
दावोस.World Economic Forum 2025: इस बार आयोजित विश्व आर्थिक मंच (WEF) 2025 भारतीय प्रतिनिधिमंडल के लिए दावोस में एक ऐतिहासिक मंच बना। केंद्र सरकार और विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधियों ने एकजुट होकर ‘टीम इंडिया’ की भावना का प्रदर्शन किया। यह पहली बार था जब भारत ने एक समेकित दृष्टिकोण के साथ वैश्विक मंच पर अपनी विविधता और विकासशील क्षमताओं को प्रस्तुत किया। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव, पूर्व मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू, और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस जैसे वरिष्ठ नेताओं ने भारत की बढ़ती ताकत और निवेश की असीम संभावनाओं पर जोर दिया।
‘भारत मंडप’: एकता और विकास का प्रतीक
इस साल दावोस में भारतीय मंडप ने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा। केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इसे ‘टीम इंडिया’ की भावना का सजीव उदाहरण बताते हुए कहा कि “यह हम सभी के लिए गर्व का विषय है। प्रधानमंत्री ने मार्गदर्शन दिया कि भारतीय मंडप को एकीकृत और समेकित रूप से प्रस्तुत किया जाए। इसी के परिणामस्वरूप आज भारत मंडप न केवल केंद्र सरकार बल्कि राज्यों की विविधता और सामूहिक विकास का प्रतीक बन गया है। यह दर्शाता है कि भारत शांति, समावेशी विकास और वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार है।” यह मंडप भारत की तकनीकी, सांस्कृतिक, और आर्थिक प्रगति को दर्शाने के साथ-साथ निवेशकों को आकर्षित करने का एक प्रमुख माध्यम बना।
स्विट्जरलैंड के साथ मुक्त व्यापार समझौता: व्यापारिक संबंधों का नया अध्याय
अश्विनी वैष्णव ने भारत और स्विट्जरलैंड के बीच हुए मुक्त व्यापार समझौते को एक ऐतिहासिक कदम बताते हुए कहा कि “स्विट्जरलैंड और भारत दशकों से आपसी विश्वास और साझेदारी पर आधारित संबंध साझा कर रहे हैं। यह समझौता केवल व्यापारिक नहीं, बल्कि लोकतंत्र और स्थिरता के मूल्यों को और मजबूत करेगा। स्टार्टअप, प्रौद्योगिकी, खाद्य प्रसंस्करण और कौशल विकास जैसे क्षेत्रों में हम अपार संभावनाएं देखते हैं।”
अमेरिका और भारत के संबंध: वैश्विक स्थिरता का मजबूत आधार
भारत-अमेरिका संबंधों पर चर्चा करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि दोनों देशों के संबंध पिछले दशक में अत्यधिक परिपक्व हुए हैं। “हम संयुक्त रूप से तकनीकों का विकास और उत्पादों का निर्माण कर रहे हैं। क्वाड में हमारी भागीदारी से दुनिया की सुरक्षा में हमारे समान हित जाहिर होते हैं। हमारा मानना है कि अमेरिका के साथ भारत का विश्वास और सहयोग, दोनों देशों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।”
निवेशकों की पसंद: भारत की आर्थिक और तकनीकी ताकत
भारत की मजबूत तकनीकी क्षमताओं और बढ़ती आर्थिक शक्ति ने दावोस में निवेशकों का ध्यान खींचा। अश्विनी वैष्णव ने अर्धचालक, एआई, इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण, नवीकरणीय ऊर्जा और कौशल विकास जैसे क्षेत्रों को निवेशकों के लिए आकर्षण का केंद्र बताया। “दुनिया भारत को प्रौद्योगिकी निर्माण और वैश्विक उत्पादन केंद्र के रूप में देख रही है। हमारे पास प्रतिभा और स्थिर नीतियों का संयोजन है जो निवेशकों को विश्वास दिलाता है।”
पर्यावरणीय स्थिरता और अक्षय ऊर्जा में भारत की भूमिका
एन. चंद्रबाबू नायडू ने पर्यावरणीय स्थिरता और अक्षय ऊर्जा पर भारत की प्रतिबद्धता को रेखांकित करते हुए कहा कि “भारत पेरिस समझौते के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है। 500 गीगावॉट अक्षय ऊर्जा उत्पादन के लक्ष्य को पूरा करने के लिए राज्य प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। आंध्र प्रदेश और अन्य राज्य हरित ऊर्जा में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं। यह भारत की वैश्विक जिम्मेदारी का हिस्सा है।”
‘इंडिया फर्स्ट’: एकजुटता और समर्पण का मंत्र
दावोस में मौजूद भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने ‘इंडिया फर्स्ट’ का नारा देते हुए अपनी एकता का प्रदर्शन किया। एन. चंद्रबाबू नायडू ने कहा कि “यह पहली बार है जब अलग-अलग राजनीतिक दलों और राज्यों के नेता एक मंच पर एक आवाज में बोल रहे हैं। हमारा उद्देश्य केवल भारत के विकास को बढ़ावा देना है। यह भारत के तेजी से बढ़ते वैश्विक प्रभाव का प्रमाण है।”
2030 और उससे आगे: भारत का स्वर्ण युग
नेताओं ने विश्वास व्यक्त किया कि भारत अगले 10 वर्षों में विश्व की शीर्ष तीन अर्थव्यवस्थाओं में शामिल होगा। एन. चंद्रबाबू नायडू ने कहा कि “2030 तक भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगा। 2047 तक, भारत वैश्विक स्तर पर नंबर दो या नंबर एक अर्थव्यवस्था बन जाएगा। भारतीय ब्रांड अब पहले से कहीं अधिक मजबूत है और इसका श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व को जाता है।”
दावोस में निवेश के ऐतिहासिक समझौते
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने दावोस में 16 लाख करोड़ रुपये के निवेश समझौतों की घोषणा की। उन्होंने बताया कि इनमें से 90% निवेश विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) के रूप में आएगा। “हम दावोस से नई तकनीकों और सर्वोत्तम प्रथाओं को सीख रहे हैं। हमारा उद्देश्य है कि भारत को प्रौद्योगिकी और निवेश के लिए वैश्विक केंद्र बनाया जाए।”
गहरी तकनीक और एआई में भारत की अग्रणी भूमिका
भारत की प्रौद्योगिकी क्षमताओं को रेखांकित करते हुए फडणवीस ने कहा: “हम एआई और गहरी तकनीक को जीवन के हर क्षेत्र में एकीकृत कर रहे हैं। भारतीय प्रतिभा और नेतृत्व ने प्रौद्योगिकी क्षेत्र में वैश्विक मान्यता प्राप्त की है। हमारा लक्ष्य इसे और भी अधिक ऊंचाइयों तक ले जाना है।”
प्रतिस्पर्धा और सहयोग: भारत की सफलता का सूत्र
दावोस में भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने प्रतिस्पर्धा और सहयोग को ‘टीम इंडिया’ की सफलता का आधार बताया। “हम सभी अपने-अपने राज्यों के लिए प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं, लेकिन एक ही उद्देश्य के साथ—‘इंडिया फर्स्ट’। इस भावना ने भारत को वैश्विक स्तर पर एक मजबूत नेतृत्व प्रदान किया है।”
दुनिया को संदेश: भारत निवेश के लिए तैयार है
दावोस 2025 ने भारत को वैश्विक निवेश, नवाचार, और स्थिरता के लिए एक प्रमुख गंतव्य के रूप में स्थापित किया। ‘टीम इंडिया’ की एकता ने यह स्पष्ट कर दिया कि भारत अब न केवल तेजी से प्रगति कर रहा है, बल्कि दुनिया को भी प्रगति के पथ पर आगे ले जाने में सक्षम है। यह आयोजन भारत के स्वर्ण युग की शुरुआत का प्रतीक है, जहां नेतृत्व, नीति, और जनसांख्यिकीय लाभ ने भारत को वैश्विक मंच पर सबसे तेज़ी से उभरती ताकत बना दिया है।
