
जयपुर. Ramjal Setu Link Project: भगवान श्रीराम की अयोध्या में रामजन्म भूमि पर भव्य प्राण प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ के अवसर पर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने प्रदेशवासियों के लिए एक ऐतिहासिक घोषणा की है। उन्होंने संशोधित पार्वती-कालीसिंध-चम्बल लिंक परियोजना (Parvati-Kalisindh-Chambal Link Project) का नाम बदलकर ‘रामजल सेतु लिंक परियोजना’ रखने का ऐलान किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने मुख्यमंत्री निवास पर परियोजना के नए नाम का पोस्टर भी विमोचन किया।
एक वर्ष बाद श्रीराम मंदिर की ऐतिहासिक यात्रा की पुनरावृत्ति
मुख्यमंत्री ने कहा कि ठीक एक साल पहले, 17 दिसंबर 2023 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में पार्वती, काली सिंध और चंबल नदियों के जल को रामसेतु जल संकल्प कलश में प्रवाहित किया गया था। इस प्रक्रिया में एक नदियों को जोड़ने की ऐतिहासिक परियोजना का शुभारंभ किया गया था, जिसे अब रामजल सेतु लिंक परियोजना (Ramjal Setu Link Project) के रूप में पहचाना जाएगा। मुख्यमंत्री ने बताया कि भगवान श्रीराम ने समुद्र पर सेतु बनाकर सत्य की विजय का प्रतीक स्थापित किया था, और उसी से प्रेरणा लेकर राजस्थान और मध्य प्रदेश के बीच इस महत्वाकांक्षी परियोजना की नींव रखी गई है।
परियोजना का उद्देश्य: 40 प्रतिशत आबादी को मिलेगा पेयजल और सिंचाई जल
मुख्यमंत्री ने इस परियोजना के महत्व को बताते हुए कहा कि रामजल सेतु लिंक परियोजना (Ramjal Setu Link Project) से प्रदेश के 17 जिलों में 2054 तक पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी। इस परियोजना के तहत चंबल और इसकी सहायक नदियों का जल 522 एमसीएम पुनर्चक्रित जल सहित कुल 4102 मिलियन क्यूबिक मीटर जल उपलब्ध होगा। इसका सीधा लाभ करीब सवा तीन करोड़ लोगों को सुलभ पेयजल के रूप में मिलेगा, साथ ही ढाई लाख हेक्टेयर क्षेत्र में नई सिंचाई व्यवस्था भी शुरू होगी। यह परियोजना पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी के ‘नदियों को जोड़ने’ के सपने को साकार करने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगी। इस योजना के जरिए प्रदेश में कृषि, जल आपूर्ति और उद्योगों के विकास को नई दिशा मिलेगी।
रामजल सेतु लिंक परियोजना का महत्व
रामजल सेतु लिंक परियोजना (Ramjal Setu Link Project) का सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि राजस्थान (Rajasthan)और मध्य प्रदेश (Madhyapradesh) के बीच जल का आदान-प्रदान सुचारू रूप से होगा, जिससे दोनों राज्यों की जल सुरक्षा में वृद्धि होगी। चंबल और उसकी सहायक नदियों का अतिरिक्त जल बनास, मोरेल, बाणगंगा, रूपारेल, पार्वतनी, गंभीर नदी बेसिनों में पहुंचाया जाएगा। इस परियोजना से सिंचाई के लिए अतिरिक्त पानी उपलब्ध होगा, जो राजस्थान के कृषि क्षेत्र के लिए एक वरदान साबित होगा।
प्रदेश की जल संरचनाओं को मजबूती मिलेगी
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस योजना का मुख्य उद्देश्य प्रदेश की जल संरचनाओं को मजबूती प्रदान करना है। उन्होंने यह भी कहा कि इस परियोजना के कार्यों को शीघ्र गति से पूरा किया जाएगा, जिससे प्रदेश के कृषि, जल आपूर्ति और औद्योगिक क्षेत्रों में तेजी से सुधार होगा। इस ऐतिहासिक अवसर पर जल संसाधन मंत्री सुरेश सिंह रावत, गृह राज्यमंत्री जवाहर सिंह बेढम, राजस्थान धरोहर प्राधिकरण के अध्यक्ष ओंकार सिंह लखावत, सांसद मदन राठौड़, विधायक बहादुर सिंह कोली, डॉ. शैलेश सिंह, डॉ. सुभाष गर्ग, अतिरिक्त मुख्य सचिव जल संसाधन अभय कुमार, अतिरिक्त मुख्य सचिव वित्त अखिल अरोड़ा, अतिरिक्त मुख्य सचिव (मुख्यमंत्री कार्यालय) शिखर अग्रवाल समेत कई वरिष्ठ अधिकारी और जनप्रतिनिधि भी उपस्थित रहे।
क्या है ये प्रोजेक्ट
रामजल सेतु लिंक परियोजना (Ramjal Setu Link Project) एक महत्वाकांक्षी जल परियोजना (Water Project) है जिसे राजस्थान और मध्य प्रदेश में जल आपूर्ति और सिंचाई की स्थितियों को बेहतर बनाने के लिए शुरू किया गया है। इस परियोजना का उद्देश्य इन दोनों राज्यों की प्रमुख नदियों, जैसे चंबल, पार्वती, काली सिंध और अन्य सहायक नदियों के जल को जोड़कर एक जल नेटवर्क स्थापित करना है, जिससे इन राज्यों के विभिन्न हिस्सों में जल की उपलब्धता बढ़ाई जा सके।
प्रमुख बिंदु
- नदियों को जोड़ना: इस परियोजना के तहत चंबल और उसकी सहायक नदियों जैसे काली सिंध, पार्वती, कुन्नू, कूल, मेज आदि का जल बनास, मोरेल, बाणगंगा, रूपारेल और अन्य नदी बेसिनों में भेजा जाएगा।
- पेयजल और सिंचाई: परियोजना के तहत 4102 मिलियन क्यूबिक मीटर जल उपलब्ध होगा, जिसमें से 522 एमसीएम पुनर्चक्रित जल भी शामिल है। इसका लाभ लगभग 40% आबादी को मिलेगा, जिससे पेयजल और सिंचाई की आवश्यकता पूरी की जाएगी।
संभावित लाभ
- राजस्थान के 17 जिलों में 2054 तक पेयजल की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित होगी।
- लगभग 2.5 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में नयी सिंचाई व्यवस्था शुरू होगी और करीब 1.5 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में अतिरिक्त पानी मिलेगा।
- इससे उद्योगों को भी जल मिल सकेगा, जिससे उद्योगों का विकास होगा।
इतिहास और प्रेरणा
इस परियोजना का नाम ‘रामजल सेतु लिंक परियोजना’ रखा गया है, जो भगवान श्रीराम की प्रेरणा से जुड़ा हुआ है, जिन्होंने समुद्र पर सेतु बना कर सत्य की विजय का प्रतीक स्थापित किया। इसी तरह, यह परियोजना राजस्थान और मध्य प्रदेश के बीच जल सेतु बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
