
PM Modi-Mohammad Yunus Meet: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वर्तमान में बैंकॉक में क्चढ्ढरूस्ञ्जश्वष्ट सम्मेलन में भाग लेने के लिए उपस्थित हैं और इस दौरान वह बांगलादेश के अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद युनूस से मिल सकते हैं। यह बैठक खासतौर पर महत्वपूर्ण है, क्योंकि युनूस ने हाल ही में भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को लेकर कुछ विवादास्पद बयान दिए थे। पिछले साल शेख हसीना के शासन का पतन होने के बाद, युनूस सरकार अब बांगलादेश को अपने करीबी पड़ोसी भारत से दूर रखने के लिए चीन से मदद मांगने की कोशिश कर रही है। यहीं कारण है कि युनूस ने न केवल पूर्वोत्तर राज्यों को एक भूमि-बंधित क्षेत्र कहा, बल्कि चीन को भारत के ‘चिकन नेक’ (सिलीगुरी कॉरिडोर) तक पहुंच प्रदान करने का प्रस्ताव भी दिया।
भारत और बांगलादेश के बीच व्यापारिक संबंध बेहद महत्वपूर्ण हैं, बांगलादेश भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझीदार है, और भारत बांगलादेश का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक देश है। बांगलादेश के लिए यह व्यापारिक संबंध 12 प्रतिशत निर्यात का हिस्सा बनते हैं। लेकिन युनूस सरकार अब इस स्थिति को बदलने का इरादा रखती है। हालांकि, यह सरकार अभी चुनी हुई नहीं है और केवल चुनाव तक ही सत्ता में है। वर्तमान में बांगलादेश चीन की ओर रुख कर रहा है, और स्वास्थ्य क्षेत्र में भी चीन से मदद की बात की जा रही है।
बांगलादेश निवेश विकास प्राधिकरण (क्चढ्ढष्ठ्र) के अध्यक्ष आशिक चौधरी के अनुसार, बांगलादेश का स्वास्थ्य क्षेत्र अब भारत और थाईलैंड के बजाय चीन से मदद लेने पर विचार कर रहा है। उनका कहना है कि बांगलादेश को एक विनिर्माण हब बनाने का लक्ष्य है, और इसके लिए चीन से निवेश आकर्षित किया जा रहा है। बांगलादेश चिटगाँव के खाड़ी टर्मिनल पर भी काम कर रहा है, क्योंकि बंदरगाहों के जरिए बांगलादेश खुद को एक प्रमुख विनिर्माण केंद्र बनाना चाहता है, और इसके लिए चीन से सहयोग की उम्मीद कर रहा है।
चिटगाँव भारत के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?
चिटगाँव का बंदरगाह भारत के लिए रणनीतिक दृष्टिकोण से बेहद अहम है। यदि इस क्षेत्र में चीन का प्रभाव बढ़ता है, तो यह भारत के सिलीगुरी कॉरिडोर को और अधिक कमजोर कर सकता है। चिटगाँव बंदरगाह भारत के पूर्वोत्तर राज्यों के लिए एक महत्वपूर्ण विकल्प है, खासकर दक्षिणी असम, त्रिपुरा, मणिपुर और मिजोरम के लिए, क्योंकि यह सिलीगुरी कॉरिडोर की तुलना में अधिक सुलभ और कम खर्चीला मार्ग है। त्रिपुरा को चिटगाँव बंदरगाह से जोडऩे के लिए भारत ने पहले ही बुनियादी ढांचा विकसित कर लिया है, जो इस क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
क्या बांगलादेश के साथ यह बढ़ता तनाव भारत के लिए खतरे की घंटी है?
इसमें कोई संदेह नहीं कि अगर बांगलादेश चीन के साथ अपने संबंधों को मजबूत करता है, तो भारत को अपनी सुरक्षा और रणनीतिक योजनाओं पर पुनर्विचार करना होगा। चिटगाँव जैसे महत्वपूर्ण स्थान पर चीन की उपस्थिति भारत के लिए एक नई चुनौती पैदा कर सकती है। भारत को यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि वह इस क्षेत्र में अपने प्रभाव को बनाए रखे, और बांगलादेश के साथ अपने रिश्तों को भी मजबूत बनाए।
