सामने एक सशक्त उदाहरण प्रस्तुत करता है।
