
जयपुर. World Theater Day: राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर के मुख्य सभागार में गुरूवार को एक विशेष नाट्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें मानस रामलीला का मंचन हुआ। यह कार्यक्रम राजस्थान दिवस के अवसर पर राज्य पर्यटन विभाग द्वारा आयोजित किए गए विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों की श्रंखला का हिस्सा था। इस नाट्य प्रस्तुति ने न केवल रंगमंच की महान परंपरा को सहेजा, बल्कि दर्शकों को त्रेता युग के अनुभव से भी जोड़ दिया।
नाटक का मंचन और कलाकारों की प्रस्तुति
अयोध्या प्रसाद गौड़ द्वारा लिखित और राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी) से प्रशिक्षित नाट्य निर्देशक दंपत्ति अरू-स्वाति व्यास द्वारा निर्देशित इस नाटक में 82 कलाकारों ने मंच पर अभिनय किया, जबकि 16 कलाकारों ने मंच के पीछे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अभिनय गुरूकुल, जोधपुर के कलाकारों ने अपनी शानदार प्रस्तुति के माध्यम से मंचीय अभिनय के साथ-साथ फिल्म और टेलीविजन के अभिनय की छवि भी दर्शकों को दिखायी। इस नाट्य प्रस्तुति का ऑडियो-वीडियो स्वरूप विशेष रूप से दर्शकों द्वारा सराहा गया, जिससे नाटक की कहानी और भावनाओं का प्रभाव और भी गहरा हुआ।

मानस रामलीला का दृष्टिकोण और उद्देश्य
मानस रामलीला का उद्देश्य रामचरित मानस को एक नए दृष्टिकोण से प्रस्तुत करना था। इस नाटक में राम की कहानी को केवट के दृष्टिकोण से समझाया गया। यह एक नाट्य रचना है जो गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित रामचरित मानस से प्रेरित होकर लिखी गई है। नाटक में न केवल राम के चरित्र की विशेषताओं को उजागर किया गया, बल्कि यह युवाओं को मर्यादापुरुषोत्तम राम के आदर्शों से प्रेरित करने का प्रयास भी है। अयोध्या प्रसाद गौड़ ने बताया कि आज के समय में राम के गुणों और कर्तव्यों को अपनाने की सख्त आवश्यकता है, और इस नाटक के माध्यम से इस संदेश को फैलाने का प्रयास किया गया।
नाटक की विशेषताएं
मानस रामलीला में समय और स्थान रामायण काल के हैं, लेकिन इसे मंच पर संवादों के माध्यम से प्रस्तुत किया गया, जो आमतौर पर रामलीला के मंचन में संगीत और दृश्य प्रधान होते हैं। इस नाटक का संवाद प्रधान रूप दर्शकों को एक नई और अद्भुत दृष्टि प्रदान करता है, जो इसे पारंपरिक रामलीला से अलग और अभिनव बनाता है।
केवट के माध्यम से सूत्रधार की भूमिका
नाटक की शुरुआत केवट द्वारा की गई, जो रामचरित मानस का एक महत्वपूर्ण पात्र है। रामायण काल में भी केवट का व्यक्तित्व सभी के लिए परिचित था और आज भी वह एक ऐसी शख्सियत हैं जिन्हें किसी परिचय की आवश्यकता नहीं है। केवट के माध्यम से नाटक में एक सामान्य पात्र की भूमिका को महत्वपूर्ण बनाया गया, जो दर्शकों को सहजता से जुडऩे का अवसर प्रदान करता है।

आधुनिक काल में त्रेता युग की याद दिलाने वाली अरुण गोविल की आवाज़
मानस रामलीला के दौरान राम की भूमिका निभाने वाले पात्र को आवाज़ दी है, श्रीराम के अभिनय में प्रसिद्ध अभिनेता अरुण गोविल ने। उनकी आवाज़ में रिकॉर्ड किए गए संवाद दर्शकों को त्रेता युग की याद दिलाने में सफल रहे, जिससे नाटक की प्रभावशीलता और भी बढ़ गई। अरुण गोविल की आवाज़ ने नाटक को एक अद्भुत और वास्तविक रूप दिया, जो दर्शकों के मन में राम की छवि को और गहरा करने में मददगार साबित हुआ।
नाट्य निर्देशकों की मेहनत ने किया त्रेता युग को जीवन्त
अरू और स्वाति व्यास के निर्देशन में, इस नाटक ने रामचरित मानस की मूल आत्मा को जीवित रखा। संवाद प्रधान नाट्य रचना के कारण, मंचन के दौरान दर्शकों ने न केवल कहानी से, बल्कि अभिनय, गीत-संगीत, भाव-भंगिमाओं और वेशभूषा से भी गहरी जुड़ाव महसूस किया। नाट्य निर्देशक की मेहनत से यह नाटक कलियुग में भी त्रेता युग का अहसास कराने में सफल हुआ।
