
जयपुर. Rajasthan News: राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने आदिवासी युवाओं से आग्रह किया है कि वे “विकसित भारत” के निर्माण में सक्रिय भागीदार बनें और आदिवासी संस्कृति के संरक्षण में योगदान दें। उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज जल, जंगल और जमीन के सच्चे रक्षक हैं, और अब समय है कि वे अपनी संस्कृति और धरोहर को आगे बढ़ाने के लिए मिलकर कार्य करें। राज्यपाल बागडे जयपुर में आयोजित 16वें आदिवासी युवा आदान-प्रदान कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे। इस कार्यक्रम में झारखंड, छत्तीसगढ़, उड़ीसा और अन्य राज्यों से आए आदिवासी युवा भाग ले रहे थे।
आदिवासी वीरों की शौर्य गाथाओं से प्रेरणा
राज्यपाल ने अपने संबोधन में महाराणा प्रताप की वीरता को याद करते हुए कहा कि उनके अदम्य साहस और बलिदान ने मुगलों को युद्ध में नतमस्तक कर दिया था। उन्होंने आदिवासी वीरों का भी उल्लेख किया, जिन्होंने मुगलों के खिलाफ संघर्ष में महाराणा प्रताप और अन्य राजाओं की मदद की थी। बागडे ने विद्यार्थियों से भारतीय इतिहास के इन प्रेरणादायक प्रसंगों से प्रेरित होकर अपनी बौद्धिक क्षमता को बढ़ाने का आह्वान किया।
आदिवासी संस्कृति का संरक्षण और आज़ादी की लड़ाई में योगदान
राज्यपाल ने आदिवासी समुदाय की ऐतिहासिक भूमिका पर प्रकाश डाला, विशेष रूप से बिरसा मुंडा, गोविंद गुरु और कालीबाई जैसे आदिवासी नायकों का उल्लेख करते हुए उनके योगदान को सराहा। उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज ने न केवल जल, जंगल और जमीन की रक्षा की है, बल्कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भी उनका अहम योगदान रहा है।

“विकसित भारत” के लिए मिलकर काम करने की आवश्यकता
राज्यपाल ने आदिवासी युवाओं से आग्रह किया कि वे कौशल विकास में भाग लेकर समाज के प्रति अपने दायित्वों को निभाएं और “विकसित भारत” के सपने को साकार करने में अपना योगदान दें। उन्होंने युवा पीढ़ी से मिलकर नया भारत बनाने के लिए काम करने की अपील की। कार्यक्रम में राजस्थान के अरावली पर्वत श्रृंखलाओं और रेगिस्तान के बारे में राज्यपाल के सचिव डा. पृथ्वीराज ने जानकारी दी। इसके साथ ही, नेहरू युवा केंद्र के राज्य अधिकारी भुवनेश जैन ने सभी का स्वागत किया।
सांस्कृतिक कार्यक्रमों से सजा आयोजन
कार्यक्रम में आदिवासी युवाओं ने अपने राज्यों की संस्कृति को दर्शाते हुए नृत्य और गान के सुंदर सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए। राज्यपाल ने इन युवाओं को उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए सम्मानित भी किया, और उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।
आदिवासी संस्कृति और विकास के बीच सेतु बनने का समय
राज्यपाल की यह अपील आदिवासी युवाओं को अपने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर को संभालते हुए, साथ ही कौशल और शिक्षा के माध्यम से समाज की मुख्य धारा में शामिल होने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है।
